जयशंकर 5 साल बाद जाएंगे चीन, रेयर अर्थ मेटल्स समेत इन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा

नई दिल्ली{ गहरी खोज }: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकरइस सप्ताहांत चीन की यात्रा पर जाएंगे। यह उनकी पिछले 5 सालों में पहली चीन यात्रा होगी। यह दौरा ऐसे वक्त हो रहा है जब भारत और चीन के बीच 2020 की सीमा झड़पों के बाद रिश्तों में सुधार की कोशिशें हो रही हैं। जयशंकर बीजिंग में चीन के विदेश मंत्री वांग यी से द्विपक्षीय बातचीत करेंगे। इसके बाद वह 14-15 जुलाई को तिआनजिन में होने वाली शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होंगे। ब्लूमबर्ग ने सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है।
यह बैठक अलग से हो रही है जो दोनों देशों की आपसी संबंध सुधारने की कोशिशों को दर्शाती है। बता दें कि SCO एक बहुपक्षीय संगठन है जिसकी अगुवाई चीन करता है। इसमें भारत, पाकिस्तान समेत 9 स्थायी सदस्य देश शामिल हैं। विदेश मंत्रालय की ओर से इस दौरे पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं आई है।
इस यात्रा में जयशंकर और वांग यी के बीच कई मुद्दों पर बातचीत होने की उम्मीद है। इनमें भारत को रेयर अर्थ मिनरल्स (दुर्लभ खनिज) की आपूर्ति, दलाई लामा का उत्तराधिकार, भारत-पाक तनाव और भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानों की बहाली जैसे विषय शामिल हैं।
जयशंकर की यह यात्रा हालिया महीनों में भारतीय नेताओं की चीन यात्राओं की कड़ी में अगला कदम है। पिछले महीने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी चीन के चिंगदाओ शहर में SCO की रक्षा मंत्रियों की बैठक में शामिल हुए थे। इस तरह की यात्राओं को इस साल के अंत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संभावित चीन दौरे की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है। चीन ने अप्रैल में मीडिया को भेजे नोट में मोदी को SCO शिखर सम्मेलन में ‘गर्मजोशी से आमंत्रित’ किया है, लेकिन भारत की ओर से अभी कोई पुष्टि नहीं हुई है।
सूत्रों के अनुसार, चीनी विदेश मंत्री वांग यी इस महीने भारत भी आ सकते हैं, जहां वे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से सीमा विवाद पर बात करेंगे। जून 2020 में लद्दाख सीमा पर भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हुए थे और कई चीनी सैनिक भी मारे गए थे। इसके बाद दोनों देशों ने सीमा पर हजारों सैनिक, मिसाइलें और लड़ाकू विमान तैनात कर दिए थे। हालांकि अक्टूबर 2023 में रूस में BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात के बाद रिश्तों को स्थिर करने पर सहमति बनी।
जयशंकर और वांग यी की अब तक दो मुलाकातें चीन के बाहर हो चुकी हैं, एक रियो डि जनेरो में G-20 सम्मेलन के दौरान और दूसरी जोहान्सबर्ग में। रिपोर्ट के मुताबिक, संबंध सुधारने की कोशिशें जारी हैं, लेकिन तनाव अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है। भारत ने चीन पर वीज़ा और निवेश को लेकर कुछ पाबंदियां लगाई हैं, जबकि चीन ने भारत को महत्वपूर्ण खनिजों के निर्यात में रुकावट डाली है।
इस महीने की शुरुआत में जब मोदी ने दलाई लामा को जन्मदिन की शुभकामनाएं दीं, तो चीन ने आधिकारिक आपत्ति जताई थी। वहीं पिछले महीने रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान भारत ने आतंकवाद पर मतभेद के चलते साझा बयान पर हस्ताक्षर करने से भी इनकार कर दिया था।