दिल्ली विधानसभा चुनाव में ‘पार्टी प्रचार’ और सोशल मीडिया पर कांग्रेस का खर्च भाजपा से अधिक: एडीआर

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने “पार्टी प्रचार” और सोशल मीडिया अभियानों पर भाजपा की तुलना में अधिक खर्च किया, हालांकि उम्मीदवारों पर किए गए खर्च के मामले में वह पीछे रही। यह जानकारी एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा चुनाव आयोग को दलों की ओर से सौंपे गए व्यय विवरणों के विश्लेषण में सामने आई है। एडीआर के अनुसार, दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा का कुल खर्च 57.65 करोड़ रुपये रहा, जो कांग्रेस के 46.19 करोड़ रुपये के खर्च से अधिक है। वहीं, 2025 के दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए जुटाए गए कुल धन के मामले में भी भाजपा 88.7 करोड़ रुपये के साथ कांग्रेस (64.3 करोड़ रुपये) से आगे रही।
70 विधानसभा सीटों के चुनाव में भाजपा ने 48 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत सकी। आम आदमी पार्टी (आप) को 22 सीटें मिलीं। एडीआर के विश्लेषण के अनुसार, आम आदमी पार्टी ने पार्टी प्रचार पर 12.12 करोड़ रुपये और उम्मीदवारों पर 2.4 करोड़ रुपये खर्च किए, जिससे उसका कुल खर्च 14.5 करोड़ रुपये रहा। आप ने सोशल मीडिया पर लगभग 3 करोड़ रुपये खर्च किए, जबकि भाजपा ने इस मद में केवल 5.26 लाख रुपये और कांग्रेस ने 5.95 करोड़ रुपये खर्च किए।
भाजपा का कुल खर्च 57.65 करोड़ रुपये रहा, जो कांग्रेस (46.19 करोड़ रुपये) और आप (14.5 करोड़ रुपये) से अधिक है। पार्टी प्रचार पर भाजपा ने 39.14 करोड़ रुपये खर्च किए, जो कांग्रेस के 40.13 करोड़ रुपये से कम लेकिन आप के 12.12 करोड़ रुपये से अधिक है।
अब तक नौ राजनीतिक दलों द्वारा दिए गए विवरणों के अनुसार, कुल चुनावी खर्च 120.3 करोड़ रुपये रहा, जिसमें 27 करोड़ रुपये उम्मीदवारों पर खर्च किए गए। भाजपा, कांग्रेस और आप के अलावा केवल बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने 1 करोड़ रुपये से अधिक (1.8 करोड़ रुपये) खर्च किए।
चुनाव के दौरान सभी दलों द्वारा कुल 170.68 करोड़ रुपये जुटाए गए। इसमें भाजपा के 88.7 करोड़ रुपये, कांग्रेस के 64.3 करोड़ रुपये और आप के 16.1 करोड़ रुपये शामिल हैं। अधिकांश धनराशि दलों के केंद्रीय मुख्यालय स्तर पर जुटाई गई।
धन संग्रह के लिए चेक या डिमांड ड्राफ्ट सबसे अधिक पसंद किया गया माध्यम रहा, जिसके जरिए 74 प्रतिशत से अधिक राशि जुटाई गई, जबकि लगभग 26 प्रतिशत धन नकद के रूप में प्राप्त हुआ। खर्च के मामले में केवल 0.04 प्रतिशत यानी 3.7 लाख रुपये नकद खर्च किए गए।
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम), जिसने दो सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन कोई जीत हासिल नहीं की, एकमात्र ऐसा दल रहा जिसने अपने घोषणा-पत्र के अनुसार कोई खर्च नहीं किया। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ा, जबकि भाजपा ने 68 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे और दो सीटें अपने सहयोगी दलों को दीं।
2020 और 2025, दोनों चुनावों में हिस्सा लेने वाले छह दलों द्वारा जुटाए गए कुल धन में इस बार लगभग 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह करीब 170 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। इनमें कांग्रेस के धन संग्रह में सबसे अधिक, 222 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई, जबकि भाजपा के मामले में यह 25 प्रतिशत घटा और आप के लिए लगभग 6 प्रतिशत बढ़ा।
इन्हीं छह दलों के कुल खर्च में 2020 की तुलना में 2025 में लगभग 39 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। कांग्रेस के खर्च में करीब 161 प्रतिशत, भाजपा के खर्च में 20.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि आम आदमी पार्टी ने लगभग 32 प्रतिशत कम खर्च किया।

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