तसकरी गिराेहों के मास्टरमाइंड को पकड़ने के लिए अधिक सतर्कता की जरूरत: सीतारमण

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राजस्व खुफिया अधिकारियों से राज्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ बेहतर समन्वय विकसित करने और तस्करी गिरोहों के मास्टरमाइंड को पकड़ने के लिए अधिक सतर्कता और कार्रवाई योग्य खुफिया जानकारी जुटाने के लिए कहा।
श्रीमती सीतारमण ने वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के साथ राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के नए मुख्यालय भवन का उद्घाटन करते हुए कहा “ जितना हम सोने के बारे में बात करते हैं, नारकोटिक्स सबसे बड़ा खतरा है जो हर राज्य और यहां तक ​​कि छोटे शहरों में भी घुसपैठ कर चुका है। स्कूल और कॉलेज इसके पहले शिकार हैं। इसे डीआरआई द्वारा रोका जाना चाहिए और फिर राज्य पुलिस के साथ समन्वय करना चाहिए। हमें खतरे के आकार और दायरे के बारे में अधिक समन्वय और अधिक समझ रखने की आवश्यकता है।”
उन्होंने खुफिया जानकारी पर तेजी से कार्रवाई करने के लिए बेहतर अंतर-एजेंसी समन्वय किये जाने की आवश्यकता बतायी।
वित्त मंत्री ने कहा कि केवल अलग-अलग मामलों का पीछा करने के लिए नहीं, बल्कि बड़ी तस्वीर को ध्यान में रखते हुए समग्र रूप से जांच किये जाने की जरूरत है। किसी इकाई, किसी व्यक्ति और उनके व्यवहार पैटर्न पर सभी उपलब्ध सूचनाओं और डेटा का लाभ उठाएं ताकि अव्यक्त बिंदुओं को जोड़कर गहरे प्रणालीगत जोखिमों और खतरों को उजागर किया जा सके। लक्ष्य पूरे नेटवर्क और सिंडिकेट को खत्म करना होना चाहिए न कि केवल उसके कुछ हिस्सों को रोकना। डीआरआई अधिकारियों से अपराध के मास्टरमाइंडों पर कार्रवाई करने की अपील करते हुये उन्होंने कहा, “ अगर आप छोटी मछलियों को पकड़ते हैं तो कोई फायदा नहीं है। बड़ी मछलियाँ वे हैं जो हमारी कई कार्रवाइयों से अछूती रह जाती हैं। हमें तस्करी की पूरी श्रृंखला, पूरी नापाक कार्रवाई की श्रृंखला पर नज़र रखने और उस पर कार्रवाई करने की ज़रूरत है। यह आसान नहीं है। लेकिन हमें इस पर कुछ ठोस नतीजे दिखाने चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि एक अधिक सार्थक तरीका होना चाहिए जिसके ज़रिए प्रवर्तन अधिकारी अपने द्वारा प्राप्त डेटा और खुफिया जानकारी के आधार पर कार्रवाई कर सकें और बेहतर अंतर-एजेंसी समन्वय आर्थिक अपराधों के पीछे के मास्टरमाइंडों पर नकेल कसने के लिए समय और प्रयास को अनुकूलित करने में मदद कर सकता है।
वित्त मंत्री ने कहा “एजेंसियों के लिए यह देखना महत्वपूर्ण है कि कौन कार्रवाई योग्य है और किस पर तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए। इसलिए, एक ऐसा क्षेत्र है जिसे मैं अभी भी ग्रे एरिया कहूँगी।”
उन्होंने डीआरआई और राज्य पुलिस के साथ अधिक समन्वय बनाये जाने की आवश्यकता जताते हुये सवाल किया “क्या वे इस पर कार्रवाई करते हैं। यह कार्रवाई का दूसरा पहलू है जिस पर बहुत अधिक विचार और चर्चा होनी चाहिए। राज्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ समन्वय एक ऐसा ग्रे एरिया है। भले ही आप ऐसी नापाक गतिविधियों को रोकने में सक्षम हों, लेकिन जमीन पर अंतिम परिणाम अपने आप ही सामने आते हैं और इसे तेज करना होगा।”
श्रीमती सीतारमण ने कहा कि आधुनिक तकनीक के उपयोग को सिस्टम में और अधिक गहराई से एकीकृत करना होगा, साथ ही मजबूत अंतरराष्ट्रीय साझेदारी भी बनानी होगी। उन्होंने प्रभावी प्रवर्तन के लिए तीन बिंदुओं पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नियमों को निष्पक्ष और लगातार लागू किया जाना चाहिए, और धोखाधड़ी को तुरंत पकड़ा जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “ प्रवर्तन और सुविधा को विपरीत छोर के रूप में न देखें। धोखाधड़ी का पता लगाने वाला मजबूत खुफिया ढांचा न केवल गलत काम करने वालों को पकड़ने के लिए आवश्यक है, बल्कि ईमानदार व्यापार के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए भी आवश्यक है।”
श्रीमती सीतारमण ने कहा “ डीआरआई हमारे देश की आर्थिक सीमाओं का एक प्रमुख संरक्षक है, जो तस्करी, मादक पदार्थों की तस्करी, अवैध व्यापार और अन्य खतरों का लगातार मुकाबला करता है और यह सुनिश्चित करता है कि राष्ट्र सुरक्षित है। डीआरआई भारतीय एजेंसियों के उन चुनिंदा समूहों में से एक है जो भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र पर एक मजबूत दीवार का निर्माण करते हैं।”
उन्होंने कहा कि प्रभावी प्रवर्तन एजेंसियां ​​होने के लिए, सभी अधिकारियों को तीन प्रमुख अनिवार्यताओं को अपनाना चाहिए। प्रवर्तन और सुविधा को स्पेक्ट्रम के विपरीत छोर के रूप में न देखें। समग्र रूप से जांच करें, बड़ी तस्वीर को ध्यान में रखें, न कि केवल अलग-अलग उल्लंघनों का पीछा करें। प्रवर्तन अभियान न केवल डेटा बल्कि धर्म पर आधारित होने चाहिए।

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