सिर्फ 3 सेकंड का टेस्ट साइलेंट हार्ट अटैक की कर सकता है पहचान, सुबह उठते ही सबसे पहले कर लें ये काम

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लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: साइलेंट हार्ट अटैक जानलेवा साबित हो सकता है। कई बार आपको इसकी खबर तक नहीं होती और आपको साइलेंट हार्ट अटैक कभी न कभी आया होता है। साइलेंट हार्ट अटैक में किसी तरह का न तो कोई दर्द होता और न ही कोई लक्षण नजर आते हैं। लेकिन एक टेस्ट से आप साइलेंट हार्ट अटैक या हार्ट की बीमारी का पता लगा सकते हैं। जी हां इस टेस्ट से आप अर्ली डेंजर का पता लगा सकते हैं। सोशल मीडिया पर एक डॉक्टर ने इसका वीडियो शेयर किया है। आपको सुबह उठते ही इस टेस्ट को खुद से करना होगा। टेस्ट को करने में आपको सिर्फ 3 सेकंड का वक्त लगेगा। जानिए साइलेंट हार्ट अटैक से बचने के लिए कौन सा टेस्ट करना चाहिए?

वीडियो में बताया गया है कि एक 39 साल का व्यक्ति रोज सुबह इस एक्सरसाइज की प्रैक्टिस करता है। लेकिन एक दिन उसने इस व्यायाम के दौरान कुछ बदलाव पाया। इसके 2 सप्ताह बाद ही उसकी सर्जरी हुई। इस टेस्ट को करने से आप साइलेंट हार्ट अटैक और हार्ट में होने वाली परेशानियों से समय रहते पहचान सकते हैं। जिससे हार्ट अटैक के खतरे से काफी बचा जा सकता है।

साइलेंट हार्ट अटैक के लिए टेस्ट

  1. सबसे पहले सुबह उठकर बैड पर बैठ जाएं।
  2. अब दोनों बाहों को अपने सिर से ऊपर की ओर पूरी तरह से उठाएं।
  3. अब आपको इस पोजिशन में 3 सेकंड के लिए होल्ड करना है और कुछ बातों पर ध्यान देना है।
  4. क्या आपको सीने यानि चेस्ट में टाइटनेस महसूस हो रही है।
  5. उंगलियों में सुन्न जैसा महसूस हो रहा है।
  6. क्या अचानक से थकान और सिर में भारीपन सा महसूस हो रहा है।
  7. अगर आपको इस एक्सरसाइज को करके वक्त एक साइड में मुश्किल हो रही हो।
  8. या फिर आपकी एक बाजू जल्दी नीचे की ओर आ रही है और होल्ड नहीं कर पा रही है, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।
  9. ये लक्षण दिखाई दें तो समझ लें शरीर में सर्कुलेशन की समस्या है।
    इस टेस्ट शरीर में ब्लड फलो सही करने में मदद करता है। अगर आर्टरीज सिकुड़ रही है तो शरीर को ब्लड सर्कुलेशन के लिए मेहनत करनी पड़ेगी। जब शरीर में ब्लड सर्कुलेशन ठीक से नहीं होगा तो टेस्ट के दौरान आपको बताए हुए लक्षण महसूस होंगे। डॉक्टर्स का कहना है कि अगर आप छोटे-छोटे बदलावों को महसूस करें और समय पर डॉक्टर से जांच कराएं तो 50 प्रतिशत हार्ट अटैक के मामलों का समय से पहले पता लगाया जा सकता है। जिससे जान जाने का खतरा काफी कम हो जाता है।

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