बांग्लादेश के नौगांव में हिंदू युवती का अपहरण, विरोध करने पर पिता की पिटाई
कोलकाता/नौगांव{ गहरी खोज }: बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचारों का सिलसिला थमता नजर नहीं आ रहा है। ताजा मामला देश के उत्तर-पश्चिमी जिले नौगांव से सामने आया है, जहां एक हिंदू युवती अंजना राय के अपहरण की खबर ने स्थानीय हिंदू समाज को भयभीत कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, नौगांव के एक गांव में अब्दुल हकीम नामक युवक ने अंजना राय को कथित रूप से अगवा कर लिया। जब अंजना के पिता हरधन रॉय ने इसका विरोध किया, तो कथित तौर पर मोहल्ले के कुछ लोगों ने उन पर हमला कर दिया और उन्हें बुरी तरह से पीटा।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस घटना की सूचना पुलिस प्रशासन को दी गई, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। अंजना राय की बरामदगी को लेकर परिवार बेहद चिंतित है और लगातार प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहा है।
इस घटना ने बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर फिर से बहस छेड़ दी है। पीड़ित परिवार और स्थानीय समाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है, बल्कि हाल के वर्षों में ऐसी घटनाओं की आवृत्ति बढ़ी है, खासकर जब से देश में कट्टरपंथी तत्वों का प्रभाव बढ़ा है।
सिर्फ अपहरण ही नहीं, हिंदू समाज की महिलाओं और युवतियों को निशाना बनाए जाने, मंदिरों में तोड़फोड़, धार्मिक प्रताड़ना और जबरन धर्मांतरण जैसे मामलों की भी लगातार खबरें आ रही हैं। पीड़ित पक्षों का कहना है कि इस तरह के अपराधों में शामिल लोगों को अक्सर स्थानीय राजनीतिक संरक्षण प्राप्त होता है, जिससे कानून-व्यवस्था पर जनता का विश्वास डगमगाता जा रहा है।
सरकार पर पक्षपात का आरोपघटना के बाद कई हिंदू संगठनों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने बांग्लादेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि प्रशासनिक मशीनरी की निष्क्रियता और पक्षपातपूर्ण रवैया इन घटनाओं को बढ़ावा देता है। कट्टरपंथी समूहों पर अंकुश लगाने में सरकार की विफलता ने अल्पसंख्यकों को असुरक्षित महसूस करवा दिया है।
कुछ रिपोर्टों के अनुसार, प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार पर यह आरोप लंबे समय से लगते रहे हैं कि वह बहुसंख्यक वोट बैंक की राजनीति के चलते हिंदू और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के मुद्दों को नज़रअंदाज़ कर रही है।
इस घटना के बाद यह सवाल भी उठ रहा है कि अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्थाएं और दक्षिण एशियाई देशों की निगरानी रखने वाले संगठन इन घटनाओं पर क्यों चुप्पी साधे हुए हैं? बांग्लादेश का संविधान सभी नागरिकों को धार्मिक स्वतंत्रता और सुरक्षा का अधिकार देता है, लेकिन जमीनी स्तर पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोग उस संवैधानिक सुरक्षा से खुद को वंचित पा रहे हैं।