टैरिफ़ युद्ध छिड़ने से अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लाभ नहीं मिलेगा

वाशिंगटन{ गहरी खोज }: अमेरिका ने “पारस्परिक टैरिफ” के नाम पर अपने सभी व्यापारिक साझेदारों के विरुद्ध टैरिफ का युद्ध शुरू कर दिया। लेकिन, इस तथाकथित “पारस्परिक टैरिफ” का सार व्यापार का असमान तरीका है। जिस के सहारे अमेरिका अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर दबाव डालकर विनिर्माण को पुनः आकर्षित करना चाहता है। पर तथ्य यह साबित कर देंगे कि टैरिफ युद्ध अमेरिकी अर्थव्यवस्था की मदद नहीं कर सकता। यह केवल अन्य देशों के बीच में अधिक अंतरिक व्यापार को मजबूर किया जाएगा। इस तरह अमेरिका अलग-थलग पड़ जाएगा और डॉलर के प्रभुत्व को भी गहरा झटका लगेगा।
व्यापार युद्ध से किसी को भी लाभ नहीं होगा। अमेरिका का वर्तमान आर्थिक आधिपत्य द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हासिल हुआ, जब युद्ध के कारण यूरोपीय देशों की अर्थव्यवस्थाएं तबाह हो गईं, जबकि अमेरिका स्वयं युद्ध के विनाश से बच गया। लेकिन, अमेरिका की गलत नीतियों के कारण, बड़ी मात्रा में विनिर्माण को स्थानांतरित कर दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप अमेरिकी उद्योग खोखले हो गए हैं। यही है अमेरिकी आर्थिक समस्याओं का मूल कारण। हालाँकि, अमेरिका करों में वृद्धि करके अपनी समस्याओं को हल करने का प्रयास करता है। पर अमेरिका की नवीनतम टैरिफ नीति से प्रौद्योगिकी क्षेत्र सहित अमेरिकी कंपनियों को भारी झटका लग सकता है। मॉर्गन स्टेनली की एक शोध रिपोर्ट के अनुसार, “पारस्परिक टैरिफ” के कारण अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले प्रौद्योगिकी हार्डवेयर उत्पादों पर 25%-54% का टैरिफ लगेगा, जिससे अमेरिकी प्रौद्योगिकी उद्योग, जो विदेशी औद्योगिक श्रृंखलाओं पर निर्भर है, अभूतपूर्व संकट में पड़ जाएगा। उदाहरण के लिए, एप्पल, डेल और एचपी जैसी कंपनियों के लगभग सभी उत्पाद विदेशों में उत्पादित होते हैं, और उच्च टैरिफ नीतियों से इन कंपनियों को भारी नुकसान होगा।
टैरिफ बढ़ाने का अमेरिका का उद्देश्य अमेरिका को पुनः विश्व का विनिर्माण केंद्र बनाना है। उधर, अमेरिका की कर वृद्धि सभी व्यापारिक साझेदारों पर लक्षित है। इसका मूल कारण यह है कि अमेरिकी समाज की वर्ग संरचना बदल गयी है। अमेरिका लंबे समय से विश्व के धन और शक्ति पिरामिड के शीर्ष पर रहा है। देश में केवल उच्च-स्तरीय विनिर्माण का एक हिस्सा ही बरकरार रखा जाता है, तथा इसकी अर्थव्यवस्था मुख्यतः वित्त और सेवाओं पर आधारित है। इसलिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में अब कोई वास्तविक औद्योगिक कार्यबल नहीं है, तथा इसकी सामाजिक संरचना पर मध्यम वर्ग का प्रभुत्व है। हालाँकि, विश्व आर्थिक स्थिति में विकास और परिवर्तन के परिणामस्वरूप अमेरिकी समाज में 5%-10% लोगों के पास 70%-80% संपत्ति है, जबकि अधिकांश मध्यम वर्गीय परिवार धीरे-धीरे गरीब हो गए हैं। सामाजिक संरचना में परिवर्तन से उत्पन्न सामाजिक अशांति ही वह मूलभूत आंतरिक कारण है जिससे अमेरिका को टैरिफ युद्ध शुरू करना पड़ता है।
पर टैरिफ युद्ध के माध्यम से अपनी अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने की अमेरिकी रणनीति काम से नहीं चलेगी। आज, सभी उत्पाद एक बड़ी और जटिल वैश्विक औद्योगिक श्रृंखला पर निर्भर हैं। अमेरिका के लिए वैश्विक उत्पादन और आपूर्ति श्रृंखला से अलग होने का प्रयास करना अवास्तविक है, जिस पर वह लंबे समय से निर्भर रहा है। जबकि अमेरिका विदेशी कंपनियों के लिए व्यापार बाधाएं स्थापित करने की पूरी कोशिश कर रहा है, वहीं चीन एआई तकनीक से अपने विनिर्माण उद्योग का उन्नयन कर रहा है। चीन विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इंजीनियरिंग शिक्षा को बहुत महत्व देता है तथा हर साल लगभग 3.5 मिलियन ऐसे स्नातक तैयार करता है। साथ ही चीनी व्यावसायिक स्कूल हर साल हजारों इलेक्ट्रीशियन, वेल्डर और मैकेनिकों को प्रशिक्षित करते हैं, जो विश्व में प्रथम स्थान पर है। आर्थिक समृद्धि टैरिफ युद्ध छिड़ने के बजाय तकनीकी नवाचर करने पर ही निर्भर रहेगी।