चैत्र माह का आखिरी प्रदोष व्रत कल, इस शुभ मुहूर्त में करें भोलेनाथ की पूजा

धर्म { गहरी खोज } : हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। चैत्र माह का आखिरी प्रदोष व्रत कल यानी 10 अप्रैल को रखा जाएगा। मान्यता है कि इस दिन महादेव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अगर आप भी यह व्रत रखने वाले हैं, तो चलिए आपको बताते हैं पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि।प्रदोष व्रत हिंदू धर्म का प्रमुख व्रत है, जो हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। इस दिन मुख्य रूप से महादेव की उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि प्रदोष व्रत रखकर महाकाल की आराधना करने से व्यक्ति के सभी दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। चैत्र माह का आखिरी प्रदोष व्रत 10 अप्रैल, दिन गुरुवार को रखा जाएगा। सप्ताह के जिस दिन प्रदोष व्रत पड़ता है, उसी वार के नाम पर उस प्रदोष का नाम रखा जाता है। इस बार प्रदोष व्रत गुरुवार को पड़ रहा है, इसलिए इसे गुरु प्रदोष व्रत कहा जाएगा।चैत्र माह का यह आखिरी प्रदोष व्रत हिंदू नववर्ष का पहला प्रदोष व्रत होगा। प्रदोष व्रत के दिन प्रदोष काल का बहुत महत्व होता है। धार्मिक मान्यता है कि त्रयोदशी तिथि में रात्रि के प्रथम प्रहर यानी संध्या के समय में जो व्यक्ति भोलेनाथ की आराधना करता है, उसपर भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है और उसके जीवन से जुड़े सभी समस्याएं ही दूर हो जाती हैं। आइए आपको बताते हैं चैत्र प्रदोष व्रत की तिथि का समय और पूजा का शुभ मुहूर्त।
गुरु प्रदोष व्रत तिथि 2025
पंचांग के अनुसार, इस बार त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 9 अप्रैल को रात 10:55 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 11 अप्रैल को देर रात 1:00 बजे होगा। ऐसे में चैत्र माह का आखिरी प्रदोष व्रत 10 अप्रैल 2025 को गुरुवार के दिन रखा जाएगा।
शिव जी की पूजा का समय
गुरु प्रदोष व्रत में महादेव की पूजा का समय 10 अप्रैल को शाम 6:44 मिनट से लेकर रात 8:59 मिनट तक रहेगा। इस दौरान आप शिव परिवार की उपासना कर सकते हैं।
प्रदोष व्रत की पूजा कैसे करें?
प्रदोष व्रत की पूजा के लिए सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
फिर प्रदोष काल में पूजा के लिए सभी सामग्री एकत्रित कर लें।
इसके बाद सबसे पहले पूजा स्थल पर शिवलिंग स्थापित करें।
फिर शिवलिंग पर जल आक के फूल और बेलपत्र चढ़ाएं।
इस दौरान आप गुड़हल या मदार के फूल भी चढ़ा सकते हैं।
भोलेनाथ की पूजा में फूलों की माला भी चढ़ानी चाहिए।
अब दीपक जलाकर महादेव के मंत्रों का जाप करें।
इस दौरान शिवजी को फल और मिठाई का भोग लगाएं।
इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या फिर सुनें।
अंत में आरती करें और शिव परिवार का आशीर्वाद लें।
आरती करने के बाद सभी में प्रसाद बांटें।