अक्षय तृतीया के दिन जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, बरसेगी मां लक्ष्मी की कृपा!

0
akshaya-tritiya-katha-in-hindi

धर्म { गहरी खोज } : अक्षय तृतीया को आखा तीज के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन को बहुत शुभ और फलदायी माना गया है। अक्षय तृतीया के दिन शुभ कार्य और सोना-चांदी की खरीदारी किए जाने की परंपरा है। अक्षय तृतीया के दिन खरीदी गई हर चीज का कई गुना ज्यादा फल मिलता है। आज यानी 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया मनाई जा रही है। इस दिन कई लोग व्रत रखते हैं और इसकी कथा का पाठ भी करते हैं। आइए पढ़ते हैं अक्षय तृतीया की कथा।

अक्षय तृतीया क्यों मनाई जाती है?
अक्षय तृतीया हर साल वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। यह तिथि इसलिए खास होती है, क्योंकि इस दिन किए गए सभी शुभ कार्य अक्षय फल देते हैं यानी उनका फल कभी खत्म नहीं होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु-माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है और सोना खरीदना भी शुभ माना गया है।

अक्षय तृतीया की कथा
अक्षय तृतीया की पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में एक छोटे से गांव में धर्मदास नामक एक गरीब वैश्य रहता था, जो हमेशा अपने परिवार का पेट पालने के लिए चिंतित रहता था और मेहनत करता रहता था। धर्मदास बहुत धार्मिक स्वभाव का व्यक्ति था। उसका पूजा-पाठ में बहुत मन लगता था। एक दिन उसने रास्ते में जाते समय कुछ ऋषियों के मुंह से अक्षय तृतीया व्रत की महिमा के बारे में सुना। इसके बाद से उसने भी अक्षय तृतीया के दिन व्रत रखकर दान-पुण्य करने के बारे में सोचा।

जब वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया आई तो धर्मदास ने उस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगा में स्नान किया और देवताओं की पूजा कर विधिपूर्वक व्रत रखा। इसके साथ ही, अपने सामर्थ्य के अनुसार जल से भरे घड़े, पंखे, नमक, जौ, चावल, सत्तू, गेंहू, गुड़, घी, दही और कपड़े आदि चीजों का दान किया। इसके बाद से जब भी अक्षय तृतीया का पर्व आया, तब-तब उसने पूरी श्रद्धा से व्रत रखकर दान-पुण्य किया।

ऐसा कहा जाता है कि लगातार अक्षय तृतीया व्रत रखने और इस दिन दान-पुण्य करने से यही वैश्य अगले जन्म में कुशावती का राजा बना। दूसरे जन्म में धर्मदास इतना धनी और प्रतापी राजा बना कि अक्षय तृतीया के शुभ दिन पर त्रिदेव तक उसके दरबार में ब्राह्मण का वेष धारण करके आते थे और उसके महायज्ञ में शामिल होते थे।

लेकिन इतना संपन्न होने के बाद भी उसे अपनी श्रद्धा और भक्ति का घमंड नहीं था और वह हमेशा धर्म के मार्ग पर चलता रहा। ऐसा माना जाता है कि यही राजा आगे के जन्मों में भारत के प्रसिद्ध सम्राट चंद्रगुप्त के रूप में पैदा हुआ थी। धार्मिक मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन जो भी इस कथा सुनता या पढ़ता है और विधि विधान से पूजा-दान आदि कार्य करता है, उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, उस व्यक्ति के जीवन में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *