संघ और हिन्दू समाज

नयी दिल्ली { गहरी खोज }: वाराणसी में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि श्मशान, मंदिर और पानी सब हिंदुओं के लिए एक होना चाहिए। इसी लक्ष्य के साथ संघ काम कर रहा है। हिंदू समाज के सभी पंथ, जाति, समुदाय साथ आएं। यही संघ की परिकल्पना है। संघ का मतलब सबकी मदद करना और युवा शक्ति को सही दिशा देना है। उन्होंने आईआईटी के 100 से ज्यादा छात्रों का योग, खेल और वैदिक मंत्रों का उच्चारण देखा। भागवत ने छात्रों से पूछा- क्या आप संघ को समझते हैं, बताइए संघ क्या है? इस पर छात्रों ने कहा- संघ का मतलब हिंदुत्व को बढ़ावा देना। सनातन की रक्षा करना। धर्म कोई भी हो, सबकी मदद करना और युवा शक्ति को सही दिशा दिखाना, यही संघ है। संघ संगठन का उद्देश्य हिंदू धर्म को मजबूत करने का है। हिंदुत्व की विचारधारा को फैलाना है।
संघ जब से अस्तित्व में आया है वह हिन्दू समाज को संगठित करने व समाज की मुश्किलों को दूर करने के लिए कार्यरत है। आरएसएस विरोधी चाहे शुरू से संघ को राजनीतिक दृष्टि से देखकर उसका विरोध करते हों, लेकिन संघ ने हमेशा सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने को ही अपना लक्ष्य रखा है। पूर्व सर संघचालक बालासाहेब देवरस ने 4 मार्च, 1979 को दिल्ली शाखा के वार्षिक महोत्सव पर बोलते हुए कहा था कि समाचार-पत्रों में आजकल संघ का जो मूल्यांकन किया जा रहा है, वह पूर्णतया राजनीतिक है। संघ का मूल्यांकन करते समय यह लिखा और कहा जाता है कि संघ का राजनीतिक प्रभाव कितना है। किस-किस राज्य में संघ के मुख्यमंत्री हैं, संघ के कितने स्वयंसेवक मंत्रिमंडल में हैं। किन्तु संघ को अपने इस राजनीतिक मूल्यांकन में यत्किंचित् भी रुचि नहीं है। हमको हमारे सामाजिक मूल्यांकन में रुचि है। संघ हिन्दुओं को संगठित करने निकला है। समस्त हिन्दू समाज को प्रांत, भाषा, पंथ और जाति इत्यादि भेदों से ऊपर उठाने के लिये कटिबद्ध है। इस दृष्टि से हमारा मूल्यांकन करिये और यदि इस क्षेत्र में हम कहीं चूक रहे हों, तो टीका टिप्पणी कीजिये, हमारा दोष बताइये; मार्गदर्शन कीजिए । मैं स्पष्ट शब्दों में कहना चाहता हूं कि जब हम अपना सामाजिक मूल्यांकन करते हैं, तो हमें बड़ी वेदना होती है कि संघ द्वारा इतने वर्षों से काम करने के बावजूद प्रांतों, भाषाओं और जातियों की लड़ाइयां अब भी हो रही हैं और हम उनको रोकने में असमर्थ हैं। इसी प्रकार जब हम देखते हैं कि कहीं-कहीं हमारी इच्छा के अनुरूप प्रयास हो रहा है तो हमें प्रसन्नता होती है।
पिछले 100 वर्षों से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिन्दू समाज से कुरीतियों को दूर करने और एकजुट रखने के लिए कार्य कर रहा है। संघ के 100 वर्षों के कार्यों के परिणामस्वरूप ही आज संघ विचारधारा में आस्था रखने वाले सत्ता में हैं। संघ प्रमुख मोहन भागवत के आह्वान को ध्यान में रखते हुए संघ स्थाई रूप में तभी पूरा होगा, जब हिन्दुओं के मंदिर, पानी और श्मशान एक होंगे, अर्थात हिन्दू समाज एकजुट होगा।