मद्रास के राष्ट्रीय राजमार्ग पर टोल वसूली पर सुप्रीम कोर्ट का अंतरिम आदेश

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: उच्चतम न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश पर सोमवार को अंतरिम रोक लगा दी, जिसमें मदुरै-तूतीकोरिन राष्ट्रीय राजमार्ग पर के पुनर्निर्माण नहीं होने तक वहां टोल शुल्क वसूली पर रोक लगाई गई थी।
शीर्ष अदालत के इस अंतरिम आदेश के बाद एनएचएआई मद्रास के मदुरै-तूतीकोरिन राष्ट्रीय राजमार्ग पर टोल वसूली करने के लिए स्वतंत्र हैं।
न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति मनमोहन की अंशकालीन कार्य दिवस पीठ ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) पर नोटिस जारी करते हुए यह अंतरिम आदेश पारित किया।
एनएचएआई ने उच्च न्यायालय के निर्देश को चुनौती दी थी। शीर्ष अदालत के समक्ष एनएचएआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एन. वेंकटरमन ने उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए तर्क दिया कि उस राजमार्ग पर प्रतिदिन 25,000 से अधिक लोग यात्रा करते हैं।
दूसरी ओर, मूल प्रतिवादियों का की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी. विल्सन ने शीर्ष अदालत की ओर से उच्च न्यायालय के रोक संबंधी आदेश का विरोध करते हुए तर्क दिया कि टोल वसूली ‘दिनदहाड़े डकैती’ के समान है, क्योंकि सड़क की स्थिति खराब है और वह उपयोग के लिए उपयुक्त नहीं है।
उन्होंने दलील दी कि एनएचएआई ने पहले भी सड़क की मरम्मत के लिए अन्य मामलों में वचन दिया था, लेकिन उसका पालन नहीं किया।
हालांकि, शीर्ष अदालत ने पाया कि उच्च न्यायालय के समक्ष मूल रिट याचिका में टोल वसूली पर प्रतिबंध लगाने की मांग नहीं की गई थी।
पीठ ने प्रतिवादियों को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया और कहा कि मामले पर बाद में विस्तार से विचार किया जाएगा।
न्यायमूर्ति मनमोहन ने टिप्पणी की,“उन्हें अभी (टोल) वसूलने दें, फिर हम देखेंगे।”
मद्रास उच्च न्यायालय ने तीन जून के अपने आदेश में फैसला सुनाया था कि अगर सड़कों का रखरखाव भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण अधिनियम के तहत निर्धारित मानकों के अनुसार नहीं किया जाता है, तो टोल वसूली अस्वीकार्य है।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस एम सुब्रमण्यम और न्यायमूर्ति ए डी मारिया क्लेटे की खंडपीठ ने कहा था कि एनएचएआई सड़क उपयोगकर्ताओं से शुल्क वसूलने से पहले उसकी (सड़क की) गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है।
अपने आदेश में उच्च न्यायालय ने कहा था,“भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण राजमार्गों का उचित रखरखाव करने और उसके बाद सड़क उपयोगकर्ताओं से टोल शुल्क वसूलने के लिए बाध्य है।”