निजी हितों की खातिर आतंक को मूक समर्थन मानवता के साथ विश्वासघात: मोदी

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PM participated in the 51st G7 summit meeting at Kananaskis, in Canada on June 17, 2025.

कनानास्किस (कनाडा){ गहरी खोज } : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद पर दोहरे मापदंड अपनाये जाने के मुद्दे पर विश्व के ताकतवर देशों काे सीधे सीधे चुनौती दी और उनसे दो टूक शब्दों में कहा कि निजी हितों के लिए, आतंकवाद को मूक सम्मति देना, आतंक या आतंकवादियों का साथ देना, पूरी मानवता के साथ विश्वासघात है।
श्री मोदी ने यहां मंगलवार को ऊर्जा सुरक्षा पर जी-7 आउटरीच सत्र के दौरान अपने संबोधन में आतंकवाद के मुद्दे पर वैश्विक शक्तियों से सीधे एवं कठोर सवाल पूछे। श्री मोदी ने कहा, “ एक गंभीर विषय की ओर आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं- वह है आतंकवाद। आतंकवाद पर दोहरे मापदंडों का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। हाल ही में भारत को एक क्रूर और कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले का सामना करना पड़ा। बाइस अप्रैल को हुआ आतंकवादी हमला केवल पहलगाम पर ही नहीं, बल्कि हर भारतीय की आत्मा, अस्मिता और गरिमा पर भी सीधा आघात था। यह पूरी मानवता पर आघात था। आप सभी मित्रों ने जिन कड़े शब्दों में इसकी निंदा की, संवेदनायें व्यक्त की, उसके लिए आपका आभार व्यक्त करता हूं।”
प्रधानमंत्री ने कहा, “आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। लोकतान्त्रिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले सभी देशों का विरोधी है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता अनिवार्य है। भारत के पड़ोस में तो आतंकवाद का ब्रीडिंग ग्राउन्ड है! वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए, हमारी सोच और नीति स्पष्ट होनी चाहिए- यदि कोई भी देश आतंकवाद का समर्थन करता है, तो उसे इसकी कीमत चुकानी होगी। लेकिन दुर्भाग्यवश, वास्तविकता इसके उलट है। एक तरफ तो हम अपनी पसंद-नापसंद के आधार पर, भांति-भांति के प्रतिबंध लगाने में देर नहीं करते। दूसरी ओर, जो देश खुले आम आतंकवाद का समर्थन करते हैं, उन्हें पुरस्कृत करते हैं। इस कमरे में जो बैठे हैं, उनसे मेरे कुछ गंभीर सवाल हैं।”
श्री मोदी ने पूछा, “ क्या हम आतंकवाद को लेकर गंभीर हैं भी या नहीं? क्या हमें आतंकवाद का मतलब सिर्फ तब समझ आएगा जब वह हमारे घर के दरवाजे पर दस्तक देगा? क्या आतंकवाद फैलाने वाले को और आतंकवाद से पीड़ित को एक ही तराजू में रख कर देखा जायेगा? क्या हमारे वैश्विक संस्थान एक मज़ाक बन कर रह जायेंगे?”
उन्होंने विश्व शक्तियों को आगाह करते हुए कहा, “ यदि हमने आज मानवता के विरुद्ध खड़े इस आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक कदम नहीं उठाये, तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा। निजी हितों के लिए, आतंकवाद को मूक सम्मति देना, आतंक या आतंकवादियों का साथ देना, पूरी मानवता के साथ विश्वासघात है। भारत ने सदैव अपने हितों से ऊपर उठकर मानवता के हित में काम किया है। हम आगे भी सभी विषयों पर जी-7 के साथ अपना संवाद और सहयोग जारी रखेंगे।”
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत में कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी का शानदार स्वागत एवं आतिथ्य के लिए आभार व्यक्त किया और जी-7 समूह के 50 वर्ष पूरे होने के ऐतिहासिक अवसर पर सभी को बधाई दी। उन्होंने विषय पर चर्चा शुरू करते हुए कहा कि भावी पीढ़ियों के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। हम इसे केवल अपनी प्राथमिकता ही नहीं, बल्कि अपने देशवासियों के प्रति जिम्मेदारी भी मानते हैं। उपलब्धता, पहुंच, किफायत और स्वीकार्यता के मूल सिद्धांतों पर आगे बढ़ते हुए भारत ने समावेशी विकास का रास्ता तय किया है।
श्री मोदी ने कहा कि आज भारत के लगभग सभी घरों में बिजली के कनेक्शन हैं। भारत की गिनती सबसे सस्ती बिजली देने वाले देशों में है। विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था होते हुए भी, भारत पेरिस संकल्पों को समय से पहले पूरा करने वाला देश है। हम 2070 तक नेट ज़ीरो के लक्ष्य की ओर भी तेज़ी से बढ़ रहे हैं। इस समय हमारी कुल स्थापित क्षमता का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा नवीकरणीय ऊर्जा का है।
उन्होंने कहा, “ हम 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्य की ओर दृढ़ता से अग्रसर हैं। स्वच्छ ऊर्जा के लिए हम ग्रीन हाइड्रोजन, परमाणु ऊर्जा, इथेनॉल मिश्रण पर जोर दे रहे हैं। हम विश्व के सभी देशों को प्रदूषण मुक्त और टिकाऊ भविष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। इसके लिए हमने अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए), आपदारोधी बुनियादी ढांचा गठबंधन (सीडीआरआई), मिशन लाइफ, वैश्विक जैविकईंधन गठबंधन, एक सूर्य, एक विश्व, एक ग्रिड जैसी वैश्विक पहलों की शुरुआत की है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि ऊर्जा संक्रमण में आगे बढ़ते हुये सभी देशों का साथ चलना आवश्यक है। “मैं नहीं, हम” की भावना से आगे बढ़ना होगा। दुर्भाग्यवश, अनिश्चितता और टकरावों का सबसे अधिक असर ग्लोबल साउथ के देशों को झेलना पड़ता है। तनाव चाहे विश्व के किसी भी कोने में हो, इन देशों पर खाद्य, ईंधन, उर्वरक और वित्तीय संकट का कहर सबसे पहले टूटता है। जनता, सामग्री, विनिर्माण और आवागमन भी प्रभावित होते हैं। भारत ने ग्लोबल साउथ की प्राथमिकताओं और चिंताओं को विश्व मंच तक पहुंचाना अपना दायित्व समझा है। हमारा मानना है कि किसी भी प्रकार के दोहरे मापदंड के रहते मानवता का सतत और समावेशी विकास संभव नहीं है।
उन्होंने कहा, “ प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और ऊर्जा के विषय में मैं कुछ बिन्दु रखना चाहूंगा। नि:संदेह, एआई हर क्षेत्र में दक्षता और नवान्वेषण बढ़ाने का बहुत ही प्रभावी माध्यम बन रहा है। लेकिन, एआई खुद, एक बहुत ज्यादा ऊर्जा खपत वाली प्रौद्योगिकी है। एआई डेटा सेंटरों के कारण ऊर्जा की खपत और आज की टेक्नोलॉजी आधारित सोसायटी की ऊर्जा की जरूरतों को टिकाऊ तरीके से पूरा करने का अगर कोई उपाय है, तो वह नवीकरणीय ऊर्जा है। ”
उन्होंने कहा, “ किफायती, भरोसेमंद और टिकाऊ ऊर्जा सुनिश्चित करना भारत की प्राथमिकता है। इसके लिए हम सौर ऊर्जा और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों पर जोर दे रहे हैं। नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन और ऊर्जा मांग के केन्द्रों को जोड़ने के लिए हम स्मार्ट ग्रिड, ऊर्जा भंडारण प्रणाली और हरित ऊर्जा कॉरीडोर बना रहे हैं।”
श्री मोदी ने कहा, “ भारत में हमारे सभी प्रयास मानव केन्द्रित रुख पर आधारित रहे हैं। हम मानते हैं कि किसी भी प्रौद्योगिकी का वास्तविक मूल्य तभी है जब उसका लाभ आखिरी व्यक्ति तक पहुँचे। ग्लोबल साउथ में भी कोई अछूता न रहे। उदाहरण के तौर पर, अगर हम एआई आधारित मौसम भविष्यवाणी ऐप बनाते हैं, तो उसका लाभ मेरे देश के छोटे से गांव में रहने वाले किसान या मछुआरे को मिलता है। भारत में एआई आधारित भाषा ऐप “भाषिणी” बनाया गया है, ताकि एक गांव का व्यक्ति भी विश्व की भाषाओं से जुड़कर, वैश्विक संवाद का हिस्सा बन सके। हमने टेक्नोलॉजी का लोकतांत्रीकरण किया है और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा से अर्थव्यवस्था के साथ-साथ सामान्य लोगों को सशक्त किया हैं। ”
प्रधानमंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी हमें मानव केन्द्रित रुख रखनी चाहिए। हर कोई एआई के सामर्थ्य और उसकी उपयोगिता को स्वीकार करता है। लेकिन एआई की शक्ति और क्षमता हमारी चुनौती नहीं है। बल्कि चुनौती यह है कि एआई टूल्स, मानवीय गरिमा और सामर्थ्य को बढ़ायें। समृद्ध डेटा ही एक समावेशी, सक्षम और जिम्मेदार एआई की गारंटी है। भारत की विविधता, बहुरंगी रहन-सहन, भाषायें और भौगोलिक विशालता, समृद्ध डेटा का सबसे उत्तम और शक्तिशाली स्रोत है। ऐसे में, भारत की विविधता की कसौटी से निकले एआई मॉडल पूरे विश्व के लिए उपयोगी साबित होंगे। भारत में हमने एक मजबूत डेटा सशक्तीकरण और संरक्षण का ढांचा बनाने पर बल दिया है। साथ ही भारत के पास एक विशाल प्रतिभा भंडार है, जो अपने पैमाने, कौशल, विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों से एआई में वैश्विक प्रयासों को सशक्त कर सकता है।
श्री मोदी ने एआई के विषय पर विश्व शक्तियों के समक्ष कुछ सुझाव रखे। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुशासन पर काम करना होगा, जो एआई से जुड़ी चिंताओं को दूर करते हुए नवान्वेषण को भी बढ़ावा दे। तभी इसे वैश्विक कल्याण की शक्ति बनाया जा सकेगा। उन्होंने कहा, “ दूसरा, एआई के युग में महत्वपूर्ण खनिज और टेक्नोलॉजी में करीबी सहयोग बहुत आवश्यक है। हमें इनकी आपूर्ति श्रृंखलाओं को सुरक्षित और टिकाऊ बनाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। हमें यह भी देखना होगा कि कोई भी देश इनका उपयोग केवल अपने स्वार्थ के लिए या हथियार के रूप में न करे। तीसरा, डीप फेक बहुत बड़ी चिंता का कारण है । यह समाज में अराजकता फैला सकता है। इसलिए, एआई द्वारा निर्मित कंटेट पर वाटर मार्किंग या स्पष्ट घोषणा की जानी चाहिए। ”
प्रधानमंत्री ने कहा, “ पिछली सदी में हमने ऊर्जा के लिए प्रतिस्पर्धा देखी। इस सदी में हमें टेक्नॉलाजी के लिए सहयोग करना होगा। “सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास” – इसी मूलमंत्र पर आगे बढ़ना होगा। यानी लोग, पृथ्वी और प्रगति- यह भारत का आह्वान है। इसी भावना के साथ मैं आप सभी को अगले वर्ष भारत में होने जा रहे एआई इम्पैक्ट शिखर सम्मेलन के लिए सादर आमंत्रित करता हूँ। ”

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