डोटासरा की सांसदों एवं विधायकों से जीर्ण-शीर्ण सरकारी स्कूल भवनों की मरम्मत के लिए आगे आने की अपील

जयपुर{ गहरी खोज }: राजस्थान में झालावाड़ जिले में पीपलोदी गांव में सरकारी स्कूल की छत गिर जाने की हृदयविदारक घटना के बाद
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने प्रदेश के सभी सांसदों एवं विधायकों से राजनीति से ऊपर उठकर जनता के प्रति जनप्रतिनिधि की जवाबदेही का दायित्व निभाते हुए जीर्ण-शीर्ण सरकारी स्कूलों के भवन एवं अन्य जन उपयोगी भवन की मरम्मत एवं उन्हें ठीक कराने के लिए आगे आने की अपील की है ताकि भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो।
श्री डोटासरा ने शनिवार को इस संबंध में एक पत्र लिखकर प्रदेश के सांसद एवं विधायक जनप्रतिनिधियों से यह अपील की। उन्होंने कहा “यह वक्त पक्ष-विपक्ष का नहीं, जवाबदेही का है। आइए.. हम सब राजनीति से ऊपर उठकर जनता के प्रति जनप्रतिनिधि की जवाबदेही का दायित्व निभाएं और संवेदना से संकल्प का प्रण दोहराएं ताकि फिर किसी स्कूल से चीखें ना आएं,
फिर किसी मां की गोद सूनी ना हो, फिर किसी परिवार का चिराग ना बुझे, फिर झालावाड़ जैसे हादसों की पुनरावृत्ति ना हो”
उन्होंने अपील करते हुए कहा कि समस्त सांसद एवं विधायक जनप्रतिनिधि अपने संसदीय एवं विधानसभा क्षेत्रों में संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड) एवं विधानसभा सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमएलएलैड ) से जर्जर स्कूल के भवनों, आंगनवाड़ी केन्द्रों एवं जन उपयोगी भवनों की प्राथमिकता से मरम्मत और सुदृढ़ीकरण के लिए आवश्यकता अनुसार राशि स्वीकृत कराने के लिए आगे आना चाहिए।
उन्होंने पत्र में लिखा कि पीपलोदी गांव की घटना हृदयविदारक है और भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो। इसलिए हम सभी का दायित्व बनता है कि हम सब लोकसभा एवं विधानसभा क्षेत्र के विभिन्न गांवों एवं कस्बों में स्थित शासकीय विद्यालय भवन, आंगनबाड़ी केंद्र तथा अन्य जनउपयोगी भवन जो वर्तमान में अत्यंत जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है। विशेष रूप से वर्षा ऋतु के चलते इन भवनों की छतों में टपकाव , दीवारों में सीलन तथा संरचनात्मक क्षति की स्थिति उत्पन्न हो गई है जिससे आमजन एवं विद्यार्थियों की सुरक्षा एवं सुविधा दोनों प्रभावित हो रही है।
उल्लेखनीय है कि पीपलोदी हादसे के बाद शुक्रवार को श्री डोटासरा ने कहा था कि सवाल सिर्फ स्कूल की छत गिरने और सिस्टम के ढहने का नहीं है। झालावाड़ के रोते-बिलखते परिवार और मां के आंसुओं पर जवाबदेही तय करने और नैतिक जिम्मेदारी से इस्तीफा देने का है।