फोनपे जैसा नकली एप बनाकर दुकानदारों से ठगी, दो युवक गिरफ्तार, एक फरार

बरेली{ गहरी खोज } : उत्तर प्रदेश के बरेली जिले से एक बेहद हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। बता दें कि साइबर ठगों ने धोखाधड़ी का एक ऐसा तरीका अपनाया, जिससे हर कोई हैरान है। आरोपियों ने फोनपे जैसा दिखने वाला एक नकली ऐप बनाया और दुकानदारों को झांसा देकर उनसे सामान ले लिया, लेकिन असली में कोई भुगतान हुआ ही नहीं।
आपको बता दें कि यह मामला तब सामने आया जब फतेहगंज बाजार के प्रियदर्शी मेडिकल स्टोर के संचालक संयम प्रियदर्शी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। उन्होंने बताया कि 17 अप्रैल 2025 को दो युवक उनकी दुकान पर आए और 1140 रुपये की दवाइयां खरीदीं। युवकों ने कहा कि उन्होंने फोनपे से पेमेंट कर दिया है और एक स्क्रीनशॉट भी दिखाया जिसमें “पेमेंट सक्सेसफुल” लिखा था। लेकिन जब दुकानदार ने अपने बैंक खाते की जांच की, तो उसमें कोई पैसा नहीं आया था। इस शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दोनों आरोपियों को पकड़ लिया।
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार गिरफ्तार किए गए दोनों युवक फरीदपुर के महादेव मोहल्ले के निवासी हैं। उनकी पहचान समर्थ सिंह उर्फ क्रिस तोमर (19 वर्ष) और चाणक्य नईर उर्फ आदि गुप्ता (19 वर्ष) के रूप में हुई है। समर्थ सिंह के पिता रियल एस्टेट का काम करते हैं, लेकिन वे अपनी पत्नी और बेटे से अलग रहते हैं। चाणक्य के पिता का निधन हो चुका है और वह अपनी नानी के साथ रहता है। चाणक्य एक मेडिकल स्टोर में काम करता था, जिससे उसे पेमेंट सिस्टम की जानकारी मिली। इन दोनों युवकों ने तकनीकी जानकारी का गलत इस्तेमाल कर फर्जी ऐप बनाया और लोगों को ठगने लगे।
फतेहगंज की घटना के अलावा, फरीदपुर कस्बे में गुड्डू नाम के एक किराना दुकानदार भी इस तरह की ठगी का शिकार हुए। कुछ युवकों ने उनकी दुकान से 160 रुपये का सामान लिया और क्यूआर कोड स्कैन कर नकली ऐप से पेमेंट का फर्जी स्क्रीनशॉट दिखाया। बाद में पता चला कि असल में कोई पैसा आया ही नहीं। इसके बाद गुड्डू ने कहा कि अब वह सिर्फ नकद भुगतान ही स्वीकार करते हैं।
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने कबूल किया कि उन्होंने एक ऐसा ऐप बनाया था जो देखने में बिल्कुल फोनपे जैसा लगता था। वे दुकानों पर जाकर क्यूआर कोड स्कैन करते और नकली ऐप से “पेमेंट सक्सेसफुल” का स्क्रीन दिखा देते। दुकानदारों को लगता कि पैसा आ गया है, लेकिन असल में कोई ट्रांजेक्शन होता ही नहीं था।
पुलिस ने बताया कि पूछताछ में आरोपियों ने माना है कि उन्होंने अब तक 30 से ज्यादा दुकानदारों से इसी तरीके से ठगी की है। पुलिस को शक है कि ठगी का दायरा और भी बड़ा हो सकता है, इसलिए अन्य पीड़ितों से संपर्क किया जा रहा है।
इस गिरोह का तीसरा साथी युवराज सिंह चौहान अब भी फरार है। पुलिस ने उसकी तलाश शुरू कर दी है। साथ ही आरोपियों के मोबाइल और डिजिटल सबूतों की जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि उन्होंने यह ऐप कैसे बनाया और कितने लोगों को इसका शिकार बनाया।
फतेहगंज पूर्वी थाने के प्रभारी संतोष कुमार के नेतृत्व में पुलिस ने इस मामले में मुकदमा संख्या 152/2025, धारा 318(4) बीएनएस के तहत केस दर्ज किया है। एसपी दक्षिण आंशिका वर्मा ने कहा कि पुलिस ऐसे मामलों को गंभीरता से ले रही है और दुकानदारों व आम जनता से अपील की है कि वे ऑनलाइन पेमेंट के बाद तुरंत अपने बैंक खाते में पैसा आने की पुष्टि जरूर करें।