निर्जला एकादशी पर करें भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जप, पूरी होंगी सब मनोकामनाएं

धर्म { गहरी खोज } : हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का अलग ही महत्व है, यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। हिंदू पंचांग की मानें तो साल में 24 एकादशी व्रत आते हैं, यानी हर माह में 2 एकादशी तिथि। वहीं, निर्जला एकादशी तिथि को इन 24 एकादशियों के फल के बराबर माना गया है अर्थात् अगर कोई व्यक्ति साल में सिर्फ निर्जला एकादशी व्रत रहता है तो उसे 24 एकादशी व्रत के बराबर ही फल मिलता है। निर्जला एकादशी व्रत रखन के अपने नियम व कायदे होते हैं। ऐसे में अगर आप निर्जला एकादशी का व्रत नहीं भी रख पा रहे हैं तो कुछ मंत्रों का जप सुबह-शाम जरूर करें, इससे आपको फायदा मिलेगा।
क्या है निर्जला एकादशी के नियम?
निर्जला एकादशी व्रत के अपने नियम और महत्व हैं। निर्जला एकादशी में अन्न के साथ ही जल की भी त्याग करना होता है, इसी कारण इसका नाम निर्जला यानी बिना जल के। व्रत के दौरान पूरे दिन जल की एक भी बूंद ग्रहण नहीं करनी होती है, अगर आप पानी पी लेते है तो आपका व्रत खंडित हो जाता है। इस दिन आप फल, अनाज या जूस का भी सेवन नहीं कर सकते हैं।
क्या है मंत्र?
निर्जला एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है, इसीलिए हमें भगवान के ताकतवर मंत्रों का तप करना चाहिए। आइए जानते हैं कि भगवान विष्णु के सबसे पावरफुल मंत्र कौन-कौन से हैं।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
ॐ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात्
ॐ नमो नारायणाय
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यं वन्दे विष्णुं भवभ्यहरं सर्वलोकैकनाथम्॥
ॐ लक्ष्मी नारायणाभ्यां नमः
ॐ विष्णवे नम:
ॐ हूं विष्णवे नम:
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे।
हे नाथ नारायण वासुदेवाय:
ॐ अं वासुदेवाय नम:
ॐ आं संकर्षणाय नम:
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
इसके अलावा, एकादशी तिथि पर विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना भी बहुत शुभ माना जाता है। इसके अलावा सुबह शाम भगवान विष्णु की आरती भी कर सकते हैं।