तेजस्वी यादव की टीम में ‘भूरा बाल’ का कितना असर? बिहार चुनाव को लेकर क्या है प्लान

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पटना { गहरी खोज }: देश में जातीय जनगणना होना तय हो चुका है। बिहार में यह पहले ही हो चुकी है और अब चुनाव के माहौल में जाति की राजनीति एक बार फिर तेज हो गई है। पटना में बीजेपी, जेडीयू और आरजेडी के कार्यालयों के बीच स्थित मिलर हाई स्कूल मैदान में अलग-अलग जातियों के अधिकार सम्मेलन हो रहे हैं। इसी बीच आरजेडी ने अपने प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को हटा दिया और मंगनी लाल मंडल को नया अध्यक्ष बना दिया। लालू यादव ने मंच से पिछड़ों, दलितों और गरीबों की बात की, लेकिन तस्वीर में अगड़ी जातियों की भागीदारी कमजोर दिखी।
गुरुवार को पटना के ज्ञान भवन में राजद की बैठक में मंगनी लाल मंडल को नया प्रदेश अध्यक्ष घोषित किया गया। लालू यादव ने पुराने अध्यक्ष जगदानंद सिंह की तारीफ की, लेकिन उन्हें कोई नया पद नहीं मिला। मंच पर अगड़ी जातियों के कुछ नेता मौजूद तो थे, पर वे अहम भूमिका में नजर नहीं आए। मंच की तस्वीर में ‘भूरा बाल’ समुदाय के नेता लगभग नदारद थे, जिससे यह मुद्दा चर्चा में आ गया। लालू का पुराना नारा फिर याद दिलाया गया।
जब लालू प्रसाद यादव मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने ‘भूरा बाल साफ करो’ नारा दिया था, लेकिन उनके आसपास ज़्यादातर अधिकारी कायस्थ जाति के ही होते थे। आज भी नीतीश सरकार में कई अहम पदों पर कायस्थ अधिकारी हैं। भाजपा ने भूमिहार जाति से विजय सिन्हा को उपमुख्यमंत्री बनाया है, लेकिन राजद में इस जाति का कोई बड़ा चेहरा नहीं दिखता। राजद में अब यादव, अल्पसंख्यक और अति पिछड़ा वर्ग का वर्चस्व दिखता है।
बिहार विधानसभा चुनाव में राजद के पास अगड़ा चेहरा राज्यसभा सांसद मनोज झा ही नजर आते हैं, जो ब्राह्मण हैं। शिवानंद तिवारी वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन अब सक्रिय नहीं दिखते। राजपूत समुदाय से सुनील कुमार सिंह विधान पार्षद और कोषाध्यक्ष हैं, पर मंच पर पीछे रहे। प्रवक्ताओं में शक्ति यादव प्रमुख हैं, जबकि चितरंजन गगन और मृत्युंजय तिवारी ब्राह्मण हैं।

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