रक्षा साहित्य महोत्सव में राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज } :सशस्त्र बलों, रणनीतिक नीति निर्माताओं, उद्योग जगत के प्रतिनिधियों और विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने मंगलवार को रक्षा साहित्य महोत्सव ‘कलम और कवच 2.0’ के दूसरे संस्करण में राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले रक्षा विनिर्माण , आत्मनिर्भरता, अधिग्रहण एवं खरीद सुधार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।
इसका विषय ‘रक्षा सुधारों के माध्यम से भारत के उत्थान को सुरक्षित करना’ था और इसका आयोजन रक्षा मंत्रालय के मुख्यालय एकीकृत स्टाफ के तत्वावधान में सेंटर फॉर जॉइंट वारफेयर स्टडीज ने पेंटागन प्रेस के सहयोग से मानेकशॉ सेंटर में किया था।
इस कार्यक्रम में रक्षा प्रौद्योगिकी और भविष्य के युद्ध, विशेष रूप से रक्षा विनिर्माण , अधिग्रहण और खरीद सुधारों के प्रमुख पहलुओं पर प्रकाश डाला गया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय सुरक्षा, कूटनीति और विकास के लिए रणनीतिक रोडमैप तैयार करने पर ध्यान केंद्रित किया गया। इसमें भूमि, वायु, समुद्र, साइबर और अंतरिक्ष को शामिल करने के लिए बहु-डोमेन और क्रॉस-डोमेन परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने, विशिष्ट प्रौद्योगिकियों को अपनाने में हुई प्रगति को भी शामिल किया गया। एजेंडे में समकालीन समुद्री सुरक्षा प्रतिमान, भविष्य की चुनौतियाँ और युद्ध क्षमता को आगे बढ़ाने के लिए आगे का रास्ता भी शामिल था।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वर्ष 2025 को ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित किया है जो सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से उन्नत, युद्ध के लिए तैयार बल में बदलने के उद्देश्य से एक परिवर्तनकारी वर्ष है। यह दृष्टिकोण बहु-डोमेन, एकीकृत संचालन के लिए राष्ट्र की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है और रक्षा सुधारों, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को सुविधाजनक बनाने और सार्वजनिक-निजी भागीदारी में सुधार के लिए एक मिशन-मोड दृष्टिकोण पर जोर देता है।

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