सिर और गर्दन के कैंसर मरीजों के लिए रिकवरी में मदद करते हैं ये तरीके, डॉक्टर ने बताया

लाइफस्टाइल डेस्क { गहरी खोज }: सिर और गर्दन में कैंसर के मरीजों को अपनी विशेष देखभाल करने की जरूरत होती है। कैंसर के इलाज के बाद रिकवरी का भी विशेष ध्यान रखने की जरूरत होती है। इससे मरीजों को काफी फायदा होता है। इन मरीजों को रिकवरी के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इस बारे में एक्सपर्ट ने बताया है। रिकवरी के दौरान सबसे जरूरी है कि खानपान का विशेष ध्यान रखें। क्योंकि बीमारी से रिकवरी के दौरान सही पोषण का होना जरूरी है।
साकेत मैक्स अस्पताल में हेड और नेक कैंसर विभाग में डॉ. अक्षत मलिक बताते हैं कि सिर और गर्दन के कैंसर से ठीक होना एक जटिल प्रक्रिया है, जिसमें शारीरिक, मानसिक और सामाजिक चुनौतियाँ शामिल होती हैं। इस दौरान मरीज को परिवार, देखभाल करने वालों और स्वास्थ्य विशेषज्ञों का सहयोग बेहद जरूरी होता है, जिससे वह न केवल स्वास्थ्य को दोबारा पा सके, बल्कि आत्मनिर्भरता और जीवन की गुणवत्ता भी बनाए रख सके। यहां हम सात ऐसे प्रभावी उपाय बता रहे हैं, जो सिर और गर्दन के कैंसर से जूझ चुके मरीजों की रिकवरी को बेहतर बना सकते हैं।
नियमित फिजियोथेरेपी कराएं
इलाज के बाद गर्दन और कंधों की गति को बहाल करने, निगलने और बोलने की क्षमता सुधारने के लिए फिजियोथेरेपी और विशेष पुनर्वास कार्यक्रम बेहद जरूरी होते हैं। फिजियोथेरेपिस्ट द्वारा तैयार की गई व्यक्तिगत एक्सरसाइज़ प्लान से दर्द कम किया जा सकता है, ताकत बढ़ाई जा सकती है और रिकवरी की प्रक्रिया को तेज किया जा सकता है।
2. पोषण और आहार सलाह प्रदान करें
इलाज के बाद निगलने में तकलीफ (डिस्फेज़िया) आम समस्या है। ऐसे में डाइटीशियन मरीज की स्थिति के अनुसार एक खास डाइट प्लान बना सकता है, जिसमें शुरुआत में मुलायम या प्यूरी फूड दिए जाते हैं और धीरे-धीरे सामान्य आहार की ओर बढ़ा जाता है। पर्याप्त कैलोरी और प्रोटीन लेना ज़रूरी होता है ताकि घाव जल्दी भरें, ताकत बनी रहे और सम्पूर्ण सेहत सुधरती है। नियमित चिकित्सा जांच और निगरानी को बढ़ावा दें। इलाज के बाद नियमित रूप से ऑन्कोलॉजिस्ट और सर्जनों से मिलना जरूरी होता है ताकि रिकवरी की निगरानी की जा सके, किसी भी साइड इफेक्ट को समय रहते पहचाना जा सके और यदि बीमारी दोबारा हो, तो उसका तुरंत इलाज हो सके। जरूरत पड़ने पर डॉक्टर अन्य विशेषज्ञों जैसे SLP या डाइटीशियन के पास भी रेफर कर सकते हैं।
मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य का ख्याल रखें
कैंसर के दौरान या इलाज के बाद जब बोलने, खाने या चेहरे की बनावट में बदलाव होता है, तो मानसिक तनाव और सामाजिक अलगाव बढ़ सकता है। ऐसे में भावनात्मक समर्थन, खुलकर बातचीत करने की प्रेरणा और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों या सपोर्ट ग्रुप से संपर्क कराना बेहद मददगार साबित हो सकता है।