दिल्ली की छात्राओं में 17.4% PCOS की समस्या, स्टडी में बड़ा खुलासा

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लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: आजकल की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में लड़कियों की सेहत पर काफी असर पड़ रहा है। खासकर कॉलेज जाने वाली युवतियों में एक गंभीर बीमारी धीरे-धीरे बढ़ रही है, जिसका नाम है Polycystic Ovary Syndrome यानी PCOS। हाल ही में दिल्ली यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स की ओर से गई एक स्टडी में चौकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं।

दिल्ली में 18 से 25 साल की उम्र की 1,164 कॉलेज छात्राओं पर की गई इस रिसर्च में सामने आया कि करीब 17.4% लड़कियां PCOS से ग्रसित हैं। ये आंकड़ा देश में सबसे ज्यादा पाए गए। आंकड़ों में से एक है और देशभर में किए गए पिछले अध्ययनों के मुकाबले काफी बढ़ा है, जहां औसत 8।41% पाया गया था। आइए जानते हैं इस बारे में स्त्री रोग विशेषज्ञ का क्या कहना है।

क्या होता है PCOS?
सफदरजंग अस्पताल में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ सलोनी चड्ढा कहती हैं कि PCOS एक हार्मोनल विकार है जो प्रजनन उम्र की महिलाओं को प्रभावित करता है। इसमें अनियमित मासिक धर्म, चेहरे पर अनचाहे बाल (hirsutism), मुंहासे, मोटापा और कभी-कभी बांझपन जैसी समस्याएं होती हैं। इसका कारण शरीर में हार्मोनल असंतुलन होता है और ये बीमारी धीरे-धीरे युवतियों की आम समस्या बनती जा रही है।

क्यों बढ़ रही है ये बीमारी?
रिसर्च में बताया गया कि शहरों में रहने वाली लड़कियां, जो पढ़ाई और करियर के लिए अपने घरों से दूर रहती हैं, वो ज्यादा तनाव, नींद की कमी और खराब खानपान की वजह से इस बीमारी की चपेट में आ रही हैं। फास्ट फूड, प्रोसेस्ड चीजों का अधिक सेवन, शारीरिक गतिविधियों की कमी और लगातार बैठे रहने की आदत भी इसके पीछे की बड़ी वजहें हैं।

उच्च वर्ग की लड़कियों में ज्यादा समस्या
रिसर्च में पाया गया कि ऊपरी वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग की युवतियों में PCOS की संभावना अधिक थी। इसका कारण बताया गया कि इन वर्गों में खानपान में बदलाव। जैसे ज्यादा चिकनाई, मिठाइयों और बाहर का खाना खाने से ये समस्याएं बढ रही हैं। ऐसे में कॉलेज जाने वाली लड़कियों को अपनी डाइट पर ध्यान देने की जरूर है। डॉ सलोनी चड्डा बताती हैं कि अगर सही तरीके से लाइफस्टाइल और खानपान पर ध्यान दिया जाए तो यह समस्या काफी हद तक नियंत्रित हो सकती है।

इसके अलावा, अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribes) की लड़कियों में 21.4% PCOS की दर पाई गई, जबकि सामान्य वर्ग में यह 19।9% रही। अनुसूचित जातियों और अन्य पिछड़ा वर्ग की तुलना में ये दर अधिक थी, जिससे यह भी जाहिर होता है कि जातीय असमानताओं और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच भी इस बीमारी को प्रभावित करती है।

रिसर्च के मुताबिक, जिन लड़कियों को सर्वे में शामिल किया गया, उनमें से 70% को पहले से ही PCOS डायग्नोज हो चुका था, जबकि बाकी 30% को इस स्टडी के दौरान अल्ट्रासाउंड जांच के बाद पहली बार इसका पता चला।

कैसे बरते सावधानी?
PCOS से बचाव के लिए जरूरी है कि लड़कियां अपने खानपान पर ध्यान दें, नियमित व्यायाम करें, तनाव से दूर रहें और समय पर जांच कराएं। साथ ही, कॉलेजों और यूनिवर्सिटी स्तर पर स्वास्थ्य शिक्षा और जाँच शिविर आयोजित किए जाएं ताकि समय रहते इस बीमारी का पता लगाया जा सके।

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