नगर निकाय के प्रस्तावों के जरिये शराब लाइसेंस रद्द करने का कोई प्रावधान नहीं: अजित पवार

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मुंबई{ गहरी खोज }: महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मंगलवार को विधानसभा को बताया कि मौजूदा नियमों के तहत ऐसा कोई कानूनी प्रावधान नहीं है, जो नगर निकायों को अपने अधिकारक्षेत्र में शराब के लाइसेंस रद्द करने का प्रस्ताव पारित करने की अनुमति देता हो।
नवी मुंबई के खारघर क्षेत्र में ‘मद्य निषेध’ के संबंध में बहस के दौरान पवार ने स्पष्ट किया कि ऐसे किसी भी प्रस्ताव को वैध नहीं माना जा सकता।
राज्य के वित्त और आबकारी विभागों का प्रभार संभाल रहे उपमुख्यमंत्री ने कहा कि यदि खारघर जैसे किसी विशिष्ट क्षेत्र में शराबबंदी की मांग करते हुए निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार सरकार को औपचारिक याचिका प्रस्तुत की जाती है, तो मौजूदा नियमों के अनुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
रायगड जिले के पनवेल से भाजपा विधायक प्रशांत ठाकुर ने खारघर में शराब के लाइसेंस रद्द करने और इसे शराब मुक्त क्षेत्र घोषित करने के संबंध में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव दिया था।
पनवेल नगर निगम (पीएमसी) ने 2023 में एक प्रस्ताव पारित कर खारघर को शराबमुक्त क्षेत्र घोषित किया था। ठाकुर ने कहा कि सरकार को पीएमसी के अंतर्गत आने वाले इस क्षेत्र में शराब के लाइसेंस रद्द करने चाहिए और निगम के प्रस्ताव के सार को बरकरार रखना चाहिए।
पवार ने कहा, ‘‘हालांकि हमारा निजी विचार है कि किसी को भी शराब का सेवन नहीं करना चाहिए, लेकिन लोकतंत्र में नागरिक अपनी पसंद चुनने के लिए स्वतंत्र हैं।’’ उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के कुछ जिलों और अन्य राज्यों में पहले भी शराबबंदी लागू की जा चुकी है।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हालांकि ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां राज्य के शराबबंदी वाले जिलों के युवा पड़ोसी क्षेत्रों से शराब खरीदते हैं और अवैध वितरण में शामिल होते हैं।
उन्होंने निचले सदन को बताया कि 1972 के बाद से राज्य में कोई नया शराब लाइसेंस नहीं दिया गया है, हालांकि मौजूदा लाइसेंस को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित करने की अनुमति उचित प्रक्रिया के बाद दी गई है।

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