नकली उर्वरक और कीटनाशक पर कार्रवाई करने के लिए सख्त कानून की तैयारी: शिवराज

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि सरकार नकली उर्वरक और कीटनाशक बनाने वालों पर कार्रवाई करने के लिए सख्त कानून की तैयारी कर रही है।
श्री चौहान ने मंगलवार को ‘विकसित कृषि संकल्प अभियान’ के छठे दिन महाराष्ट्र में पुणे जिले के नारायणगांव में किसानों से बातचीत करते हुए कहा कि नकली खाद या कीटनाशक बनाने वाली और किसानों को आपूर्ति करने वाली किसी भी कंपनी या व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार सख्त कानून बनाने की दिशा में आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा,“ कीटनाशकों और उर्वरकों के सही और संतुलित प्रयोग होना चाहिए। सरकार एक सख्त कानून बनाने पर विचार कर रही है, जिसके अंतर्गत जो भी कंपनी या व्यक्ति नकली उर्वरक या कीटनाशक बनाकर किसानों को आपूर्ति करते हुए पकड़ा जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”
श्री चौहान ने कहा कि क्षेत्रवार कृषि विकास योजना तैयार की जाएगी। केंद्र और राज्य सरकार दोनों मिलकर कृषि और किसानों की प्रगति के लिए काम करेंगे। बातचीत के दौरान, किसानों ने केंद्रीय मंत्री को अपनी चिंता से अवगत कराया और न्यूनतम समर्थन मूल्य , बेमौसम बारिश के कारण कृषि उपज को होने वाले नुकसान, खेती पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव, समय पर कृषि उपकरण और बीज नहीं मिलने, बेहतर प्रशीतन भंडारण सुविधाओं, कृषि प्रसंस्करण केंद्रों की उपलब्धता और अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
इससे पहले दिन में केंद्रीय मंत्री ने कृषि वैज्ञानिकों के साथ नारायणगांव कृषि उपज मंडी समिति (एपीएमसी) और टमाटर मंडी, स्थानीय खेतों और कोल्ड स्टोरेज सुविधा का दौरा किया, जहां उन्होंने टमाटर और अन्य फसल उगाने वाले स्थानीय किसानों से बातचीत की।
श्री चौहान ने स्थानीय कृषि विकास केंद्र (केवीके) में कृषि उद्यमियों को सम्मानित किया। उन्होंने बताया कि कृषि वैज्ञानिकों से खेतों में जाकर किसानों से बातचीत कर उनकी समस्याओं को समझने का आग्रह किया है। देश में 16 हजार कृषि वैज्ञानिक हैं जो इस क्षेत्र के विकास के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक केवल प्रयोगशालाओं में काम नहीं कर सकते। उन्हें किसानों को बातचीत करनी होगी।
श्री चौहान ने टॉप फसलों (टमाटर, प्याज, आलू) के लिए नयी बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अगर आलू, प्याज और टमाटर उत्पादक किसान किसी दूसरे राज्य में जाते हैं और उन्हें अपने क्षेत्र की तुलना में अपनी उपज का अधिक मूल्य मिल रहा है, तो ऐसी स्थिति में केंद्र सरकार परिवहन की परिचालन लागत वहन करेगी। किसानों को लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने और बाजार में उपभोक्ताओं के लिए टॉप फसलों की कीमतों को कम करने के लिए राज्य या केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के अनुरोध पर एमआईएस शुरू किया जाता है।
श्री चौहान ने कहा कि कृषि क्षेत्र में बहुत काम हो रहा है और किसानों ने कई नवाचार किए हैं। उत्पादकता बढ़ी है और कृषि उत्पादों की विभिन्न किस्में विकसित हुई हैं तथा निर्यात भी बढ़ रहा है। श्री चौहान ने कहा कि महाराष्ट्र के किसान प्रगतिशील हैं और उन्होंने अपने स्तर पर शोध किया है और खेती के तरीकों में आधुनिकीकरण सुनिश्चित किया है। उन्होंने राज्य से अंगूर और केले के निर्यात पर खुशी जताई।
कृषि क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन कृषि क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है और उन्होंने सभी से इस बात पर विचार करने का आग्रह किया कि जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर कृषि क्षेत्र किस प्रकार प्रगति कर सकता है। उन्होंने कहा कि किसानों को अपने उत्पादों को उच्च तापमान, बेमौसम बारिश आदि से बचाने तथा उर्वरकों और कीटनाशकों के उचित उपयोग के बारे में समय पर वैज्ञानिकों से सलाह लेने की आवश्यकता है।
श्री चौहान ने वैज्ञानिकों को टमाटर और अंगूर की ऐसी किस्में विकसित करने के निर्देश दिए जो अधिक समय तक खराब नहीं हों और प्रसंस्करण को सरल कर सके।

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