डॉ. मुखर्जी के वैचरिक संघर्ष ने भारत की एकता, अखंडता, संस्कतृि और राजनीति में परिवर्तन लाने का काम किया: वैष्णव

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नयी दिल्ली { गहरी खोज }: रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रविवार को जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती के मौके पर उन्हें नमन करते हुए कहा कि उनके विचारों और संघर्षों ने भारत की एकता, अखंडता, संस्कृति और राजनीति में परिवर्तन लाने का काम किया है।
डॉ. मुखर्जी की जयंती के मौके पर आज यहां भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई की ओर से पुष्पांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में श्री वैष्णव के अलावा दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा, मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और केन्द्रीय राज्य मंत्री हर्ष मल्होत्रा शामिल हुए।
श्री वैष्णव ने कहा कि मौजूदा समय के भारत के निर्माण में डॉ.मुखर्जी का बहुत बड़ा योगदान है। उनके विचारों से हजारों की संख्या में कार्यकर्ता राष्ट्र निर्माण के कार्य में लगे। उनके विचारों से भारत सरकार की नीतियों में एक ऐसा परिवर्तन आया जो जन जन के विकास के लिए माध्यम बन रहा है।
उन्होंने कहा कि उनके विचारों और संघर्षों ने भारतीय एकता, अखंडता, संस्कृति और राजनीति में परिवर्तन लाने का काम किया है।
उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने जिस भावना के साथ अपने विचार व्यक्त किए थे, उसी भावना को नीति में परिवर्तित करने का काम नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व परिवार्तन किया। उन्होंने भारतीय भाषाओं को सम्मान देने की वकालत की और उसे प्राथमिकता देने के लिए उन्होंने एक मुहिम चलायी क्योंकि उस वक्त अंग्रेजी भाषा ही बड़ी मानी जाती थी। डॉ. मुखर्जी ने कहा था कि अगर भारतीय भाषा में युवा शिक्षा ग्रहण करेंगे तो उनकी समझने की स्थिति बेहतर होगी और आज उसी हिंदी भाषा को राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल किया गया है।
रेल मंत्री ने कहा कि अनुच्छे 370 को लेकर डॉ मुखर्जी के संघर्ष के कारण ही 2019 में इसे हटाया गया।
श्री सचदेवा ने कहा, “हमने पहले भी कहा था कि आपको राष्ट्रवाद और राष्ट्रीयता को समझना है और अगर आपको हिंदुस्तान और उसकी संस्कृति को समझना है तो आपको डॉ. मुखर्जी को पढ़ना चाहिए। उनकी यात्रा एक राष्ट्रवादी यात्रा है। कैसे उन्होंने बाल्यकाल से लेकर सबसे युवा कुलपति बनने का सफर तय किया। जब बंगाल में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा था तो उस वक्त हिंदुओं को बचाने के लिए और मुस्लिम तुष्टिकरण के खिलाफ आवाज उठाने का काम डॉ श्यामा ने किया था।”
उन्होंने कहा कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और इस बात को उन्होंने संसद में हमेशा उठाया। कश्मीर को लेकर उनकी स्पष्ट नीति थी । उन्होंने कहा, “ मुझे खुशी इस बात की है कि मैं उस पार्टी का कार्यकर्ता हूं जिसने डॉ मुखर्जी के विचारों को आगे बढ़ाया और आज श्री मोदी उसे पोषित कर रहे हैं।”
श्रीमती गुप्ता ने कहा कि देश को आजाद कराने में लाखों स्वतंत्रता सेनानी शहीद हुए लेकिन उसके बाद अगर देश को सही ढ़ंग से चलाने के लिए जिसने बलिदान दिया तो वह डॉ. मुखर्जी थे। उन्होंने केंद्र में मंत्री पद को छोड़ दिया और जब कश्मीर की बात आयी तो एक देश में “दो विधान दो संविधान” नहीं चलेगा जैसी बातें कहकर एक मुहिम की शुरुआत की।
उन्होंने कहा, “आज कश्मीर में देश की सबसे उँची चोटी और चिनाब नदी पर जब वंदे भारत ट्रेन चलती है तो हम भारत दर्शन करते है। जो कश्मीर है वह हमारा है और जो हमारा है वह सारा का सारा है। एक संविधान पूरे देश में लागू है और एक तिरंगा पूरे देश में फहराने से रोकने वाला कोई नहीं है। आज उनके बताए रास्ते पर अनुसरण करते हुए उनके विचारों को आगे बढ़ाने का एक राजनीतिक पार्टी के रूप में हमारा यही कर्तव्य है।”

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