फ्रांसीसी कंपनी सैफ्रान के साथ साझेदारी में विकसित 120 नॉट इंजन की तकनीक भी हस्तांतरित होगी नई दिल्ली{ गहरी खोज }: रक्षा मंत्रालय ने पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमान का इंजन विकसित करने के लिए फ्रांस के साथ साझेदारी का सुझाव केंद्र सरकार को दिया है। 61 हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना का उद्देश्य एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एएमसीए) के लिए 120 नॉट इंजन बनाना और पूर्ण तकनीकी हस्तांतरण (टीओटी) हस्तांतरण करना है। इस परियोजना से उन्नत विनिर्माण और डिजाइन प्रौद्योगिकियां आएंगी और यह आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। केंद्र सरकार ने स्वदेशी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाने के मकसद से भारत में बनने वाले पांचवीं पीढ़ी के एएमसीए कार्यक्रम को मंजूरी दे दी है। भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के लिए इस स्टील्थ, मल्टीरोल, एयर सुपीरियॉरिटी फाइटर में छठी पीढ़ी की आधुनिक प्रौद्योगिकियां भी शामिल होंगी। यह वायु सेना में स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस, सुखोई-30 एमकेआई, राफेल और नौसेना के एचएएल नेवल तेजस और मिग-29 की जगह लेगा। कार्यक्रम निष्पादन मॉडल को मंजूरी मिलने के बाद एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) निजी उद्योग की साझेदारी में इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए तैयार है। पांचवीं पीढ़ी के इस स्टील्थ लड़ाकू विमान का ढांचा तो निजी उद्योग की साझेदारी में तैयार होगा, लेकिन इसका इंजन बनाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने फ्रांस के साथ साझेदारी का सुझाव केंद्र सरकार को दिया है। 61 हजार करोड़ रुपये की इस परियोजना का उद्देश्य एएमसीए जैसे भविष्य के प्लेटफार्मों के लिए फ्रांसीसी कंपनी सैफ्रान के सहयोग से 120 नॉट इंजन बनाना और पूर्ण तकनीकी हस्तांतरण (टीओटी) हस्तांतरण करना है। यह इस बड़ी परियोजना के लिए बड़ी सफलता है, जिससे उन्नत विनिर्माण और डिजाइन प्रौद्योगिकियां आएंगी और यह आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि, शुरुआती एएमसीए मॉडल में अमेरिका निर्मित जीई 414 इंजन का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन स्वदेशी इंजन का विकास होने के बाद लड़ाकू जेट इंजन तकनीक में आत्मनिर्भरता आएगी। एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट 120 केएन (किलोन्यूटन) थ्रस्ट इंजन से संचालित होगा, जिसमें सुपर क्रूज क्षमताएं शामिल हैं। स्वदेशी रूप से इस इंजन का विकास गैस टर्बाइन अनुसंधान प्रतिष्ठान कर रहा है, जिसमें फ्रांसीसी कंपनी का सहयोग लिया जाएगा। इसी इंजन को एएमसीए मार्क-2 में एकीकृत करने की योजना है, जिसके 2030 के दशक की शुरुआत में सेवा में आने की उम्मीद है।