क्या पाकिस्तान के पास परमाणु हथियार सुरक्षित हैं:राजनाथ

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श्रीनगर{ गहरी खोज } :रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार को कहा कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) की निगरानी में होने चाहिए, क्योंकि यह एक “गैर-जिम्मेदार और असभ्य राष्ट्र” के हाथों में सुरक्षित नहीं हैं।
रक्षा मंत्री ने सवाल किया कि क्या पाकिस्तान जैसे देश के पास परमाणु हथियारों का भंडार सुरक्षित हो सकता है?श्री सिंह ने यह बयान हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद दिया, जिसमें भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है।
रक्षा मंत्री श्रीनगर स्थित बादामी बाग में सेना के 15 कोर मुख्यालय में सैनिकों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि देश अपने पड़ोसी के “परमाणु ब्लैकमेल” से नहीं डरेगा।उन्होंने कहा, “आतंकवाद के खिलाफ भारत के दृढ़ संकल्प का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह पाकिस्तान के परमाणु ब्लैकमेल से विचलित नहीं हुआ है। दुनिया ने देखा है कि इस्लामाबाद ने कितनी गैर-जिम्मेदाराना तरीके से नयी दिल्ली के खिलाफ परमाणु धमकी दी है।”
उन्होंने कहा, “मैं दुनिया के सामने यह सवाल उठाता हूं: क्या परमाणु हथियार ऐसे गैरजिम्मेदार और दुष्ट राष्ट्र के हाथों में सुरक्षित हैं? पाकिस्तान के परमाणु हथियारों को अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की निगरानी में ले जाना चाहिए।”रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर को इतिहास में आतंकवाद के खिलाफ भारत द्वारा की गई सबसे बड़ी कार्रवाई करार दिया। यह आतंकवाद को खत्म करने के लिए किसी भी हद तक जाने की देश की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
उन्होंने कहा,“ऑपरेशन सिंदूर भारत द्वारा न केवल रक्षा करने, बल्कि जरूरत पड़ने पर साहसिक फैसले लेने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह हर सैनिक का सपना था कि हम हर आतंकवादी ठिकाने तक पहुंचेंगे और उन्हें नष्ट करेंगे। आतंकवादियों ने भारतीयों को उनके धर्म के आधार पर मारा, हमने उन्हें उनके कर्मों के लिए मारा। उन्हें खत्म करना हमारा धर्म था। हमारी सेना ने उनके गुस्से को सही दिशा दी और पहलगाम का बदला बहुत साहस और विवेक के साथ लिया।”
उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने पाकिस्तान में छिपे आतंकवादी संगठनों और उनके आकाओं को एक जोरदार और स्पष्ट संदेश दिया है कि वे कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। उन्होंने कहा, “हमारी सेना ने दुनिया को दिखा दिया है कि उनका निशाना सटीक है।”
रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति को नए सिरे से परिभाषित किया है, जिसके तहत अब भारतीय धरती पर किसी भी हमले को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा।उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने हमेशा शांति को प्राथमिकता दी है और कभी युद्ध का समर्थन नहीं किया है, हालांकि, जब इसकी संप्रभुता पर हमला होता है, तो इसका जवाब देना जरूरी होता है।
उन्होंने कहा, “अगर पाकिस्तान आतंकवाद का समर्थन करना जारी रखता है, तो उसे और भी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।”
श्री सिंह ने कहा कि पहलगाम की घटना के जरिए भारत की सामाजिक एकता को तोड़ने की कोशिश की गई और सशस्त्र बलों ने दुश्मन के दिल पर वार करके आतंकवादी हमले का जवाब दिया। उन्होंने करीब 21 साल पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सामने पाकिस्तान की उस घोषणा को याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि अब उसकी धरती से आतंकवाद का निर्यात नहीं किया जाएगा।
रक्षा मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान भारत को धोखा देता रहा है और उसे भारत विरोधी और आतंकवादी संगठनों को पनाह देना बंद करना चाहिए। उसे अपनी जमीन का इस्तेमाल देश के खिलाफ नहीं होने देना चाहिए।
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान ऐसी स्थिति में पहुंच गया है, जहां उसने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कर्ज मांगा है, जबकि भारत उन देशों की श्रेणी में आता है, जो आईएमएफ को धन मुहैया कराते हैं, ताकि वे गरीब देशों की मदद कर सकें।”श्री सिंह ने दोहराया कि सीमा पार से कोई भी अनुचित कार्रवाई नहीं होनी चाहिए, जो दोनों देशों के बीच बनी समझ का आधार है। उन्होंने प्रधानमंत्री के विचारों को दोहराया कि आतंकवाद और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकते और अगर बातचीत होगी, तो वह केवल आतंकवाद और पीओके पर होगी।
रक्षा मंत्री ने पहलगाम आतंकवादी हमले में मारे गए नागरिकों और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान सर्वोच्च बलिदान देने वाले सैनिकों को श्रद्धांजलि दी।श्री सिंह ने सीमा पार पाकिस्तानी चौकियों को नष्ट करने के लिए सशस्त्र बलों की प्रशंसा की और इसे दुश्मन को एक कड़ा संदेश बताया। उन्होंने कहा, “भारत के लोगों को हमारी सेना पर गर्व है।”
उन्होंने नियंत्रण रेखा और वास्तविक नियंत्रण रेखा पर उन्नत हथियारों, स्वदेशी उपकरणों और बेहतर बुनियादी ढांचे के साथ सेना के आधुनिकीकरण के लिए सरकार की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
श्री सिंह ने सशस्त्र बलों को राष्ट्र के अटूट समर्थन का आश्वासन दिया और सैन्य सहयोग से आतंकवाद को खत्म करने की भारत की क्षमता पर विश्वास व्यक्त किया। इस अवसर पर जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी और भारतीय सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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