राम मंदिर के भव्य-दिव्य के साथ और विराट होने की आकांक्षा : स्वामी दिलीप दास

अयोध्या { गहरी खोज }: रघुवंश संकल्प सेवा ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी दिलीप दास त्यागी ने समाचार एजेंसी अयोध्या में चल रहे राम मंदिर निर्माण कार्य की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि राम मंदिर भव्य, दिव्य और नवीन है। उनके अनुसार, सनातन धर्म में भारत में ऐसा कोई दूसरा धार्मिक स्थल नहीं है, जिसके प्रति लोगों की इतनी आस्था और लगाव हो। स्वामी दिलीप दास ने बताया कि भगवान रामलला की जन्मभूमि के लिए लोगों ने बलिदान दिया है।
उन्होंने कहा कि अयोध्या सृष्टि की पहली धरती है, जिसे महाराजा मनु ने बसाया था। भगवान श्री राम के अवतरण से पहले ही अयोध्या का अस्तित्व था और उनके जन्म से यह और गौरवान्वित हो गई।
स्वामी दिलीप दास त्यागी ने कहा कि राम मंदिर की भव्यता की कल्पना विराट थी। इसे और भव्य होना चाहिए था। जितना बड़ा मंदिर बन रहा है, उतने बड़े मंदिर भारत में पहले से मौजूद हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि जैन धर्म के अनुयायियों ने कई भव्य मंदिर बनाए हैं। उन्होंने वृंदावन के प्रेम मंदिर का जिक्र किया, जिसे जगतगुरु कृपालु जी महाराज ने अकेले बनवाया। राम मंदिर के लिए पूरा देश और सनातन धर्मी एकजुट हुए हैं। वे वर्तमान निर्माण से संतुष्ट हैं, लेकिन उनकी आकांक्षा है कि मंदिर और विराट हो।
उन्होंने यह भी कहा कि संतुष्टि जीवन जीने का तरीका है, लेकिन आकांक्षा, उम्मीद और बड़ी सोच भी जरूरी है। लोगों ने मंदिर निर्माण के लिए दिल खोलकर दान, समर्पण और सहयोग किया। भगवान राम ने ऐसा समय बनाया कि पहले ढाई एकड़ का क्षेत्र अब सैकड़ों एकड़ में फैल गया है।
स्वामी दिलीप दास ने अयोध्या के विकास में सभी की भागीदारी पर जोर दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि अयोध्या के मौजूदा लोकसभा सदस्य को अपनी सांसद निधि और संवैधानिक अधिकारों का इस्तेमाल कर अभी से विकास में योगदान देना चाहिए।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार के सहयोग से जो विकास हो रहा है, उसमें स्थानीय सांसद को भी अपनी बात रखनी चाहिए और अधिक से अधिक अनुदान लाकर अयोध्या की प्रगति में मदद करनी चाहिए। उन्होंने भविष्य की योजनाओं पर कम और वर्तमान में काम करने पर ध्यान देने की सलाह दी।
स्वामी जी ने कहा कि 2045 के सपनों से संतुष्ट होने के बजाय 2025, 2026 और 2027 को भी बेहतर करना होगा। उन्होंने जोर दिया कि आज अच्छा काम होगा, तभी कल अपने आप बेहतर हो जाएगा।
हाल ही में अयोध्या में राम दरबार की स्थापना को लेकर कुछ लोगों के सवालों पर उन्होंने स्पष्ट किया कि यह प्राण प्रतिष्ठा रामलला की नहीं, बल्कि राम दरबार की स्थापना थी। राम जन्मभूमि की भव्यता में राम दरबार एक झांकी है। अयोध्या में रामलला का स्थान, राजगद्दी, दशरथ महल, कौशल्या भवन, लक्ष्मण किला, भरत और शत्रुघ्न के स्थान पहले से निर्धारित हैं। उनका ट्रस्ट सिर्फ राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण पर केंद्रित है।