पंबन समुद्री पुलः एक मील पत्थर

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नयी दिल्ली { गहरी खोज }:रामेश्वरम द्वीप और भूमि श्रेत्र के बीच रेल सम्पर्क की सुविधा प्रदान करने वाले पंबन समुद्री पुल के उद्घाटन समारोह के अवसर पर बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भगवान श्रीराम का जीवन और उनके राज्य से मिलने वाली सुशासन की प्रेरणा राष्ट्र निर्माण का बड़ा आधार है।
प्रधानमंत्री ने संगम युग के साहित्य का हवाला देते हुए भगवान राम के साथ तमिलनाडु के जुड़ाव को भी रेखांकित किया। श्रीलंका के साथ मछुआरों के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि पिछले एक दशक में श्रीलंका से 3700 से अधिक मछुआरों को वापस लाया गया है। पूर्व राष्ट्रपति डॉ. अब्दुल कलाम का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उनके (कलाम के) जीवन ने हमें दिखाया कि विज्ञान और अध्यात्म एक दूसरे के पूरक हैं। इसी तरह, रामेश्वरम तक जाने वाला नया पंबन पुल तकनीक और परंपरा को एक साथ लाता है।
सरकार के अनुसार, यह पुल 700 करोड़ रूपये से अधिक की लागत से बनाया गया है। लगभग 2.08 किलोमीटर लंबे इस पुल में 99 ‘स्पैन’ और 72.5 मीटर लंबा ‘वर्टिकल लिफ्ट स्पैन’ है, जिसे 17 मीटर तक उठाया जा सकता है। इससे बड़े जहाजों का सुगम आवागमन और साथ ही निर्बाध ट्रेन संचालन सुनिश्चित होगा।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु का हमारा मत्स्य उद्योग से जुड़ा समाज बहुत मेहनती है। मोदी ने कहा कि मत्स्य उद्योग से जुड़ी अवसंरचना को मजबूत करने के लिए राज्य को जो भी मदद चाहिए, वो केंद्र सरकार दे रही है।
तमिलनाडु में बुनियादी ढांचा विकास को केंद्र सरकार की प्राथमिकता बताते हुए उन्होंने कहा कि बीते एक दशक में तमिलनाडु का रेलवे बजट सात गुना से ज्यादा बढ़ाया गया है। उन्होंने कहा, 2014 से पहले रेल परियोजनाओं के लिए हर साल सिर्फ 900 करोड़ रुपये ही मिलते थे। इस वर्ष तमिलनाडु का रेल बजट 6000 करोड़ रुपये से ज्यादा है। केंद्र सरकार यहां के 77 रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण कर रही है। इसमें रामेश्वरम का स्टेशन भी शामिल है। प्रधानमंत्री ने कहा, बीते 10 सालों में हमने रेल, सड़क, हवाईअड्डे, बंदरगाह, बिजली, पानी, गैस पाइपलाइन जैसी बुनियादी परियोजनाओं का बजट करीब छह गुना बढ़ाया है। प्रधानमंत्री मोदी ने रामेश्वरम में 8300 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाली विभिन्न रेल और सड़क परियोजनाओं का शिलान्यास एवं लोकार्पण किया। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने कार्यक्रम में भाग नहीं लिया और परिसीमन के मुद्दे पर विरोध जताया। प्रधानमंत्री ने बिना किसी का नाम लिए तमिल भाषा का समर्थन करते हुए पलटवार किया। उन्होंने गरीबों की मदद के लिए तमिल माध्यम में चिकित्सा शिक्षा देने की वकालत की। उन्होंने कहा, तमिलनाडु के नेताओं की चिट्ठियां जब उनके पास आती हैं तो कभी भी कोई नेता तमिल भाषा में हस्ताक्षर नहीं करता है। मैं सबसे कहूंगा कम से कम तमिल भाषा में अपने हस्ताक्षर तो करो।’
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन का कार्यक्रम में भाग न लेना उनकी राजनीतिक मजबूरी को ही दर्शाता है। मात्र विरोध के लिए विरोध करना आज भारतीय राजनीति का हिस्सा ही बन गया है। क्षेत्रीय हितों को आधार बनाकर अपने राजनीतिक हित साधने का यह सिलसिला देश हित में नहीं है, भाषा और क्षेत्र के आधार पर लोगों की भावनाओं को भड़काना गलत है। देशहित में ही सब का हित है। इस बात को समझते हुए ही राजनीति करना देशहित में है। पंबन समुद्री पुल भारत के विकास यात्रा का एक मील पत्थर है, जिस पर भारतीयों को गर्व है।

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