‘द असम ट्रिब्यून ग्रुप’ के संपादक पीजी बरुआ के निधन पर नेताओं ने जताया शोक

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नई दिल्ली{ गहरी खोज }: लोकसभा अध्यक्ष समेत अन्य नेताओं ने सोमवार को ‘द असम ट्रिब्यून ग्रुप’ के संपादक एवं प्रबंध निदेशक प्रफुल्ल गोविंदा (पी.जी.) बरुआ के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। वह 92 साल के थे। सोशल मीडिया मंच एक्स पर एक पोस्ट में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि पी.जी. बरुआ पत्रकारिता क्षेत्र की एक महान हस्ती रहे। मीडिया जगत में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें हमेशा याद रखा जाएगा। बरुआ असम की प्रगति और सांस्कृतिक विरासत के प्रति अटूट प्रतिबद्ध थे।
पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि पीजी बरुआ के निधन से मीडिया बिरादरी और सार्वजनिक जीवन में एक गहरा शून्य पैदा हो गया है। केन्द्रीय कपड़ा राज्यमंत्री पबित्र मार्गेरिटा ने कहा कि वरिष्ठ पत्रकार, पद्मश्री पुरस्कार विजेता और असमिया मीडिया के स्तंभ प्रफुल्ल गोविंदा बरुआ देव के निधन से गहरा दुख हुआ। उन्होंने पूर्वोत्तर में स्वतंत्र पत्रकारिता को आकार दिया। असमिया मीडिया, सामाजिक-सांस्कृतिक और राजनीतिक यात्रा में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि पीजी बरुआ के निधन से भारतीय पत्रकारिता में एक युग का अंत हो गया है। उनको निष्पक्ष, विश्वसनीय और बिना किसी पक्षपात वाली पत्रकारिता के प्रति उनकी दृढ़ प्रतिबद्धता के लिए याद किया जाएगा। लोकसभा में विपक्ष के उपनेता गौरव गोगोई ने कहा कि प्रफुल्ल गोविंदा बरुआ के निधन से असम में पत्रकारिता के एक युग का अंत हो गया है। उनकी कमी द असम ट्रिब्यून परिवार से कहीं ज़्यादा है। असम के सार्वजनिक जीवन ने एक मार्गदर्शक, संरक्षक जैसी उपस्थिति खो दी है। मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से बरुआ की उपस्थिति हमेशा अंतर्दृष्टि और स्थायी मूल्य का स्रोत रही है। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि पी. जी. बरुआ ने पत्रकारिता में एक विशिष्ट विरासत छोड़ी है। असम के विकास और सांस्कृतिक विरासत के लिए एक प्रतिबद्ध आवाज थे। ओडिशा के राज्यपाल ने कहा कि पी. जी. बरुआ जी के निधन से दुखी हूं। इस मुश्किल घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और शुभचिंतकों के साथ हैं।
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व शर्मा ने कहा कि सिद्धांतों वाली पत्रकारिता के प्रति, पी जी बरुआ की आजीवन समर्पण और साहित्य, शिक्षा तथा सार्वजनिक जीवन में उनके अपार योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।उनके शोक संतप्त परिवार, सहकर्मियों और अनगिनत प्रशंसकों के प्रति गहरी संवेदनाएं। ओम शांति! मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने कहा कि पीजी बरुआ असम और उसके लोगों की प्रगति तथा कल्याण के पक्के समर्थक थे। उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदनाएं। उनकी आत्मा को शांति मिले। उल्लेखनीय है कि 1932 में डिब्रूगढ़ में जन्मे बरुआ 1966 में द असम ट्रिब्यून के संपादक बनें और उसे उत्तर-पूर्व भारत के प्रमुख अंग्रेजी दैनिकों में से एक बनाया। उन्हें साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में उनके काम के लिए 2018 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उन्होंने असम की संस्कृति, प्रगति और सार्वजनिक चर्चा को बढ़ावा दिया। उनके परिवार में उनकी पत्नी और दो बेटियां हैं।

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