ब्रिक्स देशों का आतंकवाद पर सख्त रुख, पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की

रियो डी जेनेरियो/नयी दिल्ली { गहरी खोज }: ब्रिक्स देशों ने पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हुए सभी तरह के आतंकवाद से सख्ती से निपटने की प्रतिबद्धता जतायी है और संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित आतंकवादियों तथा आतंकवादी गुटों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आह्वान किया है।
ब्रिक्स देशों के 17 वें शिखर सम्मेलन में रविवार देर रात यहां जारी संयुक्त घोषणा पत्र में सभी सदस्य देशों ने आतंकवादी कृत्यों की जोरदार शब्दों में कड़ी निंदा की और वैश्विक संस्थाओंं को समय की जरूरत के अनुसार अधिक समावेशी बनाने पर जोर देते हुए सतत शासन के लिए ग्लोबल साउथ सहयोग को मजबूत करने का आह्वान किया।
घोषणा पत्र में सदस्य देशों की ओर से कहा गया है, “ हम आपसी सम्मान और समझ, संप्रभु समानता, एकजुटता, लोकतंत्र, खुलेपन, समावेशिता, सहयोग और आम सहमति की ब्रिक्स भावना के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं। हम राजनीतिक और सुरक्षा, आर्थिक और वित्तीय, सांस्कृतिक और लोगों के बीच सहयोग के तीन स्तंभों के तहत विस्तारित ब्रिक्स में सहयोग को मजबूत करने और शांति, अधिक प्रतिनिधित्व, निष्पक्ष अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, एक पुनर्जीवित और सुधार पर आधारित बहुपक्षीय प्रणाली, सतत विकास और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के माध्यम से लोगों के लाभ के लिए रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने के लिए खुद को प्रतिबद्ध करते हैं।”
उन्होंने वर्ष 2026 में भारत को ब्रिक्स की अध्यक्षता सौंपे जाने और भारत में 18 वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के आयोजन के लिए पूर्ण समर्थन का आश्वासन भी दिया।
सदस्य देशों ने आतंकवाद को कतई न बर्दाश्त करने और आतंकवाद से निपटने में दोहरे मानदंडों को खारिज करते हुए कहा दोषियों को न्याय के कठघरे में लाने के लिए मिलकर काम करने की वचनबद्धता प्रकट की।
उन्होंने पहलगाम आतंकवादी हमले की निंदा करते हुए कहा , “ हम आतंकवाद के किसी भी कृत्य की कड़ी निंदा करते हैं, चाहे वह किसी भी उद्देश्य से किया गया हो, जब भी, जहाँ भी और किसी के द्वारा भी किया गया हो। हम 22 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हैं, जिसमें 26 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए। हम आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही, आतंकवाद के वित्तपोषण और सुरक्षित पनाहगाहों सहित सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद का मुकाबला करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं।”
ब्रिक्स देशों ने आतंकवादी गतिविधियों का समर्थन करने वाले देशों को कड़ा संदेश देते हुए कहा , “ हम दोहराते हैं कि आतंकवाद को किसी भी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह से नहीं जोड़ा जाना चाहिए और आतंकवादी गतिविधियों और उनके समर्थन में शामिल सभी लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और प्रासंगिक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुसार न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। हम आतंकवाद के लिए शून्य सहिष्णुता सुनिश्चित करने और आतंकवाद का मुकाबला करने में दोहरे मानदंडों को अस्वीकार करने का आग्रह करते हैं।”
उन्होंने सभी देशों से आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करने तथा अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के अनुपालन में मदद करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा, “ हम आतंकवाद से निपटने में देशों की प्राथमिक जिम्मेदारी पर जोर देते हैं और आतंकवादी खतरों को रोकने और उनका मुकाबला करने के वैश्विक प्रयासों को अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए, जिसमें संयुक्त राष्ट्र का चार्टर, विशेष रूप से इसके उद्देश्य और सिद्धांत, और प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रोटोकॉल, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून, अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी कानून और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून, जैसा भी लागू हो। हम ब्रिक्स आतंकवाद विरोधी कार्य समूह और ब्रिक्स आतंकवाद विरोधी रणनीति, ब्रिक्स आतंकवाद विरोधी कार्य योजना और स्थिति पत्र पर आधारित इसके पांच उपसमूहों की गतिविधियों का स्वागत करते हैं।”
सदस्य देशों ने आतंकवाद रोधी सहयोग को मजबूत करने पर जोर देते हुए कहा , “ हम आतंकवाद विरोधी सहयोग को और गहरा करने की आशा करते हैं। हम संयुक्त राष्ट्र के ढांचे में अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक समझौते को शीघ्र अंतिम रूप देने और अपनाने का आह्वान करते हैं। हम संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित सभी आतंकवादियों और आतंकवादी संस्थाओं के खिलाफ ठोस कार्रवाई का आह्वान करते हैं।”
ब्रिक्स देशों ने जलवायु वित्त पर रूपरेखा घोषणापत्र और कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर ब्रिक्स नेताओं के वक्तव्य को अपनाने के महत्व का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वे सामाजिक रूप से निर्धारित रोगों के उन्मूलन के लिए ब्रिक्स साझेदारी के शुभारंभ का समर्थन करते हैं। यह पहल वैश्विक मुद्दों के लिए समावेशी और टिकाऊ समाधान को बढ़ावा देने के संयुक्त प्रयासों को दर्शाती हैं।
सदस्य देशों ने ब्रिक्स सदस्य के रूप में इंडोनेशिया का स्वागत किया और कहा कि वे बेलारूस , बोलिविया, कजाकिस्तान, क्यूबा , नाइजीरिया , मलेशिया, थाईलैंड , वियतनाम , युगांडा और उज्बेकिस्तान का ब्रिक्स भागीदार देशों के रूप में स्वागत करते हैं।
ब्रिक्स देशों के घोषणा पत्र में बहुपक्षवाद को मजबूत करने और वैश्विक शासन में सुधार करने पर जोर देते हुए कहा गया ,“ हम व्यापक परामर्श, संयुक्त योगदान और साझा लाभों की भावना में एक अधिक न्यायसंगत, समतापूर्ण, चुस्त, प्रभावी, कुशल, उत्तरदायी, प्रतिनिधित्व, वैध, लोकतांत्रिक , जवाबदेह अंतर्राष्ट्रीय और बहुपक्षीय प्रणाली को बढ़ावा देकर वैश्विक शासन में सुधार के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं। इस संबंध में हम भविष्य के शिखर सम्मेलन में भविष्य की संधि को अपनाने पर ध्यान देते हैं, जिसमें वैश्विक डिजिटल कॉम्पैक्ट और भविष्य की पीढ़ियों की घोषणा शामिल हैं।”
उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व व्यापार संगठन तथा अन्य वैश्विक संस्थानों में विकासशील देशों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं दिये जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि इन देशों को इन संस्थाओं में उचित प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। उन्होंने कहा , “ समकालीन वास्तविकताओं को बेहतर ढंग से प्रतिबिंबित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की वर्तमान व्यवस्था पर हम बहुपक्षवाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धता और संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में निहित उद्देश्यों और सिद्धांतों सहित अंतर्राष्ट्रीय कानून को उनकी संपूर्णता और अंतर्संबंध में इसके अपरिहार्य आधार के रूप में बनाए रखने और अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली में संयुक्त राष्ट्र की केंद्रीय भूमिका की पुष्टि करते हैं।
घोषणा पत्र में वैश्विक संस्थाओं में महिलाओं की भूमिका और भागीदारी को महत्व देते हुए कहा गया है , “ हम समयबद्ध तरीके से संयुक्त राष्ट्र सचिवालय और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में समान भौगोलिक प्रतिनिधित्व का आह्वान करते हैं। इन संगठनों में नेतृत्व और जिम्मेदारियों के सभी स्तरों पर महिलाओं की भूमिका और हिस्सेदारी बढ़ाने का भी हम आह्वान करते हैं। हम संयुक्त राष्ट्र के कार्यकारी प्रमुखों और वरिष्ठ पदों के चयन और नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शिता और समावेशिता के सिद्धांतों द्वारा निर्देशित करने और संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 101 के सभी प्रावधानों के अनुसार किए जाने की आवश्यकता पर बल देते हैं, जिसमें यथासंभव व्यापक भौगोलिक आधार पर कर्मचारियों की भर्ती और महिलाओं की बढ़ती भागीदारी पर उचित ध्यान दिया जाता है।
उन्होंने सुरक्षा परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र में व्यापक सुधार के लिए समर्थन दोहराते कहा कि इन्हें और अधिक लोकतांत्रिक, प्रतिनिधित्वपूर्ण, प्रभावी और कुशल बनाने के लिए इनमें विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व बढ़ाने पर भी जोर दिया जिससे कि ये संस्था मौजूदा वैश्विक चुनौतियों का समाधान कर सके।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार को ग्लोबल साउथ की आवाज करार देते हुए उन्होंने वर्ष 2022 बीजिंग और 2023 जोहान्सबर्ग- दो में नेताओं की घोषणाओं को याद किया। इन घोषणाओं में संयुक्त राष्ट्र में सुरक्षा परिषद सहित एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए ब्राजील और भारत की आकांक्षाओं के प्रति समर्थन व्यक्त किया गया था।
सदस्य देशों ने कहा कि वे जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए बहुपक्षवाद को बनाए रखने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर बल देते है। उन्होंने कहा, “ हम पेरिस समझौते के उद्देश्य और लक्ष्यों तथा यूएनएफसीसीसी के उद्देश्यों की प्राप्ति में एकजुट रहने का संकल्प लेते हैं और सभी देशों से यूएनएफसीसीसी और इसके पेरिस समझौते के पक्षकारों के रूप में अपनी मौजूदा प्रतिबद्धता को बनाए रखने और जलवायु परिवर्तन से निपटने के अपने प्रयासों को बनाए रखने और बढ़ाने का आह्वान करते हैं। हम यूएनएफसीसीसी के उद्देश्य की प्राप्ति में जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए पेरिस समझौते के पूर्ण और प्रभावी कार्यान्वयन को मजबूत करने की अपनी दृढ़ प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं, जिसमें विभिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों के मद्देनजर समानता और साझा लेकिन विभेदित जिम्मेदारियों और संबंधित क्षमताओं के सिद्धांत को प्रतिबिंबित करते हुए विकासशील देशों को शमन, अनुकूलन और कार्यान्वयन के साधनों के प्रावधान से संबंधित प्रावधान शामिल हैं।”
उन्होंने कोप-30 के समझौतों तथा उद्देश्यों के प्रति वचनबद्धता प्रकट करते हुए 2028 में इसकी मेजबानी के लिए भारत की उम्मीदवारी का स्वागत किया।