कहते हैं इतिहास अपने को दोहराता है

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सुनील दास
संपादकीय { गहरी खोज }:
कई बार कहा जाता है कि इतिहास अपने को दोहराता है। जो घटना कहीं पर एक बार होती है, वही घटना फिर किसी दूसरी जगह पर होती है या होने की संभावना रहती है तो कहा जाता है कि इतिहास अपने को दोहरा रहा है। इतिहास अपने को इसलिए भी दोहराता भी है कि एक बार जो गलती आदमी या पार्टी करती है और उससे सबक नहीं लेती है और वही गलती दोबारा करती है तो फिर से वही सब होने की संभावना रहती है जो एक बार की गई गलती के कारण इतिहास में दर्ज है। कर्नाटक कांग्रेस में देखा जा रहा है कि फिर से वही दोहराया जा रहा है जो छत्तीसगढ़ में दोहराया जा चुका है। कर्नाटक कांग्रेस व सरकार में फिर से वही सब हो रहा है जो एक बार छत्तीसगढ़ में हो चुका है।
छत्तीसगढ़ में २०१८ में विधानसभा चुनाव कांग्रेस जीती थी। कांग्रेस ने एकजुट होकर चुनाव लड़ा था। यानी कांग्रेस के जितने गुट थे सबने कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था और १५ साल के बाद भाजपा को हराने में सफल हुए थे। कुछ लोग इसका श्रेय अकेले भूपेश बघेल को देते हैं कि उन्होंने गुटों में बंटे हुए कांग्रेस को एकजुट कर कांग्रेस के लिए जो १५ साल से असंभव काम था, वह कर दिखाया था।कुछ लोग यह भी कहते हैं कि भूपेश बघेल का साथ टीएस सिंहदेव ने नहीं दिया होता तो भूपेश बघेल चुनाव नहीं जिता सकते थे। कांग्रेस के चुनाव जीतने के बाद सीएम पद के लिए राज्य में कई दिनों तक गुटबाजी हुई थी। कई लोगों के नामों की चर्चा थी सीएम के लिए।
आखिरी में दो लोग ही सीएम के दावेदार के रूप में बच गए थे। दोनों ही सीएम बनना चाहते थे, कोई पीछे हटने के तैयार नहीं हुआ तो माना जाता है कि आलाकमान ने बीच का रास्ता यह निकाला था कि दोनों ढाई-ढाई साल सीएम पद पर रहेंगे। इस तरह पहले ढाई साल भूपेश बघेल को सीेएम रहना था और उसके बाद के ढाई साल टीएस सिंहदेव को सीएम बनना था। भूपेश बघेल टीएस सिंहदेव से ज्यादा होशियार थे, वह पहले सीएम बने और ढाई साल बाद भी सीएम की कुर्सी को छोड़ने को तैयार नहीं हुए। आलाकमान को बता दिया कि सारे लोग तो चाहते हैं कि मैं ही सीएम बना रहूं। यानी सब मेरे साथ हैं, इसलिए सीएम तो उन्हें ही बने रहना चाहिए जिसके साथ सब हैं। आलाकमान ने भूपेश बघेल को ही सीएम बनाए रखा और टीएस सिंहदेव का डिप्टी सीएम बनाकर संतुष्ट किया गया। इसका परिणाम क्या हुआ। जब दूसरी बार चुनाव हुआ तो भूपेश बघेल अकेले चुनाव नहीं जिता सके। कांग्रेस छत्तीसगढ़ में दोबारा सरकार नहीं बना सकी।
माना जाता है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव जीतने पर आलाकमान ने वही गलती की जो उसने छत्तीसगढ़ में की थी। यहां भी सिध्दारमैया व शिवकुमार दोनों सीएम बनना चाहते थे, दोनों से यहां भी कह दिया गया मामला सुलझाने के लिए कि सिध्दारमैया ढाई साल सीएम रहेंगे और उसके बाद ढाई साल शिवशंकर ढाई साल सीएम रहेंगे। कर्नाटक विधानसभा चुनाव २०२३ में हुआ था यानी सिध्दारमैया का समय पूरा होने को है, इसलिए फिर एक बार कर्नाटक में सीएम पद को लेकर राजनीति शुरू हो गई है। जैसे छत्तीसगढ़ में चुनाव जिताने में टीेएस सिंहदेव की अहम भूमिका थी, वैसे ही कर्नाटक चुनाव जिताने में शिवकुमार की अहम भूमिका थी। अब शिवकुमार चाहते हैं कि आलाकमान अपना वादा पूरा करे।
सिध्दारमैया भूपेश बघेल की तरह सीएम की कुर्सी नहीं छोडऩा चाहते हैं। मामले को समझने कर्नाटक सुरजेवाला को भेजा गया है। राष्ट्रीए अध्यक्ष खरगे ने कह दिया है कि इस मामले में जो कुछ फैसला होगा आलाकमान करेगा। आलाकमान क्या करेगा किसी तो पता नहीं है।सीएम जो बन जाता है वह पद को छोडना नहीं चाहता है, चाहे वह भूपेश बघेल हो या सिध्दारमैया हो।भूपेश बघेल के सीएम पद नहीं छोड़ने पर इसका खामियाजा पार्टी को छत्तीसगढ़ में भुगतना पड़ा था। माना जा रहा था कि कांग्रेस को यहां को भाजपा नहीं हरा सकती लेकिन हुआ क्या भाजपा ने कांग्रेस को हरा दिया। यानी हकीकत कुछ और थी और हकीकत कुछ और बताया जा रहा था। सिध्दारमैया को कर्नाटक में सीएम बनाए रखा गया तो हो सकता है कि वहां इतिहास अपने को दोहराए।कर्नाटक में भी अगले चुनाव में वहीं हो जो छत्तीसगढ़ में हुआ था।

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