सरकार ने दी कोयले का निर्यात करने की मंजूरी
नयी दिल्ली{ गहरी खोज }: सरकार ने कोयला क्षेत्र में किए जा रहे सुधारों की श्रृंखला में एक और कड़ी जोड़ते हुए आज इसके निर्यात को मंजूरी दे दी। केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री अश्वनी वैष्णव ने शुक्रवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने कोयले के निर्बाध, कुशल और पारदर्शी उपयोग हेतु नीलामी नीति (कोल सेतु) को मंजूरी दे दी है। इसके तहत “कोल सेतु विंडो” नामक एक नयी विंडो बनाई गई है, जिससे कोयले का उपयोग किसी भी औद्योगिक उपयोग और निर्यात के लिए किया जा सकेगा। यह नयी नीति सरकार द्वारा कोयला क्षेत्र में किए जा रहे सुधारों की श्रृंखला में एक और कड़ी जोड़ती है।
उन्होंने कहा कि इस नीति के तहत औद्योगिक उपयोग और निर्यात के लिए दीर्घकालिक आधार पर नीलामी हेतु कोयला लिंकेज का आवंटन किया जाएगा। इसके लिए 2016 की गैर-विनियमित क्षेत्र (एनआरएस) लिंकेज नीलामी नीति में कोल सेतु नामक एक अलग विंडो जोड़ी गई है जिसमें कोयले की आवश्यकता वाले कोई भी घरेलू खरीदार लिंकेज नीलामी में भाग ले सकते हैं।
राष्ट्रीय संसाधन उद्योगों (एनआरएस) के लिए कोयला लिंकेज की नीलामी की मौजूदा नीति के तहत सीमेंट, इस्पात (कोकिंग), स्पंज आयरन, एल्युमीनियम और अन्य (उर्वरक (यूरिया) को छोड़कर) सहित सभी नए कोयला लिंकेज का आवंटन एनआरएस को नीलामी के आधार पर किया जाएगा। वर्तमान एनआरएस लिंकेज नीति के अनुसार, उप-क्षेत्र केवल निर्दिष्ट अंतिम उपयोगकर्ताओं के लिए हैं।
उन्होंने कहा कि इस विंडो के तहत प्राप्त कोयला लिंकेज का उपयोग स्वयं के उपभोग, कोयले के निर्यात या देश में पुनर्विक्रय को छोड़कर किसी अन्य उद्देश्य (कोयले की धुलाई सहित) के लिए किया जा सकता है। कोयला लिंकेज धारक अपनी कोयला लिंकेज मात्रा के 50 प्रतिशत तक कोयले का निर्यात करने के पात्र होंगे। कोयला लिंकेज धारक इस विंडो के तहत प्राप्त कोयले का उपयोग अपनी समूह कंपनियों के बीच आवश्यकतानुसार लचीले ढंग से कर सकते हैं। भविष्य में धुले हुए कोयले की बढ़ती मांग को देखते हुए वाशरी संचालकों को दिए गए कोयला लिंकेज से देश में धुले हुए कोयले की उपलब्धता बढ़ेगी और परिणामस्वरूप आयात कम होगा। इसके अलावा, धुले हुए कोयले के खरीदार देश के बाहर भी मिलेंगे इसलिए धुले हुए कोयले का उपयोग निर्यात के लिए भी किया जा सकता है।
