करगिल दिवस पर मुर्मु ने सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: “करगिल विजय दिवस के अवसर पर शनिवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 1999 के करगिल युद्ध के वीरों को श्रद्धांजलि अर्पित की और इस दिन को देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए संघर्ष करने वाले भारतीय सैनिकों के असाधारण पराक्रम, अटूट साहस और सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक बताया।
राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर अपने संदेश में लिखा, “करगिल विजय दिवस के अवसर पर मैं मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति देने वाले वीर सैनिकों को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ। यह दिन हमारे जवानों के असाधारण पराक्रम, साहस और दृढ़ निश्चय का प्रतीक है। राष्ट्र के लिए उनका समर्पण और सर्वोच्च बलिदान सदैव देशवासियों को प्रेरित करता रहेगा।”
गौरतलब है कि करगिल विजय दिवस प्रतिवर्ष 26 जुलाई को मनाया जाता है। यह ऑपरेशन विजय के सफल समापन का प्रतीक है जिसमें भारतीय सशस्त्र बलों ने जम्मू-कश्मीर के करगिल सेक्टर में आतंकवादियों के वेश में घुसपैठ करने वाले पाकिस्तानी सैनिकों से महत्वपूर्ण रणनीतिक ठिकानों पर पुनः कब्जा कर तिरंगा फहराया था। साठ दिनों से अधिक समय तक चला यह युद्ध भारत की निर्णायक जीत के साथ समाप्त हुआ। इस दिन पूरे भारत के लोग वीर सैनिकों को याद करने और उनका सम्मान करने के लिए एक साथ आते हैं। यह पवित्र दिन ऑपरेशन विजय की सफल परिणति का स्मरण कराता है।
यह युद्ध मई 1999 में शुरू हुआ जब पाकिस्तानी सैनिकों ने नियंत्रण रेखा पार करके भारतीय चौकियों पर कब्ज़ा कर लिया और श्रीनगर को लेह से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग 1ए से संपर्क तोड़ने की कोशिश की। जवाबी कार्रवाई में भारत ने एक सुनियोजित सैन्य अभियान शुरू किया, जिसमें दुर्गम इलाकों और शून्य से नीचे के तापमान के बावजूद अपने अदम्य शौर्य का परिचय देते हुए पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब दिया और करगिल फतह किया।
तोलोलिंग, टाइगर हिल और पॉइंट 4875 जैसे ऐतिहासिक स्थल बलिदान के प्रतीक बन गए और राष्ट्रीय स्मृति में हमेशा के लिए अंकित हो गए। कैप्टन विक्रम बत्रा, मेजर राजेश अधिकारी, कैप्टन अनुज नैयर, ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव और राइफलमैन संजय कुमार जैसे वीर भारतीय वीरता के प्रतीक बनकर उभरे।
करगिल युद्ध 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ, जिसमें भारत ने नियंत्रण रेखा पार किए बिना सभी ठिकानों पर अपना नियंत्रण कर लिया – जिससे उसे उल्लेखनीय सैन्य संयम का परिचय मिला और अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिली।

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