आपातकाल से तब ही बचेंगे जब उसे याद रखेंगे

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amit-shah

सुनील दास
संपादकीय { गहरी खोज }:
जिस बुरी आदत, जिस बुरी घटना से बचना चाहता है देश और समाज, उसे उसको याद रखना पड़ता है। यही वजह है कि पीएम मोदी ने देश व समाज के लोग आपातकाल को कभी न भूलें इसके लिए २५जून को संविधान हत्या दिवस मनाने का फैसला किया है।देश व समाज हर साल २५ जून को संविधान हत्या दिवस मनाएगा तो उसे याद रहेगा कि इस देश में संविधान को इसी दिन कांग्रेस ने कुचला था, इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगा दिया था।२५ जून याद करने का दिन है कांग्रेस ने ही देश में आपातकाल लगाया था, देश में फिर आपातकाल न लगे इसके लिए जरूरी है कि कांग्रेस फिर से सत्ता में न आ पाए।२५जून यह सोचने का दिन है इस देश में बहुत से राजनीतिक दल हुए लेकिन कांग्रेस ने ही क्यों देश में आपातकाल लगाया।
आपातकाल वही लगा सकता है जिसके डीएऩए में तानाशाही होती है, तानाशाह वह होते हैं जो परिवारवादी होते हैं। परिवारवादी होने का मतलब होता है कि हमारे लिए देश अहम नहीं है, हमारे लिए हमारा परिवार, उसका सत्ता में रहना,सबसे ज्यादा अहम है, सत्ता के आड़े संविधान,लोकंतंत्र,देश का विपक्ष, देश की जनता जो भी आड़े आए उसे कुचल देने में कोई देरी नहीं की जाएगी। कोई नेता कोई परिवार ज्यादा दिन सत्ता में रह जाता है तो उसे वहम हो जाता है कि जनता के पास उसके अलावा कोई विकल्प नहीं है, वह कुछ भी करे जनता तो उसे ही चुनेगी, जनता उसे ही चुनने को विवश है। जनता परिवारवादी नेता को बार बार चुनती है तो परिवारवादी नेता को अहंकार हो जाता है कि उससे बड़ा कोई नहीं है, वह कुछ भी कर सकता है।
जब नेता को यह वहम हो जाता है कि वह देश में कुछ भी कर सकता है और उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता तो देश आपातकाल की भूमिका तैयार होती है। हमारे देश की जनता की चेतना तो लोकतांत्रिक है, तानाशाही को सहन करने वाली नहीं है।यही वजह है कि इंदिरा गांधी ने जैसे ही देश में आपातकाल लगाया वैसे ही उसका विरोध शुरू हो गया। कहा जाता है कि देश में आपातकाल आंतरिक अशांति के कारण लगाया गया। हकीकत यह है कि २५ जून १९७५ की आधी रात देश में तब की पीएम इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया इसलिए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उऩका चुनाव भ्रष्ट आचरण,सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग के आधार पर रद्द कर दिया था। कांग्रेस व उसके नेता के डीएनए में लोकतांत्रिक चेतना होती वह कोर्ट के फैसले का सम्मान कर पद से इस्तीफा दे देती। देश में आपातकाल लगाने का फैसला शुध्द तौर पर सत्ता में बने रहने के लिए लिया गया था।
देश के विपक्ष के नेताओं व देश की जनता ने इसका विरोध किया तो कांग्रेस ने आपातकाल में लोकतांत्रिक संस्थाओं,को रौंदा,प्रेस की स्वतंत्रता,न्यायपालिका की निष्पक्षता और नागरिकों के मौलिक अधिकारों को २१ माह तक कुचलकर स्पष्ट कर दिया था कि जब जब उनकी सत्ता संकट में होती है,वह लोकतंत्र,संविधान की हत्या करने से नहीं झिझकती है।आपातकाल के दौरान कांग्रेस ने देश के विपक्ष के नेताओं के साथ खूब अन्याय, अत्याचार किया। इस दौरान देश के सारे बड़े से लेकर राज्य स्तर के नेता जेल में डाल दिए गए थे और महीनों तक उनकी सुनवाई नहीं हुई,वह महीनों जेल में रहे। इस दौरान किसी को कांग्रेस व इंदिरा गांधी के खिलाफ कुछ बोलने का अधिकार नहीं था। जिसने भी कहा वह जेल भेज दिया गया। प्रेस की स्वतंत्रता खत्म कर दी गई थी,वही छपता जो सरकार चाहती थी,वहा छपता था जो सरकार कहती थी।
इसीलिए अमित शाह ने आपातकाल को अऩ्याय काल कहा है।इसीलिए पीएम मोदी ने इसे लोकतंत्र का कालाअध्याय कहा है।इसीलिए पीेएम मोदी ने आपातकाल के विरोध में संघर्ष करने वालों को नमन किया है।२५ जून २०२५ को इसके पचास साल पूरे हो गए है, आज का दिन यह याद करने का दिन है कि आपातकाल अब देश में कभी नहीं लगने देना है और इसके लिए देश को देशविरोधी व परिवारवादी दलों से सावधान रहना होगा। वह माफी मांगने का नाटक करेंगे, वह उदार, देश भक्त होने का दावा करेंगे, वह खुद को लोकतंत्र, संविधान का रक्षक के रूप में पेश करेंगे लेकिन जनता को यह याद रखना है कि यही लोग फिर से लाेकतंत्र में आपातकाल का काला अध्याय लिख सकते हैं।

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