शाह ने बताया वोट चोरी तो पहले हुई और कैसे हुई

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सुनील दास
संपादकीय { गहरी खोज }:
देश में कांग्रेस व राहुल गांधी पिछले कई महीनों से वोट चोरी को बड़ा मुद्दा बनाने का प्रयास कर रहे हैं,बिहार चुनाव मे भी उसे बड़ा मुद्दा बनाने का प्रयास किया, राहुल गांधी ने वोट अधिकार यात्रा निकालकर चुनाव जीतने का प्रयास भी किया लेकिन बिहार की जनता ने राहुल गांधी के वोट चोरी के मुद्दे को बड़ा मुद्दा नहीं माना, कांग्रेस को वोट नहीं दिया और कांग्रेस को वोटचोरी का मुद्दा उठाने के बाद भी बुरी हार का सामना करना पड़ा। बिहार में हर चुनाव में उनका वोट प्रतिशत कम हो रहा है, सीटें कम हो रही हैं और वह जनाधार बढ़ाने की कोशिश करने की जगह वोट चोरी को मुद्दा बनाया और जनता ने इस मुद्दे को वोट देने का मुद्दा ही नहीं माना। इसकी एक वजह यह है कि राहुल गांधी और कांग्रेस जनता को समझा नहीं पाए हैं कि उनका वोट चोरी हो रहा है तो कैसे हो रहा है। जनता का अऩुभव यह है कि वह भाजपा को वोट देती है तो वोट भाजपा को जाता है,कांग्रेस को देती है तो कांग्रेस को जाता है। देश की जनता तो लगता ही नहीं है कि उसका वोट चोरी हो रहा है और राहुल गांधी रोज कहते हैं कि जनता का वोट चोरी हो रहा है।
दूसरा नेता होता तो बिहार के चुनाव में राजनीतिक नुकसान के बाद वोट चोरी के मुद्दे को छोेड़ देता। राहुल गांधी बिहार में वोट चोरी के मुद्दे पर कांग्रेस की बुरी हार के बाद वोट चोरी के मुद्दे को देश की राजनीति में बड़ा मुद्दा बनाने जुटे हुए है,क्योकि उनके लिए पार्टी को हुआ राजनीतिक नुकसान कोई मायने नहीं रखता है, यही वजह है कि संसद सत्र के दौरान ही दिल्ली में एक बड़ा आयोजन कांग्रेस वोट चोरी के मुद्दे पर करने जा रही है। संसद में भी चुनाव सुधार पर चर्चा के दौरान एसआईआर सहित वोट चोरी पर चर्चा हुई।इसमें भी राहुल गांधी संसद के भीतर एक सबूत पेश नहीं कर पाए कि राज्यों के चुनाव में वोट चोरी हुई तो कैसे हुई। उन्होंने कोशिश की संसद में अमित शाह उनके तीन पत्रकार वार्ताओं में पेश किए वोट चोरी के सबूत पर बात करें लेकिन अमित शाह के लिए यह जरूरी नहीं था कि वह किसी के पत्रकार वार्ताओं में उठाए गए सवालों का संसद में जवाब दें, क्योंकि नियम है कि संसद में जो सवाल उठाए जाते है, जवाब उन्ही सवालों का दिया जाता है।
राहुल गांधी ने अमित शाह को चुनौती देकर उकसाने की कोशिश की कि ऐसा करने पर वह उनकी पत्रकार वार्ताओं में पूछे गए सवाल को जबाव दें लेकिन अमित शाह उनके उकसावे में नहीं आए उन्होंने संसद के भीतर जो सवाल उठाए गए थे, उनका एक एक कर जवाब दिया। राहुल गांधी के यह कहने पर कि उनके सवालों का जवाब पहले दिया जाए तो अमित शाह ने उनकाे बता दिया कि संसद राहुल गांधी की मर्जी से नहीं चलेगी, वह राहुल गांधी की मर्जी से जवाब नहीं देंगे,वह सभी सवालों का जवाब देंगे इसके लिए राहुल गांधी को धैर्य रखना होगा। राहुल गांधी की कोशिश थी पत्रकार वार्ता में उन्होंने वोट चोरी के जो सबूत पेश किए थे उस पर अमित शाह कुछ कहें लेकिन अमित शाह ने उस पर कुछ न कहकर उसे वोट चोरी का सबूत मानने से मना कर दिया। यह सही भी है राहुल गांधी जिसे वोट चोरी का सबूत मानते है, वह तो मतदाता सूची में अक्सर होने वाली त्रुटियां है।
राहुल गांधी को संसद के बाहर व भीतर वोट चोरी काे बड़ा मुद्दा बनाने के बाद भी एक सबूत पेश नहीं कर सके और उदाहरण सहित बता नहीं सके कि किस राज्य में वोट चोरी हुई है और कैसे हुई है। इसका सबूत यह है। अमित शाह ने संसद में कांग्रेस के समय हुए वोट चोरी के तीन उदाहरण पेश कर देश के लोगों को बताया की वोट चोरी इसे कहते हैं और यह वोट चोरी कब हुई थी और कैसे की गई थी। अमित शाह ने वोट चोरी की पहली ऐतिहासिक घटना के बारे में बताया कि पहली वोट चोरी सरदार पटेल को ज्यादा वोट मिलने के बाद भी पं.जवाहरलाल नेहरू को पीएम बनाकर की गई।जिसे ज्यादा वोट मिले उसे पीएम नहीं बनाया गया जिसे कम वोट मिले उसे पीएम बनाया गया।अमित शाह ने वोट चोरी का दूसरा उदाहरण बताया कि इंदिरा गांधी गलत तरीके से चुनाव जीती,कोर्ट ने उसे खारिज कर दिया तो संसद से कानून बनाकर उन्होंने खुद को इम्यूनिटी दे दी और कहा कि पीएम के खिलाफ कोई केस नहीं हो सकता। तीसरा वोट चोरी का उदाहरण अमित शाह ने सोनिया गांधी का दिया कि वोटर पहले बनी, और देश की नागरिक बाद में बनी।यह मामला अभी दिल्ली कोर्ट में चल रहा है।
पीएम मोदी की तरह अमित शाह संसद में पूरी तैयारी से आते हैं और संसद में पूछे गए हर सवाल का जवाब देते है, इस बार भी उन्होंने राहुल गांधी सहित कांग्रेस नेताओं के सभी नेताओं के सवालों का जवाब एक एक कर दिया।राहुल गांधी ने तीन सवाल पूछे थे तो अमित शाह ने राहुल गांधी के इस सवाल कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति से सीजेआई को क्यों हटाया तो जबाव दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने ही ऐसा कहा था इसलिए कानून बनाकर ऐसा किया गया कांग्रेस के समय तो ७३ साल तक चुनाव आयुक्त पीएम की सिफारिश पर बना करते थे, सीसीटीवी के फुटेज ४५ दिन बाद डिलीट करने का कानून क्यों बनाया तो अमित शाह ने बताया कि १९९१ के जनप्रतिनिधि कानून में ही ऐसा प्रावधान है। ४५ दिन कोई आपत्ति न आए तो आयोग उसे क्यों रखे।आयुक्त को इम्यूनिटी देने के सवाल पर अमित ने कहा कि नए कानून में यह पुराना प्रावधान है। यानी यह प्रावधान पहले से ही है। राहुल गांधी शिकायत कर सकते हैं कि उनके कई सवालाें का जवाब अमित शाह ने नहीं दिया हकीकत यह है कि यह सारे सवाल राहुल गांधी ने संसद से बाहर उठाए हैं इसलिए संसद में अमित शाह ने इन सवालों का जवाब नहीं दिया।

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