सेंसेक्स 3362 और निफ्टी 1078 अंक लुढ़का

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मुंबई : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ लागू करने और चीन की जवाबी कार्रवाई से वैश्विक स्तर पर व्यापार युद्ध गहराने और अमेरिका में मंदी की आशंका में स्थानीय स्तर पर हुई भारी बिकवाली से आज दोपहर तक दोनों मानक सूचकांक सेंसेक्स 3244 और निफ्टी 1048 अंक लुढ़क गया।
बीएसई का तीस शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स कोविड-19 के बाद की सबसे बड़ी एकदिनी 3361.55 अंक अर्थात 4.46 प्रतिशत की गिरावट लेकर 72,003.14 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 1,078.30 अंक यानी 4.71 प्रतिशत का गोता लगाकर 21,826.15 अंक पर आ गया।
शुरुआती कारोबार में सेंसेक्स 3915 अंक की भारी गिरावट के साथ 71,449.94 अंक पर खुला लेकिन लिवाली होने से थोड़ी देर बाद ही 73,149.12 अंक के उच्चतम स्तर पर पहुंचा। लेकिन, इसके बाद से जारी बिकवाली के दबाव में यह 71,425.01 अंक के निचले स्तर तक लुढ़क गया। खबर लिखे जाने तक सेंसेक्स 72,120.29 अंक अंक पर कारोबार कर रहा था।
इसी तरह निफ्टी भी 1146 अंक लुढ़ककर 21,758.40 अंक पर खुला और दोपहर खबर लिखे जाने तक यह 22,190.00 अंक के उच्चतम जबकि 21,743.65 के निचले स्तर पर रहा।
निवेश सलाह देने वाली कंपनी जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वी. के. विजयकुमार ने कहा, “वैश्विक बाजार इस समय अत्यधिक अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं, जिससे इनमें काफी अस्थिरता देखी जा रही है। ट्रंप द्वारा लगाए गए टैरिफ की वजह से उत्पन्न हुई इस स्थिति का आगे क्या रूप होगा, इसे लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। ऐसे में इस उतार-चढ़ाव भरे समय में ‘प्रतीक्षा करें और देखें’ की रणनीति अपनाना सबसे बेहतर होगा।”
वहीं, निवेशकों को कुछ अहम बातों का ध्यान रखना चाहिए। पहला, ट्रंप के टैरिफ निर्णय अधिक समय तक नहीं टिकेंगे क्योंकि वे तर्कसंगत नहीं हैं। दूसरा, भारत की स्थिति तुलनात्मक रूप से मजबूत है क्योंकि उसका अमेरिका को निर्यात उसके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का सिर्फ लगभग दो प्रतिशत है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव सीमित रहेगा। तीसरा, भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत चल रही है, और इसके सफल होने की संभावना है, जिससे भारत पर लगने वाले टैरिफ में कटौती हो सकती है।
घरेलू उपभोग से जुड़ी कंपनियां जैसे कि वित्तीय सेवाएं, विमानन, होटल, चुनिंदा ऑटो, सीमेंट, रक्षा और डिजिटल प्लेटफॉर्म इस वैश्विक संकट से अपेक्षाकृत कम प्रभावित होंगी। फार्मा क्षेत्र पर टैरिफ लगाए जाने की संभावना कम है क्योंकि ट्रंप इस क्षेत्र में समर्थन खो रहे हैं। इसलिए, इस क्षेत्र में स्थिरता बनी रहने की उम्मीद है।

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