पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की बैठक में गाद प्रबंधन नीति बनाने पर बनी सहमति : सम्राट चौधरी

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  • बैठक में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने रखा बिहार का पक्ष
    पटना{ गहरी खोज }:बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने झारखंड की राजधानी रांची में गुरुवार को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक में गुरुवार काे पड़ोसी राज्यों के साथ बिहार का पक्ष मजबूती से रखा। शाह ने उपमुख्यमंत्री चौधरी की बातों का गंभीरता से संज्ञान लिया।साथ ही उन्होंने बिहार के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रयासों के लिए धन्यवाद व्यक्त किया। इस बैठक में झारखंड के अलावा बिहार,पश्चिम बंगाल और ओडिशा राज्यों के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री आदि ने भाग लिया।
    उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि बिहार के जल ग्रहण क्षेत्र में गंगा, कोसी सहित विभिन्न नदियों से प्राप्त जल स्त्राव एवं गाद के कारण प्रत्येक वर्ष बाढ़ की विभीषिका से मुक्ति पाने के लिए व्यापक गाद प्रबंधन नीति तैयार करने पर बैठक में सहमति बनी। उन्होंने जल संसाधन से जुड़े विषयों पर कहा कि इन्द्रपुरी जलाशय वाणसागर समझौता के तहत अविभाजित बिहार के लिए कर्णाकित सोन नदी के जल का बंटवारे का फॉर्मूला तय हुआ, जिसमें बिहार को 5.75 एमएएफ और झारखंड राज्य को 2.00 एमएएफ मिलने पर सहमति बनी।
    उन्होंने फरक्का बराज के निर्माण के कारण प्रभावित गंगा नदी की अविरलता को बरकरार रखने एवं बिहार-पश्चिम बंगाल सीमा में कटाव निरोधक कार्यों पर होने वाले व्यय का शत-प्रतिशत वहन भारत सरकार से करने का अनुरोध किया। इस पर गाद प्रबंधन नीति बनाने पर सहमति हुई। उन्होंने गंगा और नेपाल तथा अन्य राज्यों से आने वाली नदियों के जल प्रबंधन को लेकर एक समन्वित और व्यापक प्रबंधन नीति की आवश्यकता पर भी बल दिया।
    उन्होंने कहा कि बैठक में सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास, राज्यों के बीच आपसी समन्वय और दीर्घकालिक समस्याओं के समाधान जैसे विषयों पर भी सकारात्मक चर्चा हुई है। उन्होंने यह कहा कि भारत सरकार और राज्यों के संयुक्त प्रयासों से अब क्षेत्रीय विकास को नई गति मिल रही है और वर्षों से लंबित समस्याओं के समाधान की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक में राज्यों के बीच वर्षों से लंबित मुद्दों पर व्यापक सहमति बनी है, क्षेत्रीय सहयोग को नई दिशा मिली है और कई जटिल विषयों पर सार्थक चर्चा हुई।

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