VB-G RAM G अधिनियम की आलोचना की, यह मनरेगा की अधिकार-आधारित व्यवस्था को कमजोर करता :प्रियंक खड़गे

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बेंगलुरु{ गहरी खोज }:कर्नाटक के मंत्री प्रियंक खड़गे ने सोमवार को केंद्र सरकार के VB-G RAM G अधिनियम, 2025 की कड़ी आलोचना की, जिसने मनरेगा का स्थान लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि नया कानून ग्रामीण रोजगार को अधिकार के रूप में सुनिश्चित करने की मूल भावना को कमजोर करता है।
सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में खड़गे ने कहा कि यह अधिनियम धीरे-धीरे योजना को अस्थिर बना देगा, क्योंकि यह मांग-आधारित कानूनी अधिकार की जगह आपूर्ति-आधारित व्यवस्था लागू करता है। इससे नागरिकों का काम मांगने का अधिकार प्रभावी रूप से छिन जाएगा। उन्होंने कहा कि जहां अधिकांश निर्णय लेने की शक्ति केंद्र सरकार के पास रहेगी, वहीं राज्यों पर वित्तीय और प्रशासनिक बोझ डाल दिया जाएगा।
“VB-G RAM G विधेयक पर काफी चर्चा हुई है, लेकिन इन बदलावों से योजना धीरे-धीरे अव्यवहारिक हो जाएगी और अंततः अधिकार-आधारित ग्रामीण रोजगार गारंटी की अवधारणा ही खत्म हो जाएगी,” कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के पुत्र प्रियंक खड़गे ने कहा।
ग्रामीण विकास, पंचायती राज और आईटी एवं बायोटेक्नोलॉजी विभाग संभाल रहे मंत्री ने कहा कि प्रस्तावित बदलाव वित्तीय संघवाद को कमजोर करते हैं, खासकर तब जब राज्यों के संसाधन पहले ही सिमट रहे हैं। उन्होंने बताया कि राज्यों को मिलने वाला कर हिस्सा 34 प्रतिशत से घटकर 31 प्रतिशत रह गया है, जबकि वित्त आयोग ने 42 प्रतिशत की सिफारिश की थी। इसके साथ ही, केंद्र प्रायोजित योजनाएं लगातार अधिक प्रतिबंधात्मक होती जा रही हैं।
खड़गे ने चेतावनी दी कि शक्तियों के केंद्रीकरण और स्थानीय योजना प्रक्रिया को सीमित करने से 73वें संविधान संशोधन को भी कमजोर किया जा रहा है, जिसने पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक दर्जा दिया है। इससे मनरेगा के प्रभावी क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाने वाले स्थानीय निकायों की भूमिका प्रभावित होगी।
उन्होंने सवाल उठाया कि यदि यह कानून ग्रामीण श्रमिकों की आजीविका सुरक्षा को मजबूत नहीं करता, तो इसे सुधार कैसे कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि काम के कानूनी अधिकार को “एक प्रतीकात्मक केंद्र प्रायोजित योजना” में बदलना मनरेगा के मूल उद्देश्य के खिलाफ है।
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी केंद्र पर मनरेगा को जानबूझकर कमजोर करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि गरीब ग्रामीणों और खेत मजदूरों को अमीरों पर निर्भर बनाने की कोशिश की जा रही है। “हमने मूल मनरेगा को बचाने के लिए संघर्ष किया था। इसके प्रावधानों को बरकरार रखा जाना चाहिए। मैं नए अधिनियम की निंदा करता हूं। यह केवल सरकार की मदद करता है,” उन्होंने कहा था।
विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी VB-G RAM G विधेयक को संसद ने 18 दिसंबर को पारित किया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को इसे मंजूरी दी, जिससे यह कानून बन गया। यह अधिनियम 20 साल पुराने मनरेगा का स्थान लेता है और हर साल 125 दिनों के ग्रामीण मजदूरी रोजगार की गारंटी देता है।

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