वित्त वर्ष 2026 में भारत की आर्थिक वृद्धि लगभग 7 प्रतिशत रहने की संभावना: गीता गोपीनाथ
नई दिल्ली{ गहरी खोज }: वॉशिंगटन स्थित अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की पूर्व मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने बुधवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर लगभग 7 प्रतिशत रहने की संभावना है, जो अक्टूबर में आईएमएफ द्वारा अनुमानित 6.6 प्रतिशत से थोड़ी अधिक है। टाइम्स नेटवर्क के इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव 2025 में बोलते हुए गोपीनाथ ने कहा कि आईएमएफ ने भारत की वृद्धि दर का अनुमान उस समय लगाया था, जब राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने जुलाई-सितंबर तिमाही के 8.2 प्रतिशत वृद्धि के आंकड़े जारी नहीं किए थे।
उन्होंने कहा, “आईएमएफ का अनुमान अक्टूबर में 6.6 प्रतिशत था, लेकिन चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए उनका अनुमान वास्तविक वृद्धि दर से काफी कम था, जबकि वास्तविक वृद्धि 8 प्रतिशत से अधिक रही। साधारण गणना के आधार पर, मुझे लगता है कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर लगभग 7 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।”
इससे पहले इस महीने, भारतीय रिजर्व बैंक ने भी जुलाई-सितंबर तिमाही में मजबूत आर्थिक प्रदर्शन के बाद चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि अनुमान को 6.8 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.3 प्रतिशत कर दिया था। वित्त वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही में जीडीपी ने 8.2 प्रतिशत की छह तिमाहियों की सबसे ऊंची वृद्धि दर्ज की, जिसे वैश्विक व्यापार और नीतिगत अनिश्चितताओं के बीच मजबूत घरेलू मांग का समर्थन मिला। आईएमएफ ने अक्टूबर में भारत की चालू वित्त वर्ष की जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.4 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.6 प्रतिशत किया था, जिसमें मजबूत आर्थिक वृद्धि ने अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्कों के प्रभाव को संतुलित किया।
हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र की प्रोफेसर गीता गोपीनाथ ने कहा कि यदि भारत 20 वर्षों तक लगभग 8 प्रतिशत की वृद्धि दर बनाए रखता है, तो वह 2047 के लक्ष्यों के काफी करीब पहुंच सकता है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि इतने लंबे समय तक 8 प्रतिशत की निरंतर वृद्धि बनाए रखना आसान नहीं है और इसके लिए सतत सुधारों की आवश्यकता होगी।
उन्होंने कहा कि भारत, भारत-अमेरिका व्यापार संकट से पहले लगाए गए अनुमानों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। वैश्विक व्यापार पर सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि शुल्क दरें बढ़ी हैं, लेकिन वे अभी अत्यधिक ऊंचे स्तर पर नहीं हैं। भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर बोलते हुए गोपीनाथ ने कहा कि अमेरिका भारत का एक अत्यंत महत्वपूर्ण साझेदार है और दोनों देशों को मिलकर पारस्परिक रूप से स्वीकार्य समाधान निकालने की दिशा में काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि आईएमएफ का दायित्व आर्थिक संकट से जूझ रहे देशों की सहायता करना है और इस प्रक्रिया में नीतियों को 195 सदस्य देशों की सहमति से लागू किया जाता है।
