सिंधु नहर परियोजना को लेकर हो रहा प्रदर्शन, रेल और सड़क मार्ग किए जाम

0
4540275-1

इस्लामाबाद/खैरपुर{ गहरी खोज }: पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सिंधु नहर परियोजना के खिलाफ जनाक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा। रविवार को खैरपुर के पास हजारों प्रदर्शनकारियों ने रेलवे लाइन पर डेरा डाल दिया, जिससे पंजाब जाने वाली सभी ट्रेनों को बीच रास्ते में ही रोकना पड़ा। केवल रेल मार्ग ही नहीं, सड़कों पर भी भारी जाम देखा गया। जगह-जगह प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रीय राजमार्गों को अवरुद्ध कर दिया, जिससे सिंध और पंजाब के बीच आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया।
विवाद की जड़ में है पाकिस्तान सरकार की महत्वाकांक्षी “चोलिस्तान परियोजना”, जिसके अंतर्गत दक्षिण पंजाब की बंजर भूमि को सिंचित करने के लिए 3.3 अरब डॉलर की लागत से छह नई नहरों का निर्माण प्रस्तावित है। लेकिन सिंध की जनता और राजनीतिक पार्टियां इसे एकतरफा और भेदभावपूर्ण फैसला मान रही हैं, जिससे सिंध को सिंधु नदी से मिलने वाले जल में कटौती का डर सता रहा है।
प्रदर्शन की अगुवाई करने वाले स्थानीय नेताओं और राष्ट्रवादी संगठनों का कहना है कि यह परियोजना सिंध की उपजाऊ जमीनों को बंजर बना देगी और यहां की कृषि व्यवस्था को गहरा झटका लगेगा। सिंध के विभिन्न जिलों—जमशोरो, लरकाना, नवाबशाह, सुजावल, और घोटकी में हालात इतने बिगड़ गए कि बाजार, स्कूल, पेट्रोल पंप और यहां तक कि अदालतों में भी कामकाज ठप हो गया।
हड़ताल का दायरा वकीलों तक भी पहुंच गया है। लगातार तीसरे दिन सिंध के अधिवक्ताओं ने विरोध स्वरूप धरना जारी रखा। मीठी के रहने वाले हनीफ शमोन ने बताया, “यह सिंध के इतिहास का अब तक का सबसे व्यापक विरोध बन चुका है। आम लोग, दुकानदार, किसान और वकील सभी एकजुट हो गए हैं।हालांकि कुछ घंटों के बाद रेल सेवा बहाल कर दी गई, लेकिन पूरे प्रांत में अस्थिरता और जनाक्रोश बरकरार है। सिंध की सत्तारूढ़ सहयोगी पार्टी पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने भी इस परियोजना पर आपत्ति जताते हुए चेतावनी दी है कि यदि इसे वापस नहीं लिया गया, तो वे संघीय सरकार से समर्थन वापस ले सकते हैं।
सरकार का कहना है कि यह योजना ग्रीन पाकिस्तान इनिशिएटिव का हिस्सा है, जिससे देश की कृषि क्षमता को बढ़ावा मिलेगा। मगर सिंध को आशंका है कि इससे उनके पानी के हिस्से पर चोट पहुंचेगी। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या सरकार जनभावनाओं के दबाव में झुकती है या फिर योजना को किसी संशोधन के साथ आगे बढ़ाती है। फिलहाल तो सिंध जल संकट के बहाने एक बड़े सामाजिक-राजनीतिक उबाल से गुजर रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *