इंफोसिस ने सरकारी जांच के बीच 370 प्रशिक्षुओं को निकाला, एनआईटीईएस ने की शिकायत

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बेंगलुरु{ गहरी खोज } : नैसेंट इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एम्प्लॉइज सीनेट (एनआईटीईएस) ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र की दिग्गज कंपनी इंफोसिस लिमिटेड पर राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना (एनएटीएस) के तहत नामांकित 370 प्रशिक्षुओं को अवैध और अनैतिक तरीके से हटाने का आरोप लगाते हुए कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय में इसकी शिकायत दर्ज कराई है।
यह कदम ऐसे समय उठाया गया है, जब अक्टूबर 2024 में 700 से अधिक प्रशिक्षुओं की छंटनी से जुड़ी सरकारी जांच अभी भी जारी है। वर्तमान में यह जांच बोर्ड ऑफ प्रैक्टिकल ट्रेनिंग (पूर्वी क्षेत्र) द्वारा की जा रही है, जहां प्रशिक्षु पहले ही दस्तावेजी सबूत सौंप चुके हैं।
एनआईटीईएस के अध्यक्ष और अधिवक्ता हरप्रीत सिंह सलूजा ने आरोप लगाया कि इंफोसिस ने एक बार फिर वही गलती दोहराई है। उन्होंने कहा, “370 और प्रशिक्षुओं को बिना किसी कानूनी औचित्य, पूर्व सूचना या उचित प्रक्रिया के निकाला गया, जिससे यह स्पष्ट है कि कंपनी भारत के कानूनी ढांचे की अनदेखी कर रही है।” शिकायत में यह भी दावा किया गया है कि प्रभावित प्रशिक्षुओं को ‘आपसी अलगाव’ समझौतों पर हस्ताक्षर करने के लिए बाध्य किया गया, जिससे अनैतिक बर्खास्तगी को वैध रूप देने की कोशिश की गई।
श्री सलूजा ने इस प्रथा को “कॉर्पोरेट अहंकार” करार देते हुए कहा कि यह न केवल श्रम कानूनों की अवहेलना है बल्कि राष्ट्रीय प्रशिक्षुता कार्यक्रम के उद्देश्य को भी कमजोर करती है, जो युवाओं को कौशल विकास और स्थायी रोजगार का अवसर देने के लिए बनाया गया था।
सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए एनआईटीईएस ने कहा है कि यह सिर्फ एक कॉर्पोरेट नीति नहीं बल्कि युवाओं के अधिकारों और देश के भविष्य की रक्षा का मुद्दा है।

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