देश को आज कांग्रेस की जरुरत:गहलोत

जयपुर ; राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत ने देश को आज कांग्रेस की जरुरत बताते हुए कहा है कि आज देश में फास्सिटी एवं लोकतंत्र के विरोधी सोच का मुकाबला करने के लिए एक मात्र कांग्रेस हैं और उसे मजबूत करने के प्रयास किए जा रहे हैं और उसका असर देखने को मिलेगा।
श्री गहलोत ने समाजसेवी महात्मा ज्योबा फुले जयंती पर शुक्रवार को यहां उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण करने के बाद मीडिया से बातचीत में कांग्रेस के गुजरात अधिवेशन के सवाल पर यह बात कही। उन्होंने कहा कि बहुत शानदार अधिवेशन हुआ, प्रस्ताव पास भी हुए और कांग्रेस को नए रूप में देखेंगे जो फैसले किए हैं वो फैसले लागू भी होंगे। उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि आज देश को कांग्रेस की जरूरत है। कांग्रेस की विचारधारा की जरुरत है और कांग्रेस मजबूत होकर उभरे, क्योंकि आज जो धमकी देते हैं लोग, देशद्रोही करार देते हैं पत्रकारों और साहित्यकारों को, कोई विपक्ष में बोल जाए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के तो ये उनके लिए देशद्रोही है, ये क्या है यह फास्सिटी सोच है, यह लोकतंत्र विरोधी सोच है, इन सबका मुकाबला करने के लिए एकमात्र पार्टी कोई देश में है उसका नाम कांग्रेस है।
श्री गहलोत ने कहा कि कांग्रेस को मजबूत करने के लिए पार्टी के हम सब लोग लगेंगे और उम्मीद करते है कि आने वाले वक्त के अंदर जो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एवं पार्टी नेता राहुल गांधी ने नया सोच विकसित किया है, नीचे से ऊपर तक बूथ पर भी, मंडल पर भी और जिलों में भी उसका असर देखने को मिलेगा।
इससे पहले उन्होंने कहा कि ज्योतिबा फुले, सावित्री बाई फूले जो है, उस जमाने अंदर जब महिलाओं को पढ़ाना ही पाप समझते थे, उस वक्त उन्होंने स्कूल भी खोली, समाज के तबकों का विरोध भी झेला, सावित्री बाई फूले ने भी और सावित्री बाई फुले को खुद को पढ़ाया महात्मा ज्योतिबा फुले ने तो वो ऐसा व्यक्तित्व था कि पूरे देश के अंदर उनकी चर्चा होती है। महाराष्ट्र के तो हरेक घर में हर गांव के अंदर उनके नाम की संस्थाएं बनी हुई हैं तो ये तभी हो सकता है जब त्याग की भावना से काम करें तो एक महापुरुष के रूप में वो स्थापित हो गए देश में, भीमराव अंबेडकर साहब तो उनको अपना गुरु मानते थे, महात्मा गांधी उनका बहुत सम्मान करते थे, ऐसे व्यक्तित्व का जब जन्मदिवस हो या पुण्यतिथि हो, तो पूरा समाज इक्कठा भी होता है, छत्तीस कौम के लोग आते हैं।