मध्यरात्रि में पारित होने के बाद विपक्ष ने जी राम जी विधेयक के खिलाफ संसद परिसर में रातभर धरना दिया
नई दिल्ली{ गहरी खोज }: विपक्षी दलों के नेताओं ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की जगह लाने वाले वीबी–जी राम जी विधेयक के पारित होने के विरोध में गुरुवार रात संसद परिसर में 12 घंटे का धरना दिया और कहा कि वे इसके खिलाफ देशभर में सड़कों पर उतरेंगे। तृणमूल कांग्रेस की राज्यसभा में उपनेता सागरिका घोष ने केंद्र सरकार पर वीबी–जी राम जी विधेयक को जबरन पारित कराने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि संसद में विपक्षी सांसदों ने इसी के विरोध में 12 घंटे का धरना दिया।
विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी–जी राम जी विधेयक को संसद ने विपक्ष के भारी विरोध के बीच पारित किया, और राज्यसभा ने इसे आधी रात के बाद मंजूरी दी। घोष ने कहा कि मोदी सरकार जिस तरह से यह “पूरी तरह गरीब-विरोधी, जन-विरोधी, किसान-विरोधी और ग्रामीण गरीबों के खिलाफ” विधेयक लाई है और मनरेगा को खत्म कर दिया है, वह बेहद आपत्तिजनक है।
उन्होंने कहा, “यह भारत के गरीबों का अपमान है, यह महात्मा गांधी का अपमान है और यह रवींद्रनाथ टैगोर का भी अपमान है। हमें केवल पांच घंटे का नोटिस दिया गया। इस विधेयक पर उचित बहस की अनुमति नहीं दी गई।”
घोष ने कहा कि विपक्ष की मांग थी कि इतने महत्वपूर्ण विधेयक को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए ताकि विपक्षी दल और सभी हितधारक इस पर चर्चा कर सकें, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने इसे “तानाशाही का प्रदर्शन और लोकतंत्र की हत्या” करार दिया। उन्होंने कहा, “अब हम 12 घंटे का धरना देंगे, उस तरीके के खिलाफ जिस तरह मोदी सरकार ने भारत के लोगों, गरीबों और ग्रामीण गरीबों के खिलाफ यह काला कानून लाया है।”
कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला ने इसे देश के श्रमिक वर्ग के लिए “दुखद दिन” बताया और मोदी सरकार पर किसान-विरोधी और गरीब-विरोधी होने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, “यह शायद भारत के मजदूरों के लिए सबसे दुखद दिन है। भाजपा सरकार ने मनरेगा को खत्म कर 12 करोड़ लोगों की आजीविका पर हमला किया है। इससे साबित होता है कि मोदी सरकार किसान-विरोधी और गरीब-विरोधी है।”
कांग्रेस नेता मुकुल वासनिक ने कहा कि जब मनरेगा का मसौदा तैयार किया गया था, तब 14 महीनों तक व्यापक परामर्श हुआ था और इसे संसद में सर्वसम्मति से पारित किया गया था। उन्होंने दावा किया कि नया प्रस्तावित ढांचा राज्यों पर भारी बोझ डालेगा और अंततः यह योजना विफल हो जाएगी। डीएमके नेता तिरुचि शिवा ने आरोप लगाया कि संसद में महात्मा गांधी और डॉ. आंबेडकर की प्रतिमाओं को पीछे की ओर स्थानांतरित कर दिया गया है, जहां लोग उन्हें देख नहीं सकते।
उन्होंने कहा, “इसी तरह महात्मा गांधी का नाम भी हटा दिया गया है। गांधी के बिना स्वतंत्रता की कल्पना नहीं की जा सकती। ब्रिटेन की संसद में भी गांधी की प्रतिमा है, लेकिन भारतीय संसद में उनकी प्रतिमा कहीं छिपा दी गई है और अब उनके नाम वाली योजना से उनका नाम भी हटा दिया गया है।” उन्होंने कहा कि पूरा विपक्ष इस फैसले से आक्रोशित है।
