संस्कृत का उत्थान भारत के उत्थान के साथ जुड़ा है: शाह

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नयी दिल्ली { गहरी खोज }: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि भारत की अधिकतर भाषाओं की जननी संस्कृत ही है, इसलिए संस्कृत का उत्थान भारत के उत्थान के साथ जुड़ा है।
श्री शाह रविवार को यहां 1008 संस्कृत सम्भाषण शिविरों के सामूहिक समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में शामिल हुए। इस अवसर पर दिल्ली की मुख्यमंत्री श्रीमती रेखा गुप्ता सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
श्री शाह ने कहा कि संस्कृत भारती ने 1008 संस्कृत सम्भाषण शिविरों के आयोजन का एक बहुत साहसिक काम किया है। संस्कृत के ह्रास की शुरूआत गुलामी के कालखंड से पहले ही हो गई थी और इसके उत्थान में भी समय लगेगा। उन्होंने कहा कि आज देश में संस्कृत के उत्थान के लिए अनुकूल वातावरण उपलब्ध है। चाहे सरकार हो, जनता हो या सोच हो, ये सभी संस्कृत और संस्कृत के उत्थान के प्रति कटिबद्ध और वचनबद्ध हैं।
उन्होंने कहा कि संस्कृत भारती 1981 से संस्कृत में उपलब्ध ज्ञान के भंडार को विश्व के सामने रखने, लाखों लोगों को संस्कृत बोलने और संस्कृत में प्रशिक्षित करने का काम कर रही है। दुनिया के कई महान विचारकों ने संस्कृत को सबसे वैज्ञानिक भाषा के रूप में स्वीकार किया है। अब संस्कृत के ह्रास के इतिहास को स्मरण करने की जगह संस्कृत के उत्थान के लिए काम करना चाहिए।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार की नयी शिक्षा नीति में इंडियन नॉलेज सिस्टम पर फोकस किया गया है और इसका बहुत बड़ा वर्टिकल संस्कृत है। राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान को केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में अपग्रेड किया गया है। मोदी सरकार ने प्राकृत और संस्कृत में बिखरी हुई पांडुलिपियों को एकत्रित करने के लिए लगभग 500 करोड़ के बजट से एक अभियान चलाने का किया है। पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए 500 करोड़ रूपए के आधार कोष के साथ ज्ञानभारतम मिशन की शुरूआत की गई है और हर बजट में इसके लिए एक निश्चित राशि आवंटित की जाएगी। अब तक 52 लाख से अधिक पांडुलिपियों का डॉक्यूमेंटेशन, साढ़े तीन लाख पांडुलिपियों का डिजिटलीकरण किया गया है औऱ नमामी.जीओवी.इन पर 1,37,000 पांडुलिपियां उपलब्ध कराई गई हैं। दुर्लभ पांडुलिपियों का अनुवाद और उनके संरक्षण के लिए हर विषय और भाषा के विद्वानों की टीम गठित की गई है।
श्री शाह ने कहा कि संस्कृत भारती 1981 से जो काम करता आ रहा है, उसकी मिसाल ढूंढना कठिन है। संस्कृत के उत्थान, प्रचार-प्रसार और इसमें उपलब्ध ज्ञान को संकलित कर सरल रूप में लोगों के सामने रखने में ही दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान निश्चित रूप से मिल सकता है। संस्कृत भारती ने 1981 से लेकर अब तक 1 करोड़ लोगों को संस्कृत बोलने से परिचित कराने का काम किया है ।
केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज यहां 1008 संस्कृत संभाषण शिविरों का समापन हुआ है। इसके तहत 23 अप्रैल से लेकर 10 दिन तक 17 हज़ार से ज़्यादा लोगों का संस्कृत से परिचय हुआ और उन्होंने संस्कृत बोलने का अभ्यास भी किया जिससे लोगों की रुचि संस्कृत में बढ़ेगी।
श्री शाह ने कहा कि संस्कृत भारत की आस्था, परंपरा, सत्य, नित्य और सनातन है। ज्ञान और ज्ञान की ज्योति संस्कृत में ही समाहित है। भारत की अधिकतर भाषाओं की जननी संस्कृत ही है और इसीलिए संस्कृत को आगे बढ़ाने का काम न सिर्फ संस्कृत के बल्कि भारत के उत्थान के साथ भी जुड़ा है।

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