स्टालिन ने राष्ट्रपति के खिलाफ कानूनी लड़ाई में आठ मुख्यमंत्रियों से मांगा समर्थन

चेन्नई{ गहरी खोज } : तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन ने रविवार को गैर-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासित आठ राज्यों के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर राष्ट्रपति द्वारा राज्य विधानसभाओं में पारित विधेयकों को मंजूरी देने के लिए राज्यपालों और राष्ट्रपति के लिए समय सीमा तय करने के शीर्ष न्यायालय के समक्ष उठाए गए सवालों के खिलाफ कानूनी लड़ाई में उनका समर्थन मांगा।
श्री स्टालिन ने पत्र में उनसे संघवाद और राज्य की स्वायत्तता को बनाए रखने के लिए इसका कड़ा विरोध करने और आगामी कानूनी लड़ाई में एकजुट होने का आग्रह किया है। उन्होंने न्यायालय के समक्ष एक समन्वित कानूनी रणनीति विकसित करने और संविधान के मूल ढांचे को संरक्षित तथा सुरक्षित रखने के लिए एकजुट मोर्चा बनाने का भी आह्वान किया।
गौरतलब है कि तमिलनाडु विधानसभा में पारित विधेयकों को मंजूरी देने में अत्यधिक देरी को लेकर राज्यपाल आर एन रवि के खिलाफ राज्य सरकार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष न्यायालय ने राज्यपालों द्वारा भेजे गये विधेयकों पर मंजूरी देने को लेकर राष्ट्रपति के लिए समय सीमा निर्धारित कर दी थी।
उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ने केंद्र सरकार की सलाह पर गत 13 मई को संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत सर्वोच्च न्यायालय के सलाहकार क्षेत्राधिकार का आह्वान किया है और न्यायालय के समक्ष 14 प्रश्न उठाए हैं। हालांकि संदर्भ में किसी राज्य या निर्णय का विशेष रूप से उल्लेख नहीं किया गया है, लेकिन इसका उद्देश्य तमिलनाडु राज्य बनाम तमिलनाडु के राज्यपाल के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए कानून और संविधान की व्याख्या पर सवाल उठाना है।
श्री स्टालिन ने कहा कि भाजपा सरकार ने संदर्भ मांगने के लिए दबाव डाला है, जो उनके भयावह इरादे की ओर इशारा करता है। उन्होंने कहा, “इस महत्वपूर्ण मोड़ पर मैंने सभी राज्य सरकारों और क्षेत्रीय दलों के नेताओं से जो भाजपा के विरोधी हैं और हमारे संघीय ढांचे तथा राज्य की स्वायत्तता को संरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, आगामी कानूनी लड़ाई में एकजुट होने का आह्वान किया था।’
उन्होंने कहा, “मैं अब आपको व्यक्तिगत रूप से यह अनुरोध करने के लिए लिख रहा हूं कि आप राष्ट्रपति द्वारा शीर्ष न्यायालय के समक्ष मांगे गए इस संदर्भ का विरोध करें। हमें न्यायालय के समक्ष एक समन्वित कानूनी रणनीति विकसित करनी चाहिए और संविधान के मूल ढांचे को संरक्षित तथा सुरक्षित रखने के लिए एक संयुक्त मोर्चा पेश करना चाहिए, जैसा कि हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने अपने ऐतिहासिक फैसले में बरकरार रखा है। मैं इस महत्वपूर्ण मुद्दे में आपके तत्काल और व्यक्तिगत हस्तक्षेप की आशा करता हूं।”