ठाकरे बंधुओं ने साझा किया मंच,महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल

0
2025_7$LargePhoto05_Jul_2025_05072025152119

MUMBAI, JULY 5 (UNI):- Shiv Sena (UBT) chief Uddhav Thackeray and MNS Chief Raj Thackeray at the joint rally, in Mumbai on Saturday. UNI PHOTO-17U

मुंबई{ गहरी खोज }:महाराष्ट्र में एक महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम में चचेरे भाई उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का करीब 20 वर्ष बाद शनिवार को ‘मिलन’ हुआ और दोनों के महाराष्ट्र और मराठी-मानुष के मुद्दे पर मंच साझा करने पर राज्य में बड़े राजनीतिक बदलाव की अटकलें तेज हो गयी हैं।
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत महायुति और विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के नेता ठाकर बंधुओं के मिलन पर बारीक से नजर रख रहे हैं। उनके एक मंच पर आने से महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े बदलाव की अटकलें लगाई जा रही हैं। श्री उद्धव ठाकरे शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)के प्रमुख हैं और उनकी पार्टी एमवीए की सहयोगी है। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के संस्थापक अध्यक्ष राज ठाकरे फिलहाल किसी गठबंधन में शामिल नहीं हैं।
श्री राज ठाकरे ने श्री उद्धव ठाकरे से मतभेद के बाद वर्ष 2005 में श्री बालासाहेब ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना से बाहर हो गए थे और वर्ष 2006 में उन्होंने मनसे का गठन किया था। वर्ष 2026 में शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की 100वीं जयंती और शिवसेना का 60वां स्थापना वर्ष होगा।
श्री बालासाहेब ठाकरे ने 23 जनवरी 1926 को शिव सेना का गठन किया था। विभाजन के कारण यह पार्टी दोराहे पर खड़ी है, जो कभी राज्य की राजनीति में एक प्रमुख स्थान रखती थी। महाराष्ट्र में 25 साल से अधिक समय से गठबंधन की राजनीति चलन में रही है।
शिवाजी पार्क से श्री बालासाहेब ठाकरे ने 30 अक्टूबर, 1966 को अपनी पहली दशहरा रैली में ‘80 टके समाज-करण, 20 टके राज-करण’ (80 प्रतिशत सामाजिक कार्य, 20 प्रतिशत राजनीति) का संदेश दिया था।
मौजूदा समय में चचेरे ठाकरे बंधु अपनी-अपनी पार्टियों के पुनरुद्धार के लिए ‘पुराने ढर्रे पर लौटने’ की योजना बना रहे हैं। दोनों पार्टियों ने वर्ष 2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अपना सबसे खराब प्रदर्शन किया है। शिवसेना की राजनीतिक यात्रा में चार प्रमुख विद्रोह हुए हैं। इस में सबसे पहले श्री छगन भुजबल (1991), उसके बाद श्री नारायण राणे (2005), फिर श्री राज ठाकरे (2005-06) और अंत में श्री एकनाथ शिंदे (2022) ने बगावत की। मौजूदा समय में श्री शिंदे के नेतृत्व वाली शिव सेना को ही असली शिव सेना माना गया है और उसे धनुष-बाण’ चुनाव चिह्न मिला है।
श्री राज ठाकरे ने नौ मार्च, 2006 को मनसे का गठन किया था और उनका चुनाव चिह्न ‘रेलवे इंजन’ है जबकि श्री उद्धव ठाकरे शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख हैं और उनका चुनाव चिह्न ‘मशाल’ है। श्री शिंदे ने शिव सेना से अलग होकर श्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार को गिरा दिया था। उस सरकार में कांग्रेस और अविभाजित शिवसेना तथा श्री शरद पवार के नेतृत्व वाली अविभाजित राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) शामिल थी। शिवसेना से अलग होने के बाद श्री शिंदे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से हाथ मिलाकर मुख्यमंत्री बने थे और पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने थे। एक साल बाद श्री अजित पवार ने अपने चाचा श्री शरद पवार के खिलाफ बगावत की और उपमुख्यमंत्री बनने के लिए भाजपा से हाथ मिला लिया। लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में एमवीए ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। वर्ष 2024 के विधानसभा चुनावों में शिवसेना (यूबीटी)मुश्किल से 20 सीटें जीत पायी, जबकि मनसे अपना खाता भी नहीं खोल पायी थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *