निर्जला एकादशी के उपवास में क्या खाएं और क्या नहीं, कैसे पूरा होगा व्रत?

धर्म { गहरी खोज } :निर्जला एकादशी का व्रत एक अत्यंत महत्वपूर्ण और कठिन व्रत है जो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस व्रत को पांडव एकादशी या भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि पौराणिक कथा के अनुसार, पंच पांडवों में से एक भीमसेन ने भी इस कठोर व्रत का पालन किया था। यह एकमात्र एकादशी है, जिसमें अन्न के साथ-साथ जल का भी पूर्णतः त्याग किया जाता है। ‘निर्जला’ का अर्थ ही है ‘बिना जल के’। ऐसी मान्यता है कि वर्ष भर की सभी चौबीस एकादशियों का पुण्य फल केवल एक निर्जला एकादशी का व्रत करने से ही प्राप्त हो जाता है। यह व्रत सभी प्रकार के पापों से मुक्ति दिलाता है और मोक्ष प्रदान करने वाला माना जाता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति को दीर्घायु और आरोग्य की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु की कृपा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 6 जून दिन शुक्रवार को सुबह 2 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 7 जून दिन शनिवार सुबह 4 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी। उदयातिथि के अनुसार, निर्जला एकादशी का उपवास 6 जून को ही रखा जाएगा और पारण (व्रत खोलने का समय) 7 जून, दोपहर 1 बजकर 44 मिनट से 4 बजकर 31 मिनट तक रहेगा। वैष्णव संप्रदाय के लोग 7 जून को भी व्रत रख सकते हैं।
निर्जला एकादशी उपवास में क्या खाएं
- निर्जला एकादशी का अर्थ ही है ‘बिना जल के’। इस व्रत में अन्न और जल दोनों का पूरी तरह से त्याग किया जाता है। यह सबसे कठोर एकादशी व्रत है।
- यदि कोई व्यक्ति शारीरिक रूप से इतना सक्षम नहीं है कि वह पूरे दिन बिना अन्न और जल के रह सके (जैसे बीमार व्यक्ति, बहुत बुजुर्ग या छोटे बच्चे), तो वे फलाहार और जल ग्रहण कर सकते हैं, लेकिन यह तभी करना चाहिए जब आप निर्जला व्रत रखने में बिल्कुल असमर्थ हों। अगर फलाहार लेते हैं तो फल (सभी प्रकार के, जैसे केला, सेब, संतरा, अंगूर, पपीता) खा सकते हैं।
- दूध और डेयरी उत्पाद (दही, छाछ, पनीर – घर का बना)
- सूखे मेवे (बादाम, किशमिश, काजू, अखरोट)
- जड़ वाली सब्जियां (आलू, शकरकंद, अरबी – सेंधा नमक के साथ)
- गैर-अनाज आटा (कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना)
- सेंधा नमक (आम नमक नहीं) और चीनी
- पानी (बहुत जरूरी होने पर)
- चाय और कॉफी (दूध और चीनी के बिना)
निर्जला एकादशी उपवास में क्या नहीं खाएं (सख्ती से वर्जित)
- पूरे व्रत के दौरान एक बूंद भी जल ग्रहण नहीं किया जाता है।
- चावल, गेहूं, दालें, जौ, राई और इनसे बने सभी उत्पाद (रोटी, इडली, डोसा, दलिया आदि)।
- प्याज और लहसुन के साथ तामसिक चीजों का खाना मना है।
- मांस, मछली और अंडे: पूर्णतः वर्जित।
- आम नमक (आयोडाइज्ड) का सेवन नहीं किया जाता है। केवल सेंधा नमक का उपयोग कर सकते हैं, वह भी यदि फलाहार ले रहे हैं।
- लाल मिर्च, धनिया पाउडर, हल्दी पाउडर जैसे तेज मसाले वर्जित हैं। केवल काली मिर्च और सेंधा नमक का उपयोग कर सकते हैं।
- तला हुआ भोजन नहीं करना चाहिए। यदि कुछ बनाना ही है तो शुद्ध घी का प्रयोग करें।
- तंबाकू, शराब और अन्य नशीले पदार्थ का सेवन पूर्णतः वर्जित है।
- एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते नहीं तोड़ने चाहिए, क्योंकि तुलसी माता भी इस दिन व्रत रखती हैं।
- दशमी तिथि से ही दूसरे के घर का अन्न ग्रहण नहीं करना चाहिए।
- कुछ लोग शहद का भी त्याग करते हैं।
निर्जला एकादशी व्रत कैसे पूरा होगा
- 5 जून को दशमी तिथि को सूर्यास्त से पहले सात्विक भोजन करें।
- दोपहर के बाद अन्न ग्रहण न करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए निर्जला व्रत का संकल्प लें। संकल्प में अपनी मनोकामना कहें।
- घर के मंदिर को साफ करें और भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- उन्हें पीले फूल, तुलसी दल (दशमी को तोड़े गए), चंदन, धूप, दीप और भोग (फल, मिठाई) अर्पित करें।
- पूरे दिन अन्न और जल का त्याग करें। यदि आप बिल्कुल असमर्थ हैं, तभी ऊपर बताए गए फलाहार और जल का सेवन करें।
- दिन भर भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, जैसे “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”। मन को शांत रखें और बुरे विचारों, क्रोध या झूठ से दूर रहें।
- विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें या सुनें। निर्जला एकादशी व्रत की कथा अवश्य पढ़ें या सुनें।
- संभव हो तो रात्रि में जागरण करें और भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें।
- इस दिन जमीन पर आराम करना शुभ माना जाता है, इसलिए बिस्तर पर न सोएं।
द्वादशी के दिन करें व्रत का पारण
- द्वादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु की पुनः पूजा करें।
- ब्राह्मणों या जरूरतमंदों को अपनी सामर्थ्य के अनुसार अन्न, जल, वस्त्र, छाता, पंखा, जूते, फल आदि का दान करें।
- इस दिन जल से भरा कलश दान करने से विशेष पुण्य मिलता है।
- व्रत का पारण द्वादशी तिथि के शुभ मुहूर्त में ही करें।
- 7 जून 2025 को पारण का शुभ मुहूर्त सुबह 05 बजकर 26 मिनट से सुबह 08 बजकर 11 मिनट तक रहेगा।
- सबसे पहले थोड़ा जल और तुलसी दल/चरणामृत ग्रहण करें। इसके बाद, चावल का सेवन करके ही व्रत तोड़ना चाहिए।
- यह एकादशी व्रत का पूर्ण फल देता है। चावल के बाद अन्य सात्विक भोजन ग्रहण करें (प्याज, लहसुन आदि से मुक्त)।
- निर्जला एकादशी का व्रत श्रद्धा और भक्ति भाव से करने से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलकर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।