एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाना होगा: शिवराज

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने बुधवार को कहा कि बदलते समय के अनुसार अब एकीकृत कृषि प्रणाली को अपनाना होगा और इससे सीमांत किसान अपनी जमीन के हर एक हिस्से का सही उपयोग कर समृद्धि के मार्ग पर तेजी से बढ़ सकते हैं।
श्री चौहान ने यहां भारतीय राष्ट्रीय सौर ऊर्जा महासंघ के ‘राष्ट्रीय कृषि-नवीकरणीय ऊर्जा शिखर सम्मेलन 2025’ को संबोधित करते हुए कहा कि सीमांत किसानों के लिए एकीकृत कृषि को प्रोत्साहित करना होगा। इससे उनकी आय में वृद्धि होगी और वे अर्थव्यवस्था में बेहतर योगदान दे सकेंगे। उन्होंने महासंघ की कृषि और नवीकरणीय ऊर्जा पर रिपोर्ट एवं वार्षिक संदर्भ पुस्तिका का विमोचन भी किया। सम्मेलन में कृषि क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा के समावेश को लेकर देश के नीति-निर्माताओं, विशेषज्ञों और किसानों ने हिस्सा लिया।
श्री चौहान ने कहा कि किसानों को समृद्ध बनाने के लिए छह कारगर उपाय हैं। उत्पादन बढ़ाना, उत्पादन की लागत घटाना, उत्पादन के सही दाम सुनिश्चित करना, नुकसान की स्थिति में भरपाई की व्यवस्था, विविधिकरण और उर्वरकों के संतुलन प्रयोग से आने वाले पीढ़ी के लिए भी धरती को सुरक्षित रखना सरकार के मुख्य उद्देश्यों में शामिल हैं। मिट्टी की उर्वरकता को बचाए रखने के लिए जैविक खेती भी अत्यधिक जरूरी है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2014-15 के बाद कृषि उत्पादन 40 प्रतिशत बढ़ चुका है। गेहूं, चावल, मक्का, मूंगफली में उत्पादन बढ़ रहा है लेकिन दलहन-तिलहन के उत्पादन में बढ़ोतरी के लिए कदम उठाने की जरुरत है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “बिना कृषि के भारत का काम नहीं चल सकता। पचास प्रतिशत लोगों को आज भी कृषि से रोजगार मिलता है। बदलते समय के अनुसार अब इंटीग्रेटेड फार्मिंग यानी एकीकृत कृषि प्रणाली को भी अपनाना होगा, इससे सीमांत किसान अपनी जमीन के हर एक हिस्से का सही उपयोग कर समृद्धि के मार्ग पर तेजी से बढ़ सकते हैं।” उन्होंने कहा कि कि किसानों को बिजली उपलब्ध कराने के लिए सौर पैनल बड़ा माध्यम बन सकता है। किसानों के लिए ऊर्जा सुनिश्चित करने हेतु पीएम कुसुम योजना इसी दिशा में काम कर रही है।
श्री चौहान ने कहा कि साैर पैनल से छोटे और मध्यम स्तर के किसानों को अन्नदाता के साथ-साथ ऊर्जादाता भी बनाया जा सकता है। इस मॉडल को और अधिक विकसित करने के साथ-साथ इस पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। भविष्य में अगर इसका कारगर और आधुनिकतम मॉडल लाया जाता है तो निश्चित तौर पर सरकार इसे आगे बढ़ाने में मदद करेगी।

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