वक्फ एक्ट के खिलाफ TMC सांसद महुआ मोइत्रा भी पहुंचीं SC, अपनी याचिका में लगाए कई आरोप

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नयी दिल्ली{ गहरी खोज } : सांसद असदुद्दीन ओवैसी, AAP नेता अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, अरशद मदनी, ऑल केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और आरजेडी नेता मनोज कुमार झा भी वक्फ एक्ट के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका लगा चुके हैं।
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की वैधता को लेकर कई सांसदों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में लगातार चुनौती दी जा रही है। अब इस लिस्ट में एक और नाम जुड़ गया है। पश्चिम बंगाल की तेजतर्रार सांसद और तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा ने वक्फ अधिनियम को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का खिलाफ दरवाजा खटखटाया है।
इस बीच, मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की 3 जजों की बेंच ने कानून की वैधता को चुनौती देने वाली एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी की याचिका सहित 10 अन्य याचिकाओं पर अगले हफ्ते 16 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है।
महुआ से पहले उत्तर प्रदेश के संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क ने भी हाल ही में वक्फ मुद्दे पर ही शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी।
9 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका दायर करने वाली महुआ मोइत्रा ने कहा कि विवादास्पद वक्फ संशोधन में न केवल गंभीर प्रक्रियागत खामियां हैं, बल्कि संविधान में निहित कई मौलिक अधिकारों का भी घोर उल्लंघन किया गया है। याचिका के अनुसार, “यह प्रस्तुत किया गया है कि कानून बनाने की प्रक्रिया के दौरान संसदीय प्रथाओं के उल्लंघन ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 की असंवैधानिकता में योगदान दिया है।”
याचिका के अनुसार, संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के अध्यक्ष ने वक्फ संशोधन विधेयक पर जेपीसी की मसौदा रिपोर्ट पर विचार करने, अपनाने के चरण में और संसद के समक्ष उक्त रिपोर्ट को पेश करने के चरण में संसदीय नियमों और परंपराओं का उल्लंघन किया है।”
याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि विपक्षी सांसदों की असहमतिपूर्ण राय को कथित तौर पर 13 फरवरी को संसद में पेश अंतिम रिपोर्ट से बिना किसी औचित्य के ही हटा दिया गया। इस तरह की कार्रवाइयों ने संसद की विचार-विमर्श की प्रक्रिया को कमजोर कर दिया और आधिकारिक संसदीय प्रक्रिया नियमावली में उल्लिखित स्थापित मानदंडों का खुला उल्लंघन भी किया।
याचिका में दावा किया गया है कि नया कानून कथित तौर पर संविधान के अनुच्छेद 14, 15(1), 19(1)(ए) और (सी), 21, 25 और 26, 29 और 30 और अनुच्छेद 300 ए का उल्लंघन करता है। टीएमसी सांसद मोइत्रा ने प्रक्रियागत मामलों में बरती गई अनियमितताओं और संविधान के मूल उल्लंघनों का हवाला देते हुए इस कानून को पूरी तरह से रद्द करने की मांग की।
इससे पहले एआईएमआईएम नेता और सांसद असदुद्दीन ओवैसी, AAP नेता अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, अरशद मदनी, ऑल केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और आरजेडी नेता मनोज कुमार झा ने भी इस मुद्दे पर शीर्ष अदालत का रुख किया है।
इनके अलावा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड , जमीयत उलमा-ए-हिंद, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम और कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी और मोहम्मद जावेद भी इस मामले में अन्य प्रमुख याचिकाकर्ताओं में शामिल हैं।

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