तहव्वुर राणा को प्रत्यर्पण कर भारत लाया जाना मोदी सरकार की रणनीतिक उपलब्धि : भाजपा

नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 26/11 के आतंकी तहव्वुर राणा को प्रत्यर्पण कर भारत लाया जाना मोदी सरकार की बड़ी रणनीतिक एवं ऐतिहासिक उपलब्धि करार दिया है और कहा है कि कांग्रेस ने अपने शासन के दौरान वोटबैंक तुष्टिकरण के लिए आतंकियों पर कार्रवाई नहीं की जिसकी सजा आतंकवाद झेलने वाले निर्दोष लोगों को झेलनी पड़ी।
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने आज यहां पार्टी के केन्द्रीय कार्यालय में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया और 26/11 के आतंकी तहव्वुर राणा को प्रत्यर्पण कर भारत लाया जाना मोदी सरकार की बड़ी रणनीतिक एवं ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। श्री पूनावाला ने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाले संप्रग के शासन के दौरान वोटबैंक तुष्टीकरण के लिए आतंकियों पर कार्रवाई नहीं करती थी जिसकी सजा आतंकवाद झेलने वाले निर्दोष लोगों को मिलती थी।
श्री पूनावाला ने कहा कि पूरे भारतवर्ष का जैन समुदाय भगवान महावीर के जन्मकल्याणक, जिसे हम महावीर जयंती कहते हैं, मना रहा है। भगवान महावीर ने हमेशा अहिंसा, सत्य, शांति और न्याय का संदेश दिया और इन्हीं सिद्धांतों को अपनाने का मार्ग दिखाया। आज उन्हीं सिद्धांतों पर चलते हुए प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में काम कर रही सुरक्षा एजेंसियों, आतंकवाद विरोधी एजेंसियों, अभियोजन और खुफिया एजेंसियों को एक बड़ी सफलता मिली है। मुंबई हमले के मुख्य साजिशकर्ता और 160 से अधिक निर्दोष लोगों की हत्या का दोषी, 26/11 का आतंकी तहव्वुर राणा, जिसे सात समंदर पार से भारत लाकर न्याय के कटघरे में खड़ा किया जा रहा है, यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।
उन्होंने कहा कि तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण केवल एक सामान्य कानूनी प्रक्रिया नहीं है, यह उस नए भारत के संकल्प का प्रतीक है, जिसे 2019 में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने स्पष्ट किया था कि अगर कोई भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा या किसी भी निर्दोष नागरिक पर हमला करेगा, तो भारत उसे पाताल से भी खोजकर न्याय के दरवाजे तक लाएगा। यह नए भारत की सोच और उसके साहस का प्रतीक है जो अब आतंकी हमलों के सामने चुप और मूकदर्शक नहीं रहेगा, बल्कि आतंकियों को घर में घुसकर जवाब देगा। यह नए भारत का वह स्वरूप है जो पाकिस्तान प्रायोजित इस्लामिक आतंकवाद के प्रति शून्य सहिष्णुता रखता है और वोट बैंक की राजनीति को राष्ट्रनीति के ऊपर हावी नहीं होने देता। यह संकल्प है कि देशहित का और राष्ट्रहित ही सर्वोपरि रहेगा। यह वही नया भारत है, जिसकी ध्वनि 26/11 की हर बरसी पर गूंजती है कि “इंडिया विल नेवर फॉरगिव, इंडिया विल नेवर फॉरगेट”। भारत आतंकियों को न भूलेगा, न माफ करेगा। चाहे वह पाताल में ही क्यों न हो, भारत आतंकियों की गर्दन पकड़ कर उन्हें न्याय के मार्ग पर लाने की ताकत रखता है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि यह सिर्फ 138 भारतीय पीड़ितों के लिए ही नहीं, बल्कि 26/11 हमले में मारे गए अमेरिका, इजरायल, फ्रांस, जर्मनी, इटली, मलेशिया सहित 17 से 18 देशों के नागरिकों के लिए भी न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है। आज श्री तुकाराम ओंबले से लेकर मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, हवलदार श्री गजेंद्र सिंह से लेकर मुंबई पुलिस के वीर अधिकारी विजय सालस्कर तक, हर शहीद सुरक्षाकर्मी, हर एनएसजी कमांडो के प्रति यह भारत की भावपूर्ण श्रद्धांजलि है। यह एक स्पष्ट संदेश भी है कि भारत अपने सुरक्षा कर्मियों की शहादत और बलिदान को कभी नहीं भूलेगा।
श्री पूनावाला ने कहा कि आज जब तहव्वुर राणा को भारत लाया जा रहा है और यह दृश्य पूरी दुनिया देख रही है। यह संदेश हर उस आतंकी, साजिशकर्ता और मास्टरमाइंड के लिए है कि चाहे आप दुनिया के किसी कोने में, किसी गुप्त स्थान में क्यों न छिपे हो, मोदी सरकार के नेतृत्व में भारत आपको ढूंढ निकालेगा और आपके छिपने की जगह से बाहर निकालकर न्याय के कटघरे तक लाने का कार्य करेगा। पिछले 10 वर्षों में आतंक और आतंकवाद के प्रति हमारे दृष्टिकोण में एक बड़ा बदलाव आया है। आज का यह प्रत्यर्पण उसी बदले हुए सोच का एक प्रतीक है। आपको याद होगा कि 2004 से 2014 के बीच शायद ही कोई महीना ऐसा जाता था जब भारत के किसी बड़े शहर में आतंकी हमला नहीं होता था। 2005 में दिल्ली, 2006 में वाराणसी, 2007 में लखनऊ, और 2008 में जयपुर, बेंगलुरु, अहमदाबाद, दिल्ली, मुंबई, अगरतला, रामपुर में हमले हुए। 2010 में असम और पुणे, 2011 में दिल्ली, और 2013 में हैदराबाद, बेंगलुरु, बोधगया सहित कई जगहों पर बड़े हमले हुए।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि ऐसा लगता था जैसे इन बड़े हमलों का होना आम बात बन गया था और जब भी कोई आतंकी हमला होता था, भारत की सरकारें केवल अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मूकदर्शक बनी रहकर अपनी दलीलें और रिपोर्टें रखती थीं। लेकिन उन आतंकी ताकतों और उन्हें समर्थन देने वाले देशों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाती थी। उस समय के नेता अक्सर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गिड़गिड़ाते नजर आते थे। परिणामस्वरूप आतंकवाद के विरुद्ध भारत को कोई ठोस सफलता नहीं मिल पाती थी। लेकिन आज, जब हर साल 700 से अधिक नागरिक आतंकी हमलों में मारे जाते थे, अब ऐसे बड़े हमले लगभग बंद हो चुके हैं। पहले वोट बैंक की राजनीति के चलते आतंकवाद के प्रति नरम रुख अपनाया जाता था और यह सोचा जाता था कि अगर कड़ी कार्रवाई की गई तो कहीं वोट प्रभावित न हो जाएं।
श्री पूनावाला ने कहा कि उस दौर में आतंक को बढ़ावा देने वाले देशों को ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ का दर्जा दिया जाता था लेकिन आज स्थिति बदल चुकी है। अब अगर उरी या पुलवामा जैसे हमले होते भी हैं, तो उन्हें ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ नहीं, बल्कि ‘मुंहतोड़ जवाब’ यानि एमटीजे का दर्जा दिया जाता है। अब भारत एयर स्ट्राइक और सर्जिकल स्ट्राइक कर आतंकवाद के प्रति ‘ज़ीरो टॉलरेंस’ की नीति पर काम करता है। 2004 से 2014 के बीच पाकिस्तान को बेनकाब करने की बजाय कई बार आतंकी हमलों का दोष भारत पर ही मढ़ने की कोशिश की गई। चाहे वह समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट हो या मुंबई हमला, यहां तक कहा गया कि ये हमले आरएसएस की साजिश हैं। जबकि कसाब को श्री तुकाराम ओंबले की शहादत के कारण जीवित पकड़ा गया और साफ साबित हुआ कि इन हमलों के पीछे पाकिस्तान और उसकी खुफिया एजेंसी आईएसआई का हाथ था। लेकिन उस समय, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का मुख्य उद्देश्य यही होता था कि भारत को ही दोषी ठहराया जाए।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि पाकिस्तान के इस्लामी आतंक पर लीपापोती की गई और उसे क्लीन चिट देने का प्रयास किया गया। यहाँ तक कि “हिंदू टेरर”, “संघ टेरर” और “आरएसएस टेरर” जैसे फेक नैरेटिव गढ़ने का काम उस समय कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने किया और आज भी उनके नेता इसी प्रकार से सक्रिय हैं, खासकर जब तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण हो रहा है। वैसे तो उन्होंने 10 वर्षों तक कुछ नहीं किया, और आज जब यह राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रनीति की इतनी बड़ी जीत है, तो उसका स्वागत करने के बजाय वोटबैंक की राजनीति की जा रही है। महाराष्ट्र में कभी नेता प्रतिपक्ष रह चुके कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार का एक बयान आया था। वह शर्मसार करने वाला बयान था कि शहीद हेमंत करकरे जी को कसाब और पाकिस्तानी आतंकियों ने नहीं, बल्कि पुलिस वालों ने मारा था। यह उनका कोर्ट में दिया गया बयान है, और यह कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष (महा विकास अघाड़ी) का अधिकृत बयान था, जिसका न तो कांग्रेस ने खंडन किया और न ही उससे किनारा किया।