मुंबई की अदालत ने पहली बार बीएनएस के तहत पांच आरोपियों को ठहराया दोषी

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मुंबई{ गहरी खोज }: मुंबई की एक स्थानीय अदालत ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 112 के तहत पहली बार आरोपियों को दोषी करार देते हुए सजा सुनायी है। अदालत ने इस मामले में एक संगठित मोबाइल फोन चोर गिरोह के पांच सदस्यों को एक वर्ष के सश्रम कारावास और प्रत्येक को 5,000 रुपये का जुर्माना लगाया।
अधिवक्ता ने सोमवार को यह जानकारी दी।
अभियुक्तों को सजा सुनाते समय स्थानीय गिरगाम अदालत ने नए कानूनी प्रावधानों के तहत जब्त संपत्ति और इलेक्ट्रॉनिक पंचनामा सहित डिजिटल साक्ष्य को मान्य किया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार वर्ष 2024 में अनंत चतुर्दशी के अवसर पर जब गणपति विसर्जन के लिए मुंबई में भारी भीड़ जमा हुई, तो भीड़ का फायदा उठाकर एक गिरोह के सदस्यों ने कथित तौर पर कई मोबाइल फोन चुरा लिए। शिकायतकर्ता बसीर सादिक शेख की शिकायत के बाद इस मामले में 20 सितंबर 2024 को वीपी रोड पुलिस थाने में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 303(2) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
पुलिस उपायुक्त (जोन 2) डॉ. मोहित कुमार गर्ग ने अपराध की संगठित प्रकृति को देखते हुए छह पुलिस थानों- वीपी रोड, डीबी मार्ग, एलटी मार्ग, गामदेवी, मालाबार हिल और अन्य के अधिकारियों की एक विशेष टीम बनाई।
खुफिया सूचना और तकनीकी निगरानी के आधार पर, टीम ने मुंबई और महाराष्ट्र के बाहर से पांच आरोपियों-संजय रमन खरवा, संजय सुरेश खरवा, सुमेश लोहाकरे, लालटू डे और आकाश मेहरा को गिरफ्तार किया।
खुफिया सूचना और तकनीकी निगरानी के आधार पर टीम ने मुंबई और महाराष्ट्र के बाहर से पांच आरोपियों संजय रमन खारवा, संजय सुरेश खारवा, सुमेश लोहाकरे, लालटू डे और आकाश मेहरा को गिरफ्तार किया। जांच के दौरान, पुलिस ने आरोपियों से चोरी के 42 मोबाइल फोन और एक मोटरसाइकिल बरामद की। यह भी पता चला कि आरोपियों का पहले भी इसी तरह के अपराध करने का इतिहास रहा है।

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