बोधगया मंदिर बौद्धों को सौंपने की याचिका पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

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Mahabodhi-Temple

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: उच्चतम न्यायालय ने बिहार के बोधगया मंदिर का नियंत्रण और प्रबंधन बौद्धों को सौंपने का निर्देश देने की मांग को लेकर प्रस्तुत याचिका पर विचार करने से सोमवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की अंशकालीन कार्य दिवस पीठ ने सुलेखाताई नलिनिताई नारायणराव कुंभारे की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया।
पीठ ने हालांकि याचिकाकर्ता नारायणराव को इस मामले में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की अनुमति दी। अदालत ने याचिकाकर्ता को पटना उच्च न्यायालय से गुहार लगाने को कहा।
न्यायमूर्ति सुंदरेश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका पर सीधे विचार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि ऐसी याचिका विचारणीय नहीं है।
याचिकाकर्ता ने बोधगया मंदिर प्रबंधन अधिनियम, 1949 में संशोधन करने और मंदिर का नियंत्रण और प्रबंधन बौद्धों को सौंपने का निर्देश देने की गुहार लगाई थी।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने संबंधित बोधगया मंदिर अधिनियम को अधिकार क्षेत्र से बाहर बताते हुए कहा कि उसे रद्द कर दिया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि बिहार के बोधगया में महाबोधि मंदिर परिसर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है। यह भगवान गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़े चार पवित्र क्षेत्रों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि बोधगया वह स्थान है, जहाँ भगवान बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

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