देश-प्रदेश को विकसित बनाने की जिम्मेदारी शिक्षकों के कंधों पर: मुख्यमंत्री शर्मा

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जयपुर{ गहरी खोज }: मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने शिक्षकों को राष्ट्र निर्माता बताते हुए शनिवार को कहा कि देश व प्रदेश को विकसित बनाने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर है। शर्मा बांसवाड़ा में राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के प्रदेश शैक्षिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि शिक्षक की भूमिका केवल अक्षर या पुस्तक ज्ञान देने तक ही सीमित नहीं है, इनकी भूमिका बहुत व्यापक और महत्वपूर्ण है इसीलिए शिक्षक को भविष्य निर्माता और राष्ट्र निर्माता कहा गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज के पथ-प्रदर्शक हैं।
उन्होंने कहा कि ‘विकसित भारत’ और ‘विकसित राजस्थान’ की नींव को मजबूत करने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी शिक्षकों के कंधों पर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश विश्वगुरु बनने के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लेकर आए हैं जो 21वीं सदी के भारत को नई दिशा देगी।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के महत्व को लेकर बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि ‘शिक्षा शेरनी का दूध है, जो पिएगा वो दहाड़ेगा।’ उन्होंने कहा कि गरीब और वंचित समाज की प्रगति का एकमात्र जरिया शिक्षा ही है और हमें ऐसी शिक्षा चाहिए जो बौद्धिक विकास के साथ ही आत्मिक और नैतिक विकास भी करे। शिक्षित के साथ संस्कारवान भी बनाएं।
आधिकारिक बयान के अनुसार शर्मा ने कहा कि हमने शिक्षण क्षेत्र में पिछले दो साल में अनेक अभूतपूर्व कदम उठाए हैं। राजकीय महाविद्यालयों के पुस्तकालयों में युवाओं के लिए परीक्षाओं की तैयारी करवाने की व्यवस्था शुरू की है। शर्मा ने दावा किया कि उन्होंने ‘संकल्प पत्र’ में जो वादे किए थे, उनमें से 70 प्रतिशत काम दो वर्ष में या तो पूरे कर लिए गए हैं या प्रगतिरत हैं। उनके मुताबिक, गत सरकार के पांच साल में किये गए कार्यों से ज्यादा काम उनकी सरकार द्वारा दो साल में किए गए हैं।

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